भोपाल। आगामी उपचुनाव को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगरीय क्षेत्रों में जमीन की रजिस्ट्री पर लगने वाले तीन प्रतिशत सेस टैक्स को कम करके एक प्रतिशत कर दिया है. इस फैसले को पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने गलत ठहराया है. उन्होंने कहा, ''केवल नगरों में रजिस्ट्री चार्ज में छूट देना बाकी जनता के साथ भेदभाव ही है, सरचार्ज के बजाय पूरे प्रदेश में शिवराज सरकार स्टांप ड्यूटी कम करे.''
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है, ''मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जमीन और मकान की रजिस्ट्री पर लगने वाला सरचार्ज केवल नगरीय क्षेत्रों में दो फीसदी कम करके ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को फिर से ठगा है. यह छूट किसानों के हित में दी जानी चाहिए थी. यह निर्णय प्रदेश में रहने वाली जनता के साथ भेदभाव और दोहरा व्यवहार है.''
उन्होंने कहा, ''कुछ खास लोगों के फायदे के लिए निर्णय लिया गया है. सरचार्ज में छूट 2 साल के लिए ना देकर सिर्फ साड़े 3 महीने यानी 31 दिसंबर तक दिया गया है. इसका क्या कारण है ? जाहिर है कि आगामी उपचुनाव में लोगों को लुभाने के लिए यह भेदभाव पूर्ण फैसला लिया गया है. अगर बीजेपी सरकार वाकई में रियल स्टेट की मंदी से चिंतित है, तो उसे यह छूट स्टांप ड्यूटी में देना चाहिए था, ताकि अधिकतम लोग इसका लाभ ले सकें. उन्होंने कहा कि पूरे देश में मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां पड़ोसी राज्यों से ज्यादा स्टांप शुल्क लिया जाता है. महाराष्ट्र में मात्र 4 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगती है.''
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, ''सरचार्ज में 2 प्रतिशत छूट का थोड़ा-बहुत फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिनके पास जमा पूंजी है और जो तुरंत खरीद-फरोख्त में सक्षम हैं. वहीं कोरोना संकट काल में बिल्डरों के कई प्रोजेक्ट 75 से 80 फीसदी पूरे होने के बाद अधूरे पड़े हुए हैं, जो 3 महीने में रेरा से कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं ले पाएंगे. इसके अभाव में भी प्रॉपर्टी नहीं बेची जा सकती है. इसलिए सरचार्ज में छूट देने के साथ कम से कम 1 साल के लिए स्टांप ड्यूटी 5 प्रतिशत कम की जाए, ताकि अन्य लोग भी प्रॉपर्टी खरीदने में अपनी रूचि दिखा सकें. उन्होंने कहा कि, ‘मेरा शिवराज सिंह से कहना है कि कथनी से ज्यादा करनी बोलती है.''