भोपाल। राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में प्रदर्शन पर बैठे 500 से अधिक कोविड-19 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया था. जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संविदा स्वास्थ्य कर्मियों से अपने बंगले पर मुलाकात की है. जहां उन्होनें कर्मचारियों से बात की और उनकी समस्या जानी. कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात कर स्वास्थ्य कर्मियों की समस्या को सुलझाने का आश्वासन दिया है. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हुए इस बर्ताव पर शिवराज सरकार पर निशाना साधा था.
कमलनाथ का ट्वीट
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा था की कोरोना की इस महामारी में अपनी जान जोखिम में डाल सेवाएं देने वाले कोरोना वॉरियर्स भोपाल में अपनी जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. तब उन्हें न्याय दिलवाने की बजाय उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया. जो सम्मान के हकदार उनसे अपराधियों की तरह व्यवहार.
उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए लिखा कि जहां एक तरफ विश्व भर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है. वही दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीके से लाठियां बरसा रही है, यह घटना बेहद निंदनीय, मानवीयता और इंसानियत को शर्मसार करने वाली.
कमलनाथ के आरोप पर नरोत्तम मिश्रा का पलटवार
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आरोपों पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि कमलनाथ का ट्वीट देखा, लेकिन जब अतिथि विद्वान धरने पर बैठे थे. तब कमलनाथ वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल पर बैठे रहे. आज उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है.
क्या है मामला
राजधानी में फ्रंटलाइन पैरामेडिकल स्टाफ जिसे कोरोना महामारी के दौरान सरकारी सेवाएं देने के लिए बुलाया गया था. उन्हें डेली वेजेस के मुताबिक पैसा दिया गया है. महामारी के दौर में दिन-रात डटे रहे इन कोरोना वॉरियर्स को अब सरकार काम निकलने के बाद बाहर का रास्ता दिखाने में जुट गई है.
अब तक करीब 60 फीसदी कोरोना वॉरियर्स को सरकार बाहर का रास्ता दिखाकर, उनकी सेवाएं भी समाप्त कर चुकी है. ऐसे में अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर शहर के नीलम पार्क में पिछले तीन दिनों से स्वास्थ्यकर्मी धरना दे रहे हैं. गुरुवार शाम को भोपाल पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाईं और उनकी मांग के बदले उन्हें जख्म दिए.
कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश भर में 6 हजार से ज्यादा कोरोना वॉरियर्स सरकार ने तीन महीने के कॉन्ट्रैक्ट बेस पर नियुक्त किए गए थे. इन तीन महीनों में महामारी खत्म नहीं हुई. लेकिन सरकार ने किसी भी तरह से कोरोना वॉरियर्स से कांटेक्ट नहीं किया. और ये सभी लगातार 9 महीने तक सतत करते रहे. इन लोगों ने फ्रंट लाइन में आकर लोगों की सेवा की. अब इनका कहना है कि अगर सरकार ने हमें तीन महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा था तो हमें तीन महीने बाद निकाल देना चाहिए था.
47 स्वास्थ्यकर्मी हुए गिरफ्तार
गिरफ्तार हुए स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि सरकार ने हमारा इस्तेमाल किया और अब हमें निकाल रहे हैं. हमारी मांग है कि हमें रेग्युलर बेसिस पर नियुक्ति दें. संविदा के तहत काम कराएं. जो सैलरी अभी हमें मिल रही है, वही सैलरी सरकार हमें दें. कोरोना वॉरियर्स ने बताया कि पुलिस ने बलपूर्वक वहां से उन्हें हटाया है. इस दौरान पुलिस ने 47 स्वास्थ्यकर्मियों को गिरफ्तार भी किया है. हालांकि बढ़ते दबाव के बाद आखिर पुलिस ने 16 महिलाकर्मियों को देर रात करीब 12 बजे रिहा कर दिया. कुछ स्वास्थ्यकर्मी अपने परिजनों के साथ घर चले गए. बाकी कर्मियों की रहने की व्यवस्था पुलिस द्वारा की गई.
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महिलाओं पर भी किया गया लाठीचार्ज
इस प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल थीं. जिन पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाईं. संगठन के लोगों का आरोप है कि महिलाओं के साथ दूध मुंहे बच्चे भी मौजूद थे. लेकिन शासन-प्रशासन को किसी भी तरह की लाज नहीं आई. उन्होंने लाठीचार्ज कर दिया और गाड़ी में बैठा कर जेल भेज दिया.
जहांगीराबाद थाने में मामला दर्ज
कोविड-19 संगठन के लोगों पर जहांगीराबाद थाना में मामला दर्ज किया गया है. 47 प्रदर्शनकारियों और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 188 और 155 के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.