भोपाल। अपनी मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन कर रही आशा उषा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बलपूर्वक हटाते हुए गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद इन्हें शहर से दूर ले जाकर छोड़ दिया गया. दरअसल आशा उषा कार्यकर्ता अपनी लंबित मांगों को लेकर नीलम पार्क में धरना प्रदर्शन कर रही थी. इस दौरान यह सड़क पर निकल कर मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच करना चाहती थी. लेकिन उसके पहले ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार मांग मानने के बजाए सिर्फ आश्वासन दे रही हैं.
कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर शहर से दूर छोड़ा
मध्य प्रदेश में आशा उषा कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर पिछले कई समय से हड़ताल कर रही थी. सरकार की ओर से मिले आश्वसान के बाद कार्यकर्ताओं ने हड़ताल वापस ले ली थी. आश्वासन के बाद भी सरकार ने मांगें नहीं मानी तो आशा उषा कार्यकर्ता पिछले 2 दिन से नीलम पार्क में धरना प्रदर्शन कर रही थी. मंगलवार को यह सभी मुख्यमंत्री निवास व विधानसभा की ओर कूच करने के इरादे से जैसे ही सड़क पर आई, पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें गिरफ्तार कर शहर से दूर छोड़ा.
दोनों संगठनों ने वापस ली थी हड़ताल
आंदोलन कर रही है आशा उषा कार्यकर्ताओं के एक धड़े ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर अपनी हड़ताल वापस ले ली थी. वहीं दूसरे संगठन ने एनएचएम के अधिकारियों को अपना पत्र देकर हड़ताल वापस ले ली थी. पत्र में कहा गया था कि सरकार की ओर से इनकी समस्या के निराकरण के लिए एक समिति का गठन किया गया है. जिसकी अध्यक्षता एनएचएम के डायरेक्टर पंकज शुक्ला करेंगे. ऐसे में यह सभी आशा उषा कार्यकर्ता मांगों के समाधान को लेकर वापस काम पर लौट आई थी. लेकिन इसके बाद भी इनकी मांगों का निराकरण नहीं हुआ, तो यह सभी भोपाल में फिर प्रदर्शन करने के लिए पहुंची.
2 हजार रुपए प्रतिमाह मिलता है वेतन
आशा उशा कार्यकर्ता का कहना है कि इनको जो मानदेय मिलता है वह अन्य राज्यों के मुकाबले बेहद ही कम है. अभी इन्हें 2 हजार रुपए महीना मिलता है. जिस हिसाब से 60 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से इनका वेतन बन पाता है. ऐसे में उनका कहना है कि एक ओर जहां करोना काल चल रहा है. उसमें भी सैनिटाइजर और मासक आदि की खरीदी में ही यह पैसा चला जाता है. अब यह परिवार के लिए क्या बचा पाएंगे.
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मध्य प्रदेश में 80 हजार कार्यकर्ता
मध्य प्रदेश में अभी 80 हजार के करीब आशा उषा कार्यकर्ता हैं, जो सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने में सहयोग करती हैं. यह तमाम टीकाकरण से लेकर अन्य कार्यों में भी जुटी रहती है. ग्रामीण स्तर पर सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करती हैं.