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लॉकडाउन में फसलें बर्बाद कर रहा टिड्डी दल, किसानों को प्रशासन ने दिया ये सुझाव - covid -19

कोरोना संकट के बीच प्रदेश में टिड्डी दल का आतंक किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है, जो फसलों को बर्बाद कर रहा है, जिसके बचाव और सतर्कता के लिए प्रशासन ने दिशा-निर्देश जारी किया है.

Instructions issued for locust rescue
टिड्डी दल से बचाव के सुझाव
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Published : May 21, 2020, 11:44 AM IST

भोपाल। कोरोना संकट के बीच प्रदेश में इस समय फसलों पर टिड्डी दल कहर बनकर टूट रहा है, जिसकी वजह से फसलें बर्बाद हो रही हैं. एक तरफ प्रदेश में कोविड-19 के चलते लॉकडाउन है तो वहीं दूसरी ओर फसलों पर टिड्डी दल के हमले से किसान परेशान हैं. इस स्थिति को देखते हुए संचालक, किसान कल्याण और कृषि विकास ने राजस्थान की सीमा से लगे मंदसौर, नीमच और उज्जैन जिले के कुछ क्षेत्रों में टिड्डी दल के आने पर प्रशासनिक जानकारी के आधार पर बचाव और सतर्कता के लिए निर्देश जारी किये गए हैं.

टिड्डी दल से होने वाले नुकसान को देखते हुए उक्त जिलों के किसानों को सलाह दी गयी है कि वे अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में रात के समय निगरानी करें. शाम 7 से 9 बजे के बीच टिड्डी दल रात्रि विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकता है. जिसकी पहचान और जानकारी के लिए स्थानीय स्तर पर दल का गठन कर सतत निगरानी रखेगा. टिड्डी दल का प्रकोप होने पर तत्काल स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग से संपर्क कर जानकारी दें.

साथ ही किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर या पौधों की डालों को हिलाकर अपने खेत से टिड्डी दलों को भगा सकते हैं. किसी क्षेत्र में शाम को टिड्डी दल का प्रकोप हुआ तो सुबह 3 बजे से 6 बजे तक कीटनाशक दवाएं जैसे- क्लोरपॉयरीफॉस-20 ईसी 1200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली और लेम्डासाइहेलोथ्रिन 5 ईसी 400 मिली, डाईफलूबिनज्यूरान 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर ट्रैक्टर चलित स्प्रे-पंप (पॉवर स्प्रे) से छिड़काव करें. टिड्डी दल के आक्रमण के समय यदि कीटनाशक दवाएं उपलब्ध न हो तो ट्रैक्टर चलित पॉवर-स्प्रे से तेज बौछार करके भी टिड्डी दल को भगाया जा सकता है.

भोपाल। कोरोना संकट के बीच प्रदेश में इस समय फसलों पर टिड्डी दल कहर बनकर टूट रहा है, जिसकी वजह से फसलें बर्बाद हो रही हैं. एक तरफ प्रदेश में कोविड-19 के चलते लॉकडाउन है तो वहीं दूसरी ओर फसलों पर टिड्डी दल के हमले से किसान परेशान हैं. इस स्थिति को देखते हुए संचालक, किसान कल्याण और कृषि विकास ने राजस्थान की सीमा से लगे मंदसौर, नीमच और उज्जैन जिले के कुछ क्षेत्रों में टिड्डी दल के आने पर प्रशासनिक जानकारी के आधार पर बचाव और सतर्कता के लिए निर्देश जारी किये गए हैं.

टिड्डी दल से होने वाले नुकसान को देखते हुए उक्त जिलों के किसानों को सलाह दी गयी है कि वे अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में रात के समय निगरानी करें. शाम 7 से 9 बजे के बीच टिड्डी दल रात्रि विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकता है. जिसकी पहचान और जानकारी के लिए स्थानीय स्तर पर दल का गठन कर सतत निगरानी रखेगा. टिड्डी दल का प्रकोप होने पर तत्काल स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग से संपर्क कर जानकारी दें.

साथ ही किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर या पौधों की डालों को हिलाकर अपने खेत से टिड्डी दलों को भगा सकते हैं. किसी क्षेत्र में शाम को टिड्डी दल का प्रकोप हुआ तो सुबह 3 बजे से 6 बजे तक कीटनाशक दवाएं जैसे- क्लोरपॉयरीफॉस-20 ईसी 1200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली और लेम्डासाइहेलोथ्रिन 5 ईसी 400 मिली, डाईफलूबिनज्यूरान 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर ट्रैक्टर चलित स्प्रे-पंप (पॉवर स्प्रे) से छिड़काव करें. टिड्डी दल के आक्रमण के समय यदि कीटनाशक दवाएं उपलब्ध न हो तो ट्रैक्टर चलित पॉवर-स्प्रे से तेज बौछार करके भी टिड्डी दल को भगाया जा सकता है.

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