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नरसिंहपुर के दुर्गम विनैकी गांव में मिले प्राचीन शैलचित्र, मुआयना करेगा पुरातत्व विभाग - करेली वन परिक्षेत्र

प्रदेश भर में ऐसे कई स्थान मौजूद हैं, जहां हजारों साल पुराने शैलचित्र पाए गए हैं. नरसिंहपुर में भी प्राचीन शैलचित्र मिले हैं. इनमें मानव, हाथी, घोड़े और पैदल लोगों के साथ शिकार खेलते हुए चित्र है.

Ancient rock paintings found
प्राचीन शैलचित्र
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Published : Jul 20, 2020, 7:28 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर हजारों साल पुराने शैलचित्र मौजूद हैं. हाल ही में नरसिंहपुर जिले के करेली वन परिक्षेत्र के दुर्गम विनैकी गांव के पास शक्कर नदी की गुफाओं में प्राचीन शैलचित्र मिले हैं.

विनैकी में बामुश्किल 20-25 मकान हैं. करेली वन परिक्षेत्र की टीम ने प्राकृतिक रूप से आकर्षित स्थान पर स्थित इन शैलचित्रों का मुआयना किया. शैलचित्रों की वास्तविक आयु पुरातत्व विभाग के विश्लेषण के बाद ही निर्धारित की जा सकेगी.

शैलचित्रों में मानव, हाथी, घोड़े और पैदल लोगों के साथ शिकार खेलते हुए चित्रित हैं. चित्रों में भाला, तीर-कमान, फरसा को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. कुछ चित्र भीम बेटिका में मिले चित्रों के समान स्पष्ट लाल रंग के हैं. वहीं कुछ चित्र धूसर हो चुके हैं. चित्रों के बारे में किसी लिपि में वर्णन भी किया गया है, जिस प्राचीन लिपि को कोई जानकार ही पढ़ सकेगा.

शैलचित्र तक पहुंचने के लिए हर्रई गांव से चिखला तक 32 किमी की पक्की सड़क है. चिखला से बिनैकी तक 4 किमी की कच्ची सड़क है. वहीं विनैकी गुफा तक पहुंचने के लिए 2 किमी का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है. संपूर्ण क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से सराबोर है.

भोपाल के पास स्थित भीम बेटिका शैलचित्र यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित है. भीम बेटिका से 5 किमी दूर पेंगावन क्षेत्र में भी हजारों साल पुराने 35 शैलचित्र मिले हैं. राजगढ़ के सिंघनपुर, होशंगाबाद के पास आदमगढ़, छतरपुर जिले के बीजावर, रायसेन के पाटनी गांव में मृगेन्द्रनाथ की गुफा में भी प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र मिल चुके हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर हजारों साल पुराने शैलचित्र मौजूद हैं. हाल ही में नरसिंहपुर जिले के करेली वन परिक्षेत्र के दुर्गम विनैकी गांव के पास शक्कर नदी की गुफाओं में प्राचीन शैलचित्र मिले हैं.

विनैकी में बामुश्किल 20-25 मकान हैं. करेली वन परिक्षेत्र की टीम ने प्राकृतिक रूप से आकर्षित स्थान पर स्थित इन शैलचित्रों का मुआयना किया. शैलचित्रों की वास्तविक आयु पुरातत्व विभाग के विश्लेषण के बाद ही निर्धारित की जा सकेगी.

शैलचित्रों में मानव, हाथी, घोड़े और पैदल लोगों के साथ शिकार खेलते हुए चित्रित हैं. चित्रों में भाला, तीर-कमान, फरसा को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. कुछ चित्र भीम बेटिका में मिले चित्रों के समान स्पष्ट लाल रंग के हैं. वहीं कुछ चित्र धूसर हो चुके हैं. चित्रों के बारे में किसी लिपि में वर्णन भी किया गया है, जिस प्राचीन लिपि को कोई जानकार ही पढ़ सकेगा.

शैलचित्र तक पहुंचने के लिए हर्रई गांव से चिखला तक 32 किमी की पक्की सड़क है. चिखला से बिनैकी तक 4 किमी की कच्ची सड़क है. वहीं विनैकी गुफा तक पहुंचने के लिए 2 किमी का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है. संपूर्ण क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से सराबोर है.

भोपाल के पास स्थित भीम बेटिका शैलचित्र यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित है. भीम बेटिका से 5 किमी दूर पेंगावन क्षेत्र में भी हजारों साल पुराने 35 शैलचित्र मिले हैं. राजगढ़ के सिंघनपुर, होशंगाबाद के पास आदमगढ़, छतरपुर जिले के बीजावर, रायसेन के पाटनी गांव में मृगेन्द्रनाथ की गुफा में भी प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र मिल चुके हैं.

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