भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते 68 दिनों से राजधानी भोपाल में ऑटो रिक्शा के पहिए थमें हुए थे, लेकिन अब राजधानी कलेक्टर तरुण पिथोड़े के अनुमति के बाद सड़कों पर ऑटो चलना शुरू हो गया है. जिससे आज सुबह से ही राजधानी की सड़कों पर ऑटो दौड़ते नजर आए, लेकिन ऑटो चालकों को सवारी नहीं मिली, कई ऑटो चालकों की देर शाम तक बोहनी तक नहीं पाई. जिससे ऑटो चालक बेहद परेशान हैं.
राजधानी भोपाल के ऑटो चालकों के लिए आज का दिन बेहद खुशी का दिन था, क्योंकि करीब 2 महीने से अधिक बीत जाने के बाद भोपाल कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने सड़कों पर ऑटो रिक्शा चलाने की अनुमति जारी कर दी है. जिसके बाद से सुबह से ही आटो रिक्शा चालकों ने अपने-अपने ऑटो सड़कों पर उतार दिए, लेकिन उन्हें आज बहुत निराश होना पड़ा. क्योंकि ऑटो चालकों को सवारी नहीं मिली.
ऑटो चालक दिनेश बहाने ने बताया कि लॉकडाउन में जीवन बहुत ही खराब गुजरा है. खाने के लाले पड़े थे जो भी अनाज मिला था. उसी से घर का गुजारा चल रहा था. जैसे तैसे आज सुबह 7 बजे से गाड़ी निकाली है. अभी तक बोहनी नहीं हुई. लोग कोरोना संक्रमण के चलते डर रहै हैं. हमें सरकार से उम्मीद थी कि जैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पांच-पांच हजार रुपये ऑटो चालकों के दिए है. वैसे ही हमारे लिए हमारी सरकार हमें मदद करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
ऑटो चालक लक्ष्मीनारायण रैकवार ने बताया लॉकडाउन में कर्जा लेकर घर चला रहा था. आज ऑटो लेकर निकले हैं, लेकिन एक भी सवारी नहीं मिली और लगता पूरा माह इसी तरह गुजर जाएगा. रमेश सिंह ने कहा कि पांच-पांच किलो सरकार ने चावल दिया था.उसी से दो महिने से जैसे-तैसे काम चलाता रहा था. आज सुबह से गाड़ी लेकर आए हैं खड़े हैं सवारियां तो मिली नहीं. लेकिन घर से निकला तो अच्छा लग रहा है.भोपाल के ऑटो चालक लॉकडाउन में सरकार से सहायता नहीं मिलने से वैसे ही निराश थे.ऑटो चलाने की अनुमति मिलने के बाद खुश थे, लेकिन सवारिया ना मिलने से सभी परेशान नजर आये.