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MP Political Gossips: गुजरात में कारपेट बॉम्बिंग से MP में बढ़ाया कद, बड़ा सवाल- कब तक पार्टी में रहेंगे विभीषण..? - कैलाश विजयवर्गीय की गॉसिप्स न्यूज

MP Political Gossips:पीसीसी चीफ कमलनाथ के बर्थ डे केक के कटने की खुशी कांग्रेस से ज्यादा भाजपाई मना रहे हैं. वैसे सियासत में केक भी मुद्दा हो सकता है ये बीजेपी ने भलीभांति बता दिया. अब मामले को हर दिन नई कहानी के साथ तूल दिया जा रहा है. ये कहानी अंदर की लाए हैं (Andar Ki Laye Hain) जो बहुत दिलचस्प है. इस कहानी में इतनी दिलचस्पी क्यों है, यह भी बताएंगे जरा सब्र तो करो.

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Published : Nov 20, 2022, 8:03 AM IST

भोपाल। कमलनाथ भी सोच रहे होंगें कि, किस मुहुर्त में केक काट दिया. कटे केक से बढ़ा कलेश खत्म होने का नाम नही ले रहा है. सुना तो ये भी है कि छिंदवाड़ा में केक को लेकर कांग्रेस में गाईडलाईन भी जारी हो गई है. अब कोई भी केक पार्टी की एक तय टीम की अनुशंसा के बाद ही नेताजी के सामने काटने के लिए ले जाया जाएगा. ताकि फिर इस तरह की फजीहत से ना गुजरना पड़े. बीजेपी को भी सत्ता में रहते हुए लंबा समय हो गया, लेकिन पार्टी की खासियत है कि, सड़क पर प्रदर्शन करने में पार्टी देर नहीं लगाती. को हिंदू धर्म के अपमान के नाम पर कमलनाथ के पूतले भी फूंक दिए गए माहौल तो बन ही गया.

अंदर की लाए है

गुजरात में कारपेट बॉम्बिंग से MP में बढ़ाया कद: राजनीति में इसे कहते हैं मौके पर चौका मारना. चुनाव गुजरात का लेकिन झांकी एमपी में. वो कैसे..? तो ऐसे कि गुजरात चुनाव में पार्टी ने तय की कारपेट बॉम्बिंग. जिसके तहत पहले फेज की 89 सीटों पर 89 सभाएं की जाएंगी. अब एमपी से जिन नेताओं को गुजरात में प्रचार की जिम्मेदारी मिली है. वो नेता इस कारपेट बॉम्बिंग में अपना क्रेडिट भी निकाल रहे हैं.

चुनाव प्रचार में मेहनत की ब्रांडिंग: गुजरात में प्रचार के लिए पहुंचे मंत्री कमल पटेल तो गुजरात के अपने प्रचार को भी इस ढ़ंग से प्रचारित कर रहे हैं कि, कारपेट बॉम्बिंग में अहम जवाबदारी उन्हें ही दी गई है. इसी तरह से बीजेपी सांसद के पी यादव ने भी गुजरात चुनाव में मिली जवाबदारी को अंडरलाईन करते हुए प्रचारित किया है कि मिली बड़ी जवाबदारी. अब नेताओं की चुनाव प्रचार में मेहनत और उसकी ब्रांडिंग क्यों है ये भी कोई बताने की बात है..भाई गुजरात का चुनाव है.

MP Political Gossips: नहीं जमी चप्पल छूट गई झांकी, अब Bharat Jodo Yatra में कांग्रेसियों को चाहिए एक अदद फिटनेस फार्मूला

कब तक पार्टी में रहेंगे विभीषण: दो साल का वक्त तो काफी होता है इतने लंबे समय में तो कांग्रेस छोडकर बीजेपी में गए नेताओं को शक्कर की तरह पार्टी में घुल जाना चाहिए था. यूं बनने को तो मंत्री भी बन गए. लेकिन एक महीन सी लकीर तो है. जो फर्क दिए रहती है. वरना क्या वजह है कि सिंधिया के बीजेपी की सदस्यता लेने के समय जैसे सीएम शिवराज ने सिंधिया को विभीषण कहा था. दलबदल के दो साल बाद पार्टी के प्रभारी मुरलीधर राव ने अब सिंधिया समर्थकों विभीषण कह दिया है, लेकिन सियासी गलियारों में ये सवाल उठ रहा है कि बात कांग्रेस के विभीषण की नहीं...कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी पार्टी को दगा देकर आए इन नेताओं को बीजेपी भी अपने लिए विभीषण ही मानती है. सुना तो ये भी है कि जिन्हें विभीषण कहा गया है उन मंत्रियों को भी ये चिंता सता रही है कि कहीं यही उनके टिकट काटने का क्राइटेरिया ना हो जाए.

