भोपाल। पन्ना में परिवार की लड़की को घर से भागने में मदद करने के शक में उसकी सहेली की आंखों में कथित रूप से तेजाब डालने (Panna Acid Attack) की सूचना से सनसनी फैल गई, राज्य में इस तरह की ये कोई पहली घटना नहीं हैं, पिछले 6 सालों में एसिड अटैक की करीब 100 घटनाएं हो चुकी हैं. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश एसिड अटैक की घटनाओं के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है. वैसे कानून में ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं, एसिड अटैक की कोशिश करने पर भी कड़ी सजा के कानूनी प्रावधान हैं. इसके बावजूद इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है.
एसिड अटैक में देश में तीसरे स्थान पर एमपी
तमाम सख्ती के बाद भी एसिड अटैक की भयाभह घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं, पिछले साल देश भर में 179 घटनाएं एसिड अटैक की हुई, इसमें से 13 घटनाएं मध्यप्रदेश की हैं. एसिड अटैक की घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है, इस तरह की सबसे ज्यादा घटनाएं पश्चिम बंगाल में 51 हुई हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 30 और मध्यप्रदेश में साल 2020 में 13 घटनाएं हुई थी. इस साल प्रदेश में एसिड अटैक की तीन घटनाएं अब तक हो चुकी हैं.
6 साल में करीब 100 घटनाएं हुई
मध्यप्रदेश में पिछले 6 सालों में एसिड अटैक (MP Ranks Third in Acid Attack) की करीब 100 घटनाएं हो चुकी हैं, महिला अधिकार कार्यकर्ता रोली शिवहरे के सूचना का अधिकार कानून के जरिए मांगी गई जानकारी से पता चला है कि एसिड अटैक की सबसे ज्यादा घटनाएं इंदौर में हुई हैं.
- साल 2015 में 18
- साल 2016 में 9
- साल 2017 में 13
- साल 2018 में 30
- साल 2019 में 16
- साल 2020 में 13
इस साल ये घटनाएं हुई
- 28 जून 2021 को ग्वालियर में नवविवाहिता को उसके पति ने जबरन तेजाब पिला दिया था, जिसकी दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई, आरोपी दहेज की मांग को लेकर परेशान कर रहा था.
- 18 जून 2021 को रीवा जिले के पनासी गांव में दो बच्चों के पिता ने दो नाबालिग भातीजियों के साथ सो रही युवती पर एसिड फेंक दिया था, आरोपी युवती से एकतरफा प्रेम करता था. युवती के शादी करने से इनकार करने पर आरोपी ने तेजाब फेंक दिया था, जिसमें युवती बुरी तरह झुलस गई थी.
पन्ना की घटना में नहीं हुआ एसिड का उपयोग: गृह मंत्री
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पन्ना एसिड अटैक की घटना पर कहा है कि प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, पन्ना जिले के पवई थाना क्षेत्र की घटना प्रदेश को देश भर में शर्मसार और कलंकित करने वाली है. उधर पन्ना की दर्दनाक घटना पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, आरोपियों ने बताया है कि उन्होंने अकउआ का दूध पानी में मिलाकर पीड़िता की आंखों में डाला था, जिसके चलते पीड़िता की आंखों को नुकसान नहीं पहुंचा है, उसका इलाज कराया जा रहा है. आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.
कड़ी निगरानी में हो एसिड की बिक्री: रिटायर्ड डीजी
एसिड अटैक की घटनाओं पर शिकंजा कसने के लिए राज्य सरकार ने एसिड बिक्री के लिए सख्त प्रावधान किए हैं, नियमों के मुताबिक एसिड बेचते समय संबंधित व्यक्ति से खरीदने का कारण और उसकी पूरी जानकारी रजिस्टर में नोट करके रखनी पड़ती है, इसके बाद भी कोई भी व्यक्ति आसानी से इसे खरीद लेता है. रिटायर्ड डीजी आरएलएस यादव कहते हैं कि एसिड अटैक की घटनाओं को रोकने के लिए आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और एसिड की बिक्री पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है. वैसे पिछले कुछ समय में इस तरह की घटनाओं में कमी आई है. पहले जबलपुर में इस तरह की बहुत घटनाएं होती थी, बाद में सख्ती के बाद इसमें कमी आई है.
