भोपाल। टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में पिछले तीन सालों में 25 बाघों की मौत हो गई है. चौकानें वाली बात तो यह है कि, इनमें से 25 बाघों की मौत शिकार के चलते हुई है, तो वहीं कुछ की मौत वृध्दावस्था, बीमारी और आपसी लड़ाई के चलते हुई है. हाल ही में यह जानकारी वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने विधानसभा में दी.
शिकारियों का शिकार बने 25 बाघ
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है, लेकिन टाइगर स्टेट में ही टाइगर्स पर वन विभाग का कोई ध्यान नहीं है. आलम यह है कि, पिछले तीन साल यानी कि, साल 2018 से लेकर साल 2021 तक 93 बाघों की मौत हो चुकी है. चौकानें वाली बात यह है कि, इनमें से 25 बाघ शिकारियों का शिकार हुए है. इसके अलावा शेष बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों जैसे बीमारी, आपसी लड़ाई, वृद्धावस्था के कारण हुई है. हालांकि इन पिछले तीन सालों में बाघों के शिकार के मामले में 25 प्रकरण दर्ज किए गए है, जिनमें लगभग 77 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है.
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526 बाघों के साथ प्रदेश बना टाइगर स्टेट
बता दें कि, 31 जुलाई 2019 को जारी हुए राष्ट्रीय बाघ आंकलन रिपोर्ट 2018 के मुताबिक, 526 बाघों के साथ मध्य प्रदेश ने टाइगर स्टेट का अपना खोया हुआ दर्जा कर्नाटक से कई सालों बाद फिर से हासिल किया है. इससे पहले साल 2006 में भी मध्य प्रदेश को 300 बाघ होने के कारण टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, लेकिन शिकार और अन्य कारणों से साल 2010 में प्रदेश में बाघों की संख्या घटकर 257 रह गई थी, जिसके कारण कर्नाटक ने मध्य प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छीन लिया था. तब कर्नाटक में 300 बाघ थे, लेकिन अब फिर से प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है. वन्यप्राणी प्रेमियों का कहना है कि मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा तो प्राप्त है, लेकिन यहां सरकार और वन विभाग टाइगर्स को लेकर लापरवाही बरतते है, जिसके चलते बाघों की संख्या प्रदेश में लगातार घट रही है.