भोपाल| शहर में कोरोना वायरस का असर लगातार बढ़ता जा रहा है. जब से अनलॉक-1 की शुरुआत हुई है, तब से लोग लगातार सड़कों पर ही दिखाई दे रहे हैं और लगातार नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. यहां तक की राजधानी भोपाल के मार्केट में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में अब तेजी से संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. यहां तक कि राजधानी के अब वे क्षेत्र भी संक्रमित हो चुके हैं जो अब तक सुरक्षित माने जा रहे थे. वहीं दूसरी ओर सरकार के सामने कोरोना से सामुदायिक संक्रमण (कम्यूनिटी स्प्रेड) पता लगाने की भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि राजधानी में लगातार कम्यूनिटी स्प्रेड की आशंका व्यक्त की जा रही है.
कोरोना के कम्यूनिटी स्प्रेड की आशंका देश के कुछ चिकित्सक और वैज्ञानिक शुरू से जता रहे हैं. यही वजह है कि इसकी हकीकत को पता लगाने के लिए इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), एम्स भोपाल नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल(एनसीडीसी) और मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर भोपाल में 250 लोगों के खून के सैंपल लिए हैं, इन सैंपल से कोरोना होने पर बनने वाली एंटीबॉडी की जांच की जाएगी.
इसमें उन लोगों को शामिल किया गया है जो कोरोना के लिए ज्यादा जोखिम में थे लेकिन अभी तक इन लोगों ने जांच नहीं करवाई गई है या किसी कारण से इन लोगों की जांच नहीं हो पाई है. इनकी रिपोर्ट आने पर बहुत कुछ स्थिति साफ हो जाएगी कि भोपाल में कोरोना का कम्यूनिटी स्प्रेड तो नहीं चल रहा है.
मध्यप्रदेश में भोपाल के अलावा इंदौर में भी 250 लोगों पर अध्ययन किया जा रहा है. प्रदेश में सबसे ज्यादा इंदौर और इसके बाद भोपाल में कोरोना संक्रमित लोग मिले हैं. इसी वजह से इन दोनों ही प्रमुख शहरों को अध्ययन में शामिल किया गया है. जानकारी के अनुसार कोरोना होने के करीब 15 दिन बाद संक्रमित के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है इससे इस बात की पुष्टि होती है कि अमुक व्यक्ति को कोरोना वायरस हो चुका है. भोपाल में इस अध्ययन के लिए सैंपल लेने का काम पूरा हो चुका है अब इसकी रिपोर्ट आईसीएमआर की तरफ से कुछ दिनों बाद जारी की जाएगी.