भोपाल। कमलनाथ भी सोच रहे होंगें कि, किस मुहुर्त में केक काट दिया. कटे केक से बढ़ा कलेश खत्म होने का नाम नही ले रहा है. सुना तो ये भी है कि छिंदवाड़ा में केक को लेकर कांग्रेस में गाईडलाईन भी जारी हो गई है. अब कोई भी केक पार्टी की एक तय टीम की अनुशंसा के बाद ही नेताजी के सामने काटने के लिए ले जाया जाएगा. ताकि फिर इस तरह की फजीहत से ना गुजरना पड़े. बीजेपी को भी सत्ता में रहते हुए लंबा समय हो गया, लेकिन पार्टी की खासियत है कि, सड़क पर प्रदर्शन करने में पार्टी देर नहीं लगाती. को हिंदू धर्म के अपमान के नाम पर कमलनाथ के पूतले भी फूंक दिए गए माहौल तो बन ही गया.

अंदर की लाए है

गुजरात में कारपेट बॉम्बिंग से MP में बढ़ाया कद: राजनीति में इसे कहते हैं मौके पर चौका मारना. चुनाव गुजरात का लेकिन झांकी एमपी में. वो कैसे..? तो ऐसे कि गुजरात चुनाव में पार्टी ने तय की कारपेट बॉम्बिंग. जिसके तहत पहले फेज की 89 सीटों पर 89 सभाएं की जाएंगी. अब एमपी से जिन नेताओं को गुजरात में प्रचार की जिम्मेदारी मिली है. वो नेता इस कारपेट बॉम्बिंग में अपना क्रेडिट भी निकाल रहे हैं.

चुनाव प्रचार में मेहनत की ब्रांडिंग: गुजरात में प्रचार के लिए पहुंचे मंत्री कमल पटेल तो गुजरात के अपने प्रचार को भी इस ढ़ंग से प्रचारित कर रहे हैं कि, कारपेट बॉम्बिंग में अहम जवाबदारी उन्हें ही दी गई है. इसी तरह से बीजेपी सांसद के पी यादव ने भी गुजरात चुनाव में मिली जवाबदारी को अंडरलाईन करते हुए प्रचारित किया है कि मिली बड़ी जवाबदारी. अब नेताओं की चुनाव प्रचार में मेहनत और उसकी ब्रांडिंग क्यों है ये भी कोई बताने की बात है..भाई गुजरात का चुनाव है.

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कब तक पार्टी में रहेंगे विभीषण: दो साल का वक्त तो काफी होता है इतने लंबे समय में तो कांग्रेस छोडकर बीजेपी में गए नेताओं को शक्कर की तरह पार्टी में घुल जाना चाहिए था. यूं बनने को तो मंत्री भी बन गए. लेकिन एक महीन सी लकीर तो है. जो फर्क दिए रहती है. वरना क्या वजह है कि सिंधिया के बीजेपी की सदस्यता लेने के समय जैसे सीएम शिवराज ने सिंधिया को विभीषण कहा था. दलबदल के दो साल बाद पार्टी के प्रभारी मुरलीधर राव ने अब सिंधिया समर्थकों विभीषण कह दिया है, लेकिन सियासी गलियारों में ये सवाल उठ रहा है कि बात कांग्रेस के विभीषण की नहीं...कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी पार्टी को दगा देकर आए इन नेताओं को बीजेपी भी अपने लिए विभीषण ही मानती है. सुना तो ये भी है कि जिन्हें विभीषण कहा गया है उन मंत्रियों को भी ये चिंता सता रही है कि कहीं यही उनके टिकट काटने का क्राइटेरिया ना हो जाए.

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