भोपाल। शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 3 साल का रोडमैप जारी कर दिया है. भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थव्यवस्था- स्वरोजगार के 56 बिंदुओं को जमीन पर उतारकर प्रदेश को विकसित राज्य बनाया जाएगा. मिंटो हॉल में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को सौंपा. उन्होंने कहा कि रोडमैप की हर महीने समीक्षा की जाएगी.
मॉनिटरिंग के लिए गठित होगी कमेटी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की संकल्पना को जमीन पर उतारने के लिए पूरे मेहनत से जुट गए हैं. रोडमैप को चार हिस्सों में बांटा गया है, भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था-स्वरोजगार. इन चार सेक्टरों के अलग-अलग बिंदुओं पर काम किया जाएगा. आर्थिक संसाधनों का बंटवारा कैसे हो, जिसमें गरीबों को पूरा न्याय मिले, साथ ही रोजगार और अर्थव्यवस्था मजबूत हो, इस पर पूर ध्यान दिया जाएगा. रोडमैप के बिंदुओं और योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी-कर्मचारियों से लेकर जनता तक को इसमें जोड़ा जाएगा. ग्राम पंचायत स्तर पर भी क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि रोडमैप में समय सीमा तय की गई है, लेकिन मौजूदा आर्थिक हालत के चलते इसमें कुछ और समय लग सकता है.
मुख्य बिंदु
- प्रदेश में 10 हजार संसाधन संपन्न स्कूलों की स्थापना का लक्ष्य.
- चंबल प्रोग्रेस-वे परियोजनाओं के लिए वन भूमि और दूसरी स्वीकृतियों पर कार्रवाई. एमपीआरडीसी द्वारा ऑनलाइन पोर्टल अगले तीन साल में विकसित किया जाएगा.
- मध्यप्रदेश राज्य को भंडारण एवं लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने के लिए मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना मार्च 2024 तक.
- एंड-टू-एंड इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक संचालन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण मार्च 2023 तक.
- राज्य के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए वर्तमान आवंटन 4.8 फीसदी को बढ़ाकर 8 फीसदी तक वृद्धि दिसंबर 2024 तक की जाएगी.
- 362 आयुष हेल्थ एवं वैलनेस केन्द्रों की स्थापना दिसंबर 2024 तक की जाएगी.
- राज्य के पिछले क्षेत्रों में 311 नए उप स्वास्थ्य केन्द्र और 308 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण, 61 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उन्नयन दिसंबर 2024 तक का लक्ष्य.
- भोपाल और इंदौर में आयुष सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों की स्थापना का दिसंबर 2023 तक का लक्ष्य.
- नए मेडिकल कॉलेजों और सुपर स्पेशलाइज्ड अस्पतालों की स्थापना करने के लिए दिसंबर 2023 तक का लक्ष्य.
- प्रदेश मक्का, धान, सरसों आदि के हाइब्रिड बीज उत्पादन का हब बनाया जाएगा. इसके लिए तीन साल का लक्ष्य रखा गया है.
- चिन्हित बागवानी क्लस्टरों में 1 लाख मीट्रिक टन तक की क्षमता वाले संग्रह केन्द्रों की स्थापना की जाएगी, जिसमें ग्रेडिंग, पैक हाउस और राइपेनिंग चेंबर जैसी सुविधाएं होंगी.इसके लिए तीन साल का लक्ष्य
- एक जिला एक उत्पाद के तहत खेती क्षेत्र के करीब खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाएगी. मार्केट लिंकेज और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा के लिए 3 साल का लक्ष्य रखा गया.
- चंबल प्रोग्रेस वे और नर्मदा एक्सप्रेस वे की निकटता वाले क्षेत्र में एमएसएमई के लिए विश्व स्तरीय ओद्योगिक कॉरीडोर विकसित किया जाएगा. इसके लिए 3 साल का लक्ष्य है.
- मालवा-इंदौर, झांसी-ग्वालियर, भोपाल-इटारसी, सतना- जबलपुर आदि क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय कॉरीडोर विकास और क्रियांवयन ट्रस्ट से सहयोग लिया जाएगा. इसके लिए तीन साल का लक्ष्य.
- भोपाल-इंदौर, भोपाल-बीना, जबलपुर सिंगरौली और मुरैना-बीना के चार निवेश कॉरिडोर में लागू करने के लिए तीन साल का लक्ष्य.
आर्थिक व्यवस्था के लिए निजी क्षेत्र से सहयोग लेगी सरकार
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप को जमीन पर उतारने के लिए सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती लड़खड़ाई आर्थिक व्यवस्था है. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक प्रदेश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल में ध्वस्त हो चुकी है. सरकार ने धन की व्यवस्था की है. आउट ऑफ बजट कैसे धन की व्यवस्था हो सकती है, इसके लिए प्रयास किया जाएगा.निजी क्षेत्रों को भी इसमें जोड़ा जाएगा.