भोपाल। एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारत में केरल के बाद मध्यप्रदेश दूसरा ऐसा राज्य है, जहां पर इसके लिए एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस प्लान को लाया गया है. पिछले साल जुलाई में स्वास्थ्य विभाग में एएमआर प्लान की शुरुआत की थी.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से ये बात सामने आयी थी कि एंटीबायोटिक का सबसे ज्यादा उपयोग पशुओं में किया जा रहा है, जिसे देखते हुए इसी प्लान के तहत राजधानी भोपाल में केरल से विशेषज्ञ डॉक्टर्स पहुंचे, जिन्होंने इस प्लान को प्रदेश में किस तरह लागू किया का सकता है, इसके बारे में जानकारी दी गई.
केरल में लागू इस प्लान को प्रदेश में कैसे लागू किया जाएगा, इस बारे में केरल से आये डॉक्टर रोबिन जे. पॉल ने बताया कि एंटीबायोटिक के दुरुपयोग को रोकने के लिए सबसे पहले वेटनरी क्षेत्र में जागरूकता लाने की जरूरत है. जब एएमआर प्लान लागू होगा तब ये पता चलेगा कि पशुओं में ये कितना रेसिस्टेंट करता है और इसके लिए कितने एक्शन की जरूरत है, फिलहाल इसके लिए जागरूकता और साथ ही वेटनरी लैब्स को बढ़ाने और वहां अच्छी व्यवस्थाएं करने की जरूरत है.
एंटीबायोटिक का सबसे ज्यादा उपयोग किसान अपने पशुओं में करते हैं, इसलिए सबसे पहले किसानों को ये बताना जरूरी है कि ये एंटीबायोटिक न केवल उसके पशु के स्वास्थ्य के लिए बल्कि उसके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है. प्रदेश में केरल की तरह इस प्लान को लागू करने के लिये सबसे ज्यादा जरूरी है वेटनरी क्षेत्र में जागरूकता लाना.