भोपाल। कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन का असर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर भी पड़ा है. प्रदेश में सरकार ने 10वीं क्लास के बचे हुए पेपर नहीं लिए हैं और बच्चों को जनरल प्रमोशन देते हुए पास कर दिया गया है. लेकिन कक्षा बारहवीं के बचे हुए पेपर लिए गए हैं और अब सभी विद्यार्थियों को अपने परीक्षा परिणामों का इंतजार है. माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से भी परिणामों को लेकर युद्ध स्तर पर तैयारी चल रही है. माध्यमिक शिक्षा मंडल की कोशिश है कि 10वीं क्लास के रिजल्ट जुलाई के पहले सप्ताह और 12वीं क्लास के रिजल्ट जुलाई के तीसरे सप्ताह में घोषित किए जाएं, जिसे देखते हुए मूल्यांकन का काम भी और तेज कर दिया गया है.
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प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी ने बताया कि प्रदेश में 10वीं के परिणाम जुलाई के पहले सप्ताह और 12वीं के परिणाम जुलाई के तीसरे सप्ताह में आने की संभावना है. मूल्यांकन का काम तेजी से चल रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि 10वीं और 12वीं के रिजल्ट आने से पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल में हेल्पलाइन नंबर की संख्या चार गुना बढ़ा दी है. अभी फिलहाल रोजाना करीब दो हजार फोन आ रहे हैं और अब तक करीब 91 हजार फोन आ चुके हैं.
आ रहे फोन कॉल में विद्यार्थियों द्वारा न सिर्फ रिजल्ट को लेकर ही सवाल पूछे जा रहे हैं, बल्कि कई विद्यार्थी यह भी बता रहे हैं कि उनके कुछ पेपर अच्छे नहीं गए हैं तो क्या उनके फेल होने की संभावना है. ऐसे विद्यार्थियों को काउंसलर द्वारा लगातार समझाइश दी जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से तैयारी करने की जरूरत है. इसके अलावा अभिभावकों को भी सलाह दी जा रही है कि बच्चों का ध्यान रखें और उनका आकलन अंकों के आधार पर कतई न करें.
विद्यार्थियों को दी जा रही सलाह
- जैसा भी रिजल्ट आए, उसे हर हाल में सहर्ष स्वीकार करें.
- अगर उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आया है तो घबराने की कोई बात नहीं है.
- आने वाला परीक्षा परिणाम अंतिम नहीं है इसका हमेशा ध्यान रखें.
- कभी भी अपने रिजल्ट की तुलना दोस्तों से न करें.
- कभी भी निराश न हो बल्कि दोगने उत्साह के साथ पढ़ाई करें.
- परीक्षा परिणामों में मिले अंकों के आधार पर आपकी प्रतिभा का आकलन नहीं किया जा सकता है.
- अपने आप पर हमेशा विश्वास रखें, आप जरूर कामयाब होंगे.
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अभिभावकों को भी दी जा रही सलाह
- बच्चों का अंको से आकलन न करें.
- कम अंक आने पर उनकी तुलना दूसरे बच्चों से न करें.
- तुलना करने से बच्चों के अंदर खुद से प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाती है.
- रिजल्ट आने के बाद बच्चों पर नजर रखें.
- अभिभावक ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताएं.
- बच्चों से ज्यादा समय तक बातचीत करें.