भोपाल। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में 75 हजार आशा कार्यकर्ताओं ने महा वैक्सीनेशन कार्यक्रम का विरोध कर दिया है. आशा कार्यकत्रियों रविवार से अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल का ऐलान कर दिया है. ऐसे में वैक्सीनेशन महाभियान कार्यक्रम में बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. इस संबंध में भोपाल सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी ने एक बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि आशा-उषा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं से बात करेंगे कि वह हड़ताल पर न जाएं. हालांकि उनके हड़ताल पर जाने से टीकाकरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इस समय पर उनके इस बयान ने मामले को और अधिक पैचीदा बना दिया है.
सीएमएचओ के बयान ने पहुंचाई ठेस
सात सूत्रीय मांगे पूरा न होने से खफा आशा कार्यकर्ताओं ने हड़ताल पर जाने का निर्णय कर लिया है. उनके हड़ताल पर जाने का निर्णय पर भोपाल सीएमएचओ डॉक्टर प्रभाकर तिवारी के बयान ने इस मामले में एक नया विवाद शुरू कर दिया है. उनके बयान ने आशा कार्यकर्ताओं के मनोबल पर ठेस पहुंचाई है.
सात सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर आशा कार्यकर्ता
आशा ऊषा सहयोगनी कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने कहा कि सभी आशा कार्यकर्ता अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. जब तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा, आशा कार्यकर्ता काम पर वापस नहीं आएंगे. उन्होंने डॉ. प्रभाकर तिवारी से निवेदन किया है कि उनके वक्तव्य से आशा कार्यकर्ताओं के दिल में ठेस पहुंची है और उन्हें आशा कार्यकर्ताओं से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दो साल से कोरोना काल में बिना वेतन और बिना मानदेय के आशा कार्यकर्ता ने सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी कार्यों में सहयोग किया है. उनके बयान के बाद अब आंदोलन उग्र होगा. मजबूरन अब हमें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है.
प्रदेशभर में जिला स्तर पर होगा प्रदर्शन
विभा श्रीवास्तव ने कहा कि इसके साथ ही प्रदेशभर में जिला स्तर पर प्रदर्शन करेंगे और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. वहीं संगठन की भोपाल जिले की अध्यक्ष कविता सैनी ने बताया कि इन दो वर्षों में आशा कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वे, दवाई बांटने का काम, कोरोना जांच कराने का काम किया. इसके अलावा प्रशासन की ओर से जो भी काम दिए गए वह पूरे किये गए. बिना मास्क व बिना सेनेटाइजर के रुमाल और दुपट्टा बांध कर आशा कार्यकर्ताओं ने इस महामारी में कार्य किया है.
मजबूरन हड़ताल पर जा रहीं आशा कार्यकर्ता
आशा ऊषा सहयोगनी कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आशा कार्यकर्ता आज हड़ताल पर बहुत मजबूरी में जा रही हैं. उन्होंने बताया कि उनकी ग्रामीण बहनें आज भी लगातार लोगों को सेवाएं दे रही हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि शीघ्र ही आशा कार्यकर्ताओं की सात सूत्रीय मांगों पर ध्यान दिया जाए, जिससे वह जल्द से जल्द काम पर लौट सकें.
आशा-उषा कार्यकर्ताओं की सात सूत्रीय मांगें
- आशा सहयोगी को 30 दिन का पूरा भुगतान प्रदान किया जाए.
- आशा सहयोगी का पेट्रोल भत्ता बढ़ाया जाए, क्योंकि एक कार्यकर्ता पर 15 से 16 गांव की जिम्मेदारी रहती है.
- आशा कार्यकर्ता को शासकीय कर्मचारी की मान्यता मिले.
- आशा कार्यकर्ताओं को प्रत्येक गांव के आरोग्य केंद्र से पृथक किया जाए.
- आशा कार्यकर्ताओं जो कि नौ माह तक गर्भवती माताओं का ध्यान रखकर उनकी डिलीवरी करवाती हैं उसका पारितोषिक 600 रुपये के स्थान पर 1200 रुपये किया जाए.
- आशा सहयोगी को 15000 रुपये और आशा कार्यकर्ता को 10,000 रुपये प्रति माह फिक्स मानदेय दिया जाए.
- शहरी आशा कार्यकर्ता व ग्रामीण आशा कार्यकर्ताओं को समान वेतन दिया जाए.
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टीकाकरण ड्यूटी के आज तक नहीं मिले 200 रुपये
हालांकि कोरोना टीकाकरण को लेकर मुख्यमंत्री ने स्वयं आशा कार्यकर्ताओं को टीकाकरण ड्यूटी पर 200 रुपये अतिरिक्त प्रतिदिन देने की बात कही थी. वह भुगतान भी आज तक आशा कार्यकर्ताओं को मिलना शुरू नहीं हुआ है. इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि NRHM के अधिकारियों द्वारा भी उनकी बात नहीं सुनी जाती है. कई बार उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री व अधिकारियों को अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया गया. परंतु आज तक उनकी बात पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. इसके चलते मजबूरन संगठन को हड़ताल पर जाने का निर्णय लेना पड़ा.