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क्या पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ छोडे़ंगे प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से कोई एक पद ?

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Published : Nov 17, 2020, 11:50 AM IST

मध्यप्रदेश में उपचुनाव में कांग्रेस की हुई हार के बाद, कांग्रेस में बदलाव की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. वहीं इस बात की भी संभावना भी जताई जा रही है, कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से कोई एक पद छोड़ सकते हैं.

Kamal Nath
कमलनाथ

भोपाल| मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में एक बार फिर बदलाव की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. संभावना इस बात की बनने लगी है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से कोई एक पद छोड़ सकते हैं.

राज्य में विधानसभा के 28 क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे, और कांग्रेस लगातार यही दावा कर रही थी, कि उसकी इस उपचुनाव के जरिए सत्ता में वापसी तय है, इतना ही नहीं, पार्टी हाईकमान को भी यह भरोसा दिलाया गया था, कि उपचुनाव राज्य की सियासत में बड़ा फेरबदल करेंगे, कांग्रेस की ओर से जो दावे किए जा रहे थे, उसके ठीक उलट विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आए हैं और इन नतीजों ने प्रदेश संगठन से लेकर पार्टी हाईकमान तक को असहज कर दिया है. पार्टी हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से रिपोर्ट ले चुका है.

पार्टी सूत्रों की मानें तो जिन क्षेत्रों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है, उन जिलों के अध्यक्षों के साथ विधानसभा के चुनाव प्रभारियों पर भी गाज गिर सकती है. इतना ही नहीं संगठन के बड़े नेताओं की छुट्टी भी हो सकती है. राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही थी, मगर पार्टी हाईकमान ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनसे ऐसा न करने को कहा था. पहले पार्टी सत्ता से बाहर हुई, और विधानसभा के उप-चुनाव में हार मिली तो बदलाव की चचार्ओं ने जोर पकड़ लिया है, पार्टी हाईकमान भी कमल नाथ की सहमति से प्रदेशाध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष में बदलाव करने का मन बना चुकी है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों में बड़े दावेदारों में गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व मंत्री उमंग सिंगार, कमलेश्वर पटेल, अजय सिंह, जीतू पटवारी, मीनाक्षी नटराजन की हो रही है. वहीं पार्टी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश की कमान सौंपना चाहती है, जो हाईकमान का विश्वासपात्र तो हो ही साथ में कमल नाथ से भी उसका सामंजस्य बेहतर रहे, वहीं अगर कमल नाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ते हैं, तो इस पद की जिम्मेदारी अनुसूचित जनजाति के विधायक को सौंपी जा सकती है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करना कमलनाथ के लिए आसान काम नहीं है, इस बात को वे भी खुद जानते हैं, यही कारण है कि वे दो पदों में से एक पद छोड़ सकते हैं. अध्यक्ष रहते वे संगठन को मजबूत बनाए रख सकते हैं, नेता प्रतिपक्ष रहने पर संगठन पर पकड़ कमजोर हो जाएगी. इसलिए संभावना इस बात की है, कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़कर खुद को प्रदेशाध्यक्ष बनाए रखें और पार्टी के संगठन को नई मजबूती दें, ताकि पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव पूरी ताकत से लड़ा जा सके।

भोपाल| मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में एक बार फिर बदलाव की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. संभावना इस बात की बनने लगी है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से कोई एक पद छोड़ सकते हैं.

राज्य में विधानसभा के 28 क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे, और कांग्रेस लगातार यही दावा कर रही थी, कि उसकी इस उपचुनाव के जरिए सत्ता में वापसी तय है, इतना ही नहीं, पार्टी हाईकमान को भी यह भरोसा दिलाया गया था, कि उपचुनाव राज्य की सियासत में बड़ा फेरबदल करेंगे, कांग्रेस की ओर से जो दावे किए जा रहे थे, उसके ठीक उलट विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आए हैं और इन नतीजों ने प्रदेश संगठन से लेकर पार्टी हाईकमान तक को असहज कर दिया है. पार्टी हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से रिपोर्ट ले चुका है.

पार्टी सूत्रों की मानें तो जिन क्षेत्रों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है, उन जिलों के अध्यक्षों के साथ विधानसभा के चुनाव प्रभारियों पर भी गाज गिर सकती है. इतना ही नहीं संगठन के बड़े नेताओं की छुट्टी भी हो सकती है. राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही थी, मगर पार्टी हाईकमान ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनसे ऐसा न करने को कहा था. पहले पार्टी सत्ता से बाहर हुई, और विधानसभा के उप-चुनाव में हार मिली तो बदलाव की चचार्ओं ने जोर पकड़ लिया है, पार्टी हाईकमान भी कमल नाथ की सहमति से प्रदेशाध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष में बदलाव करने का मन बना चुकी है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों में बड़े दावेदारों में गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व मंत्री उमंग सिंगार, कमलेश्वर पटेल, अजय सिंह, जीतू पटवारी, मीनाक्षी नटराजन की हो रही है. वहीं पार्टी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश की कमान सौंपना चाहती है, जो हाईकमान का विश्वासपात्र तो हो ही साथ में कमल नाथ से भी उसका सामंजस्य बेहतर रहे, वहीं अगर कमल नाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ते हैं, तो इस पद की जिम्मेदारी अनुसूचित जनजाति के विधायक को सौंपी जा सकती है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करना कमलनाथ के लिए आसान काम नहीं है, इस बात को वे भी खुद जानते हैं, यही कारण है कि वे दो पदों में से एक पद छोड़ सकते हैं. अध्यक्ष रहते वे संगठन को मजबूत बनाए रख सकते हैं, नेता प्रतिपक्ष रहने पर संगठन पर पकड़ कमजोर हो जाएगी. इसलिए संभावना इस बात की है, कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़कर खुद को प्रदेशाध्यक्ष बनाए रखें और पार्टी के संगठन को नई मजबूती दें, ताकि पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव पूरी ताकत से लड़ा जा सके।

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