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100 करोड़ का बायो फर्टिलाइजर तो खरीदा, लेकिन आदिवासियों तक नहीं पहुंचा लाभ, जांच शुरू

आदिवासी किसानों के लिए बायो फर्टिलाइजर खरीदी में गड़बड़ी सामने आई है. जिसमें करीब 100 करोड़ रुपए का बायो फर्टीलाइजर खरीदा गया था, जिसका लाभ किसानों को अभी तक नहीं मिला है.

100 करोड़ के बायो फर्टीलाइजर खरीद में गड़बड़ी
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Published : Oct 11, 2019, 10:35 AM IST

भोपाल। सरकारी योजनाओं में गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही है. आदिवासी किसानों की आजीविका को ठीक करने बायोफर्टिलाइजर खरीदी में गड़बड़ी सामने आई है. साल 2016-17 और 2017-18 में 100 करोड़ रुपए बायोफर्टिलाइजर खरीदा गया था, जो अब तक किसानों तक नहीं पहुंचा है. मामले का खुलासा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने इस राशि की उपयोगिता की प्रमाण पत्र मांगे. जिसके बाद पूरे मामले की जांच के लिए एक दल गठित किया गया है. जिसमें 7 विधायकों के साथ आयुक्त अनुसूचित जनजाति कल्याण और संचालक कृषि को रखा गया है.

किसानों को दिए जाने वाले बायोफर्टिलाइजर योजना में केंद्र सरकार को 60 फीसदी और प्रदेश सरकार को 40 फीसदी का व्यय करना था. जिसके तहत जैविक कृषि सहायता कार्यक्रम के तहत उपरोक्त राशि मिली है. इस योजना का लाभ शिवपुर, रतलाम, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, खरगोन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, सीधी, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर के आदिवासियों को मिलना था.

आदिवासी किसानों को बायोलॉजिकल नाइट्रेट, हरी खाद प्रयोग के लिए सहायता तरल जैव उर्वरक सहायता, जय पेस्टिसाइड फास्फेट रिचार्ज निक के प्रयोग के लिए मदद और प्रोसेसिंग पैकिंग मैटेरियल उपलब्ध कराए जाने थे, लेकिन जांच कमेटी में शामिल विधायकों ने आरोप लगाए कि आदिवासी किसानों तक मदद पहुंची नहीं है.

वहीं जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव दीपक खांडेकर ने जांच को लेकर मुख्य सचिव एसआर मोहंती को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस स्कीम में 3.19 लाख लोगों के साथ 1 लाख 98000 हेक्टेयर भूमि का फायदा होना था, लेकिन इसकी शिकायतें केंद्र तक पहुंची है. इसलिए इसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द भेजे जाऐंगे.

भोपाल। सरकारी योजनाओं में गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही है. आदिवासी किसानों की आजीविका को ठीक करने बायोफर्टिलाइजर खरीदी में गड़बड़ी सामने आई है. साल 2016-17 और 2017-18 में 100 करोड़ रुपए बायोफर्टिलाइजर खरीदा गया था, जो अब तक किसानों तक नहीं पहुंचा है. मामले का खुलासा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने इस राशि की उपयोगिता की प्रमाण पत्र मांगे. जिसके बाद पूरे मामले की जांच के लिए एक दल गठित किया गया है. जिसमें 7 विधायकों के साथ आयुक्त अनुसूचित जनजाति कल्याण और संचालक कृषि को रखा गया है.

किसानों को दिए जाने वाले बायोफर्टिलाइजर योजना में केंद्र सरकार को 60 फीसदी और प्रदेश सरकार को 40 फीसदी का व्यय करना था. जिसके तहत जैविक कृषि सहायता कार्यक्रम के तहत उपरोक्त राशि मिली है. इस योजना का लाभ शिवपुर, रतलाम, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, खरगोन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, सीधी, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर के आदिवासियों को मिलना था.

आदिवासी किसानों को बायोलॉजिकल नाइट्रेट, हरी खाद प्रयोग के लिए सहायता तरल जैव उर्वरक सहायता, जय पेस्टिसाइड फास्फेट रिचार्ज निक के प्रयोग के लिए मदद और प्रोसेसिंग पैकिंग मैटेरियल उपलब्ध कराए जाने थे, लेकिन जांच कमेटी में शामिल विधायकों ने आरोप लगाए कि आदिवासी किसानों तक मदद पहुंची नहीं है.

वहीं जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव दीपक खांडेकर ने जांच को लेकर मुख्य सचिव एसआर मोहंती को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस स्कीम में 3.19 लाख लोगों के साथ 1 लाख 98000 हेक्टेयर भूमि का फायदा होना था, लेकिन इसकी शिकायतें केंद्र तक पहुंची है. इसलिए इसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द भेजे जाऐंगे.

Intro:भोपाल। सरकारी योजनाओं में गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही है। अब आदिवासी किसानों की आजीविका को ठीक करने बायोफर्टिलाइजर खरीदी में गड़बड़ी सामने आई है। वर्ष 2016 17 और 2017-18 में 100 करोड रुपए से खरीदा गया बायोफर्टिलाइजर किसानों तक पहुंचा ही नहीं। मामले का खुलासा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने इस राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगे। मामले की जांच के लिए एक दल गठित किया गया है जिसमें 7 विधायकों के साथ आयुक्त अनुसूचित जनजाति कल्याण हो और संचालक कृषि को रखा गया है।


Body:इस योजना में केंद्र सरकार को 60 फीसदी और प्रदेश सरकार को 40 फीसदी का व्यय करना था। इसी के तहत जैविक कृषि आदान सहायता कार्यक्रम के तहत उपरोक्त राशि मिली। इसमें शिवपुर रतलाम धार अलीराजपुर झाबुआ खरगोन बड़वानी खंडवा बुरहानपुर बैतूल होशंगाबाद छिंदवाड़ा सिवनी मंडला बालाघाट डिंडोरी सीधी उमरिया शहडोल और अनूपपुर के आदिवासियों को योजना का लाभ मिलना था। आदिवासी किसानों को बायो लॉजिकल नाइट्रेट हरी खाद प्रयोग के लिए सहायता तरल जैव उर्वरक सहायता जय पेस्टिसाइड फास्फेट रिचार्ज निक के प्रयोग के लिए मदद और प्रोसेसिंग पैकिंग मैटेरियल उपलब्ध कराए जाने थे लेकिन जांच कमेटी में शामिल विधायकों ने आरोप लगाए कि आदिवासी किसानों तक मदद पहुंची ही नहीं। जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव दीपक खांडेकर ने इसको लेकर मुख्य सचिव एसआर मोहंती को भी पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि इस स्कीम में 3.19 लाख लोगों के साथ 1लाख 98000 हेक्टेयर भूमि को फायदा होना था लेकिन इसकी शिकायतें केंद्र तक पहुंची है इसलिए इसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द भेजे जाए।

जांच दल में 7 विधायक शामिल
जांच दल में पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदे लाल मार्को, चित्रकूट के नीलांशु चतुर्वेदी, बेहर के संजय उइके, लखनादौन की योगेंद्र सिंह बाबा, सरदारपुर के प्रताप ग्रेवाल, कोतमा के सुनील शराब और बड़वारा की विधायक बृजेश राघवेंद्र सिंह शामिल है।


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