एसिड अटैक की कोशिश भी गंभीर अपराध
भारतीय दंड संहिता में न केवल एसिड अटैक के लिए बड़ी सजा का प्रावधान है, बल्कि यदि कोई एसिड अटैक की कोशिश भी करता है तो भी उसे कानून में गंभीर अपराध माना गया है. एसिड अटैक की कोशिश को हत्या के प्रयास जैसा गंभीर माना गया है. जस्टिस जेएस वर्मा कमीशन की सिफारिश पर आईपीसी में नए प्रावधान किए गए थे, इसके बाद एसिड अटैक रोकने के लिए आईपीसी की धारा 326क और 326ख अस्तित्व में आई.
यह है कानूनी प्रावधान
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 326(ए) और 326(बी) के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
- धारा-326क: यदि कोई व्यक्ति किसी पर एसिड फेंकता है, जिससे व्यक्ति झुलसता है, उसका अंग खराब होता है या जख्म होता है तो दोष साबित होने पर कम से कम दस साल की सजा से लेकर उम्र कैद तक हो सकती है, इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है, जिसे पीड़ित को दिया जाता है.
- धारा-326ख: इसके तहत यदि कोई किसी के अंग खराब करने या नुकसान पहुंचाने की नीयत से एसिड फेंकने की कोशिश करता है तो उस पर ये धारा लगाई जाती है, कोशिश करने मात्र पर उसे पांच साल तक की सजा से 10 साल तक की सजा हो सकती है.
देश में पहला तेजाब कांड जबलपुर में ही हुआ था, जहां सर्राफा बाजार में एक पहलवान के ऊपर कुछ लोगों ने तेजाब डाल दिया था, उसके बाद यह सिलसिला चल निकला, फिर कुछ महिलाओं पर तेजाब डाला गया और यहां तक कि एक बच्चा भी इसका शिकार हुआ था, यह आज से लगभग 35 से 40 वर्ष पुरानी घटनाएं हैं, इसके बाद जबलपुर में तेजाब के मामले में काफी सख्ती बरती गई और जबलपुर में एसिड अटैक की घटनाएं कम होती गईं.
सर्राफा इलाके में आज भी हैं तेजाब की दुकानें
आज भी जबलपुर के सर्राफा इलाके में तेजाब की कई दुकानें संचालित हो रही हैं, जहां आसानी से तेजाब खरीदा और बेचा जा सकता है. एक तेजाब वाले के यहां जाकर बात करने पर उसने बताया कि वह तेजाब का पक्का काम करता है, पक्के काम से आशय उसके पास तेजाब बेचने का लाइसेंस भी है, उसका जीएसटी नंबर भी है और वह किसी भी अनजान आदमी को तेजाब नहीं देता है, जिसे भी तेजाब दिया जाता है, उसका नाम पता और जीएसटी नंबर नोट किया जाता है, इसके बाद ही तेजाब खरीदने की अनुमति मिलती है. सामान्य तौर पर सोने-चांदी के आभूषण बनाने वाले लोग हाइड्रोजन क्लोराइड और नाइट्रिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं, यदि इन दोनों ही एसिड को आपस में मिला दिया जाए तो तेजाब बन जाता है, जो काफी खतरनाक होता है और यदि यह शरीर पर पड़ जाए तो इससे शरीर जल सकता है.
एसिड का गैरकानूनी कारोबार!
तेजाब बेचने का कानून सख्त है और इसकी अनुमति एसडीएम स्तर का अधिकारी ही देता है, इसे गैरकानूनी ढंग से बेचने पर सजा का प्रावधान भी है, इसके बाद भी कई दुकानदार बिना रजिस्ट्रेशन के तेजाब की दुकान चला रहे हैं, बातचीच में पता चला कि उसके पास कोई डाटा नहीं है कि वह किसे तेजाब बेच रहा है. न ही नियम-कानून की जानकारी थी, जिन लोगों को अपराध करना होता है, वो ऐसे ही लोगों से तेजाब खरीद कर ले जाते हैं. पन्ना की घटना के बाद से एक बार फिर तेजाब की खरीद-बिक्री पर प्रशासन की निगाह होगी और हो सकता है कि इन दुकानों पर छापे भी मारे जाएं, लेकिन यह कारोबार से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थ है, इसलिए इसकी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग सकता क्योंकि बिना तेजाब के सोने-चांदी के आभूषण नहीं बनाए जा सकते हैं, इसलिए बाजार में इसकी उपलब्धता तो हमेशा रहेगी ही, अब उस पर नियंत्रण कैसे करना है, यह प्रशासन को सोचना होगा.