भोपाल। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची है. कोरोना वायरस की चेन रोकने के लिए करीब 45 दिनों से पूरे देश में लॉकडाउन जारी है, कारोबार ठप पड़ा है. लोगों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, इस बीच सरकार नें अपनी टूटटी कमर बचाने के लिए शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी. जिसके बाद मंदिरों के सहारे रोजी रोटी चला रहे पुजारियों ने भी मंदिर खोलने की मांग की है.
त्योहार बीत गए पर मंदिर सूने हैं
लॉकडाउन की परिस्थितियों में उन स्थानों को सख्ती से बंद रखा गया है, जहां पर भीड़ हो सकती है. इसी कड़ी में तमाम धार्मिक स्थलों को भी बंद रखा गया है. मंदिरों के बंद होने पर सिर्फ भगवान की पूजा अर्चना का काम पुजारी द्वारा किया जा रहा है. लेकिन रोजाना आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं है. पुजारी पंडित राम जीवन शर्मा बताते हैं कि जब से कोरोना की महामारी फैली है, तब से धार्मिक स्थल बंद हैं. रामनवमी, हनुमान जयंती सभी त्योहार सादगी से मनाए गए हैं. सुबह शाम आरती होती है, लेकिन आता कोई नहीं है. शासन को देखना चाहिए कि जिस तरह शराब दुकान खोलने का आदेश दिया है. उसी तरह सोशल डिस्टेंसिंग अपना कर मंदिरों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए.
बंद का असर मंदिर की व्यवस्थाओं पर
मंदिर में आने वाले चंदे और दान पत्र से होने वाली कमाई से ही तमाम व्यवस्थाएं संचालित होती हैं, मंदिरों की बिजली व्यवस्था, साफ सफाई और भगवान के भोग प्रसाद की व्यवस्था मंदिर समिति करती है. उसी तरह कई मंदिर अपने प्रांगण में शॉपिंग कॉन्प्लेक्स या दुकान निर्मित कर उससे होने वाली आय से मंदिरों की व्यवस्था का संचालन करते हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में दान दक्षिणा पूरी तरह से बंद हो गई है, ज्यादातर बाजार और दुकाने बंद हैं. ऐसी स्थिति में मंदिर के संचालन के लिए समितियों के पास पैसे नहीं आ रहे हैं. राम मंदिर समिति के अध्यक्ष रमेश यादव बताते हैं कि लॉकडाउन में मंदिर का संचालन काफी कठिन हो गया है. दर्शनार्थियों को असुविधा हो गई है, जो प्रतिदिन मंदिर आते हैं, उनकी आस्था को ठेस पहुंच रही है.
श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट
लॉकडाउन के कारण मंदिर न खुलने से एक तरफ जहां मंदिरों के प्रबंधन और पुजारियों के जीवन पर असर पड़ी है, वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालुओ को भी ठेस पहुंची है. दर्शनार्थी शंकर लाल मेहरा कहते हैं कि शनिवार और मंगलवार को तो मंदिर जरूर खुलना चाहिए, क्योंकी लोगों की दो दिन में विशेष आस्था रहती है. शराबियों की शराब में आस्था है, तो श्रद्धालुओं की भगवान में आस्था है. वहीं विवेक जैन कहते हैं कि मंदिर बंद है, तो काफी दिक्कत हो रही है. जो लोग भगवान के दर्शन के बाद दिनचर्या शुरू करते थे, वह परेशान हैं. जब भगवान के दर्शन होंगे तभी तो ही बीमारी से मुक्ति मिलेगी. शराब के ठेके पर जाकर तकलीफ दूर नहीं होगी.
पुजारियों का जीवन हुआ मुश्किल
मंदिरों की व्यवस्था का संचालन और पुजारियों की जीवन यापन के लिए मंदिरों में होने वाली दान-दक्षिणा और चढ़ावा ही महत्वपूर्ण होता है. मंदिरों में यह व्यवस्था होती है कि जो दान पत्र में चढ़ावा चढ़ता है, वह मंदिरों की व्यवस्था संचालन में काम आता है और समिति के खाते में जाता है, लेकिन जो दान- दक्षिणा ईश्वर के चरणों में पड़ती है वह पुजारी के हिस्से में जाती है. लेकिन लॉकडाउन के कारण मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंच रहे हैं, तो मंदिरों में दान दक्षिणा भी नहीं आ रहा है. इन परिस्थितियों में मंदिरों के पुजारियों का जीवन दुष्कर हो गया है. जीवन यापन का संकट भोग रहे पुजारी चाहते हैं कि जिस तरह से मौलवी और इमामों के लिए मानदेय दिया जाता है, उसी तरह से पुजारियों को भी मानदेय दिया जाना चाहिए.
मध्य प्रदेश के कुछ प्रमुख मंदिरों की आमदनी पर गौर करें, एक बड़ी रकम है. वहीं कुछ इतनी ही रकम से स्थानिय दुकानदारों को भी मिल जाती है.
1- महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन - सालाना आमदनी 15 से 20 करोड़, महाशिवरात्रि में करीब एक करोड़ रुपए, सावन के महीने में करीब दो से तीन करोड़ रुपए.
2- ओमकारेश्वर मंदिर (खंडवा)- 30 से 40 लाख प्रतिमाह, सालाना 3.50 करोड़ रुपए.
3- रामराजा मंदिर (ओरछा)- 3.50 करोड़ रुपए प्रति वर्ष, रामनवमी और पुष्य नक्षत्र में विशेष आमदनी
4- पीतांबरा पीठ ( दतिया )- मासिक आमदनी 12 लाख रुपए, नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में विशेष आमदनी, वार्षिक आय करीब 2 करोड रुपए.
5- शारदा मंदिर ( मैहर )- ढाई से तीन करोड़ सालाना आमदनी, नवरात्रि पर विशेष आमदनी.
6-खजराना मंदिर (इंदौर)- 25 लाख रुपये मासिक, 3 करोड़ रुपए सालाना, नव वर्ष और गणेश चतुर्थी पर विशेष आमदनी.