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पोल कैश मामलाः कोर्ट जाने की तैयारी में चारों पुलिस अधिकारी - मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस

मध्यप्रदेश कैडर के 3 आईपीएस अधिकारी और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी पोल कैश मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. इन चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र भी दिया गया है.

EOW Office
ईओडब्ल्यू कार्यालय
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Published : Mar 1, 2021, 6:08 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए काले धन के लेनदेन मामले में फंसे चारों पुलिस अधिकारी अब कोर्ट जाने की तैयारी में है. चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र भी सौंप दिए गए हैं और सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर इन अधिकारियों से लेनदेन को लेकर सवाल भी किए गए हैं. आरोप पत्रिका में जवाब देने के साथ ही यह चारों अधिकारी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.

कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में अधिकारी

लोकसभा चुनाव के दौरान हुए काले धन के लेनदेन मामले में फंसे मध्यप्रदेश कैडर के 3 आईपीएस अधिकारी और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. इन चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र भी दिया गया है और सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर लेनदेन की जो बातें सामने आई है, उसको लेकर भी इन चारों अधिकारियों से सवाल किए गए हैं. अब यह चारों पुलिस अधिकारी अपने-अपने वकीलों के माध्यम से आरोप पत्र का जवाब तैयार कर रहे हैं और इसके साथ ही कोर्ट की शरण में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं.

सरकार को भी भेज चुके हैं पत्र

3 आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, वी. मधुकुमार और संजय माने समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज की है. प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद चारों पुलिस अधिकारियों ने अपने-अपने वकीलों के जरिए सरकार को पत्र भी भेजे थे. जिसमें साफ तौर पर लिखा गया था, कि उनके खिलाफ किस आधार पर प्राथमिक जांच दर्ज की गई है. पत्र में यह भी लिखा गया था कि इस मामले में सीबीडीटी की रिपोर्ट के खुलासे के बाद लगभग 64 विधायक, नेता और कारोबारियों के भी नाम सामने आए थे. लेकिन केवल चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ है प्राथमिक जांच क्यों दर्ज की गई.

पोल कैश मामला: पहले तीन मंत्रियों को बर्खास्त करे बीजेपी

अधिकारियों पर हैं करोड़ों के लेनदेन के आरोप

3 आईपीएस अधिकारी और एक राज्य सेवा पुलिस के अधिकारी पर लोकसभा चुनाव के दौरान करोड़ों रुपए के लेन देन करने के आरोप लगे हैं. सीबीडीटी की रिपोर्ट में साफ तौर पर इन अधिकारियों के नाम के आगे बाकायदा राशि भी लिखी हुई है. सीबीडीटी की जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपए, संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपये. इसी तरह वी मधुकुमार के नाम के सामने करीब साढ़े 12 करोड़ और अरुण मिश्रा के नाम के सामने करीब साढ़े 7 करोड़ रुपये लिखे गए हैं. बताया जा रहा है कि इन अधिकारियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहन से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपयों का ट्रांजैक्शन किया है.

यह है पूरा मामला

दरअसल मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे. जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी. जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिकी जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए काले धन के लेनदेन मामले में फंसे चारों पुलिस अधिकारी अब कोर्ट जाने की तैयारी में है. चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र भी सौंप दिए गए हैं और सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर इन अधिकारियों से लेनदेन को लेकर सवाल भी किए गए हैं. आरोप पत्रिका में जवाब देने के साथ ही यह चारों अधिकारी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में जुटे हुए हैं.

कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में अधिकारी

लोकसभा चुनाव के दौरान हुए काले धन के लेनदेन मामले में फंसे मध्यप्रदेश कैडर के 3 आईपीएस अधिकारी और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. इन चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र भी दिया गया है और सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर लेनदेन की जो बातें सामने आई है, उसको लेकर भी इन चारों अधिकारियों से सवाल किए गए हैं. अब यह चारों पुलिस अधिकारी अपने-अपने वकीलों के माध्यम से आरोप पत्र का जवाब तैयार कर रहे हैं और इसके साथ ही कोर्ट की शरण में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं.

सरकार को भी भेज चुके हैं पत्र

3 आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, वी. मधुकुमार और संजय माने समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज की है. प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद चारों पुलिस अधिकारियों ने अपने-अपने वकीलों के जरिए सरकार को पत्र भी भेजे थे. जिसमें साफ तौर पर लिखा गया था, कि उनके खिलाफ किस आधार पर प्राथमिक जांच दर्ज की गई है. पत्र में यह भी लिखा गया था कि इस मामले में सीबीडीटी की रिपोर्ट के खुलासे के बाद लगभग 64 विधायक, नेता और कारोबारियों के भी नाम सामने आए थे. लेकिन केवल चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ है प्राथमिक जांच क्यों दर्ज की गई.

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अधिकारियों पर हैं करोड़ों के लेनदेन के आरोप

3 आईपीएस अधिकारी और एक राज्य सेवा पुलिस के अधिकारी पर लोकसभा चुनाव के दौरान करोड़ों रुपए के लेन देन करने के आरोप लगे हैं. सीबीडीटी की रिपोर्ट में साफ तौर पर इन अधिकारियों के नाम के आगे बाकायदा राशि भी लिखी हुई है. सीबीडीटी की जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपए, संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपये. इसी तरह वी मधुकुमार के नाम के सामने करीब साढ़े 12 करोड़ और अरुण मिश्रा के नाम के सामने करीब साढ़े 7 करोड़ रुपये लिखे गए हैं. बताया जा रहा है कि इन अधिकारियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहन से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपयों का ट्रांजैक्शन किया है.

यह है पूरा मामला

दरअसल मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे. जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी. जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिकी जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.

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