भोपाल। सरकारी योजनाओं में गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही है. आदिवासी किसानों की आजीविका को ठीक करने बायोफर्टिलाइजर खरीदी में गड़बड़ी सामने आई है. साल 2016-17 और 2017-18 में 100 करोड़ रुपए बायोफर्टिलाइजर खरीदा गया था, जो अब तक किसानों तक नहीं पहुंचा है. मामले का खुलासा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने इस राशि की उपयोगिता की प्रमाण पत्र मांगे. जिसके बाद पूरे मामले की जांच के लिए एक दल गठित किया गया है. जिसमें 7 विधायकों के साथ आयुक्त अनुसूचित जनजाति कल्याण और संचालक कृषि को रखा गया है.
किसानों को दिए जाने वाले बायोफर्टिलाइजर योजना में केंद्र सरकार को 60 फीसदी और प्रदेश सरकार को 40 फीसदी का व्यय करना था. जिसके तहत जैविक कृषि सहायता कार्यक्रम के तहत उपरोक्त राशि मिली है. इस योजना का लाभ शिवपुर, रतलाम, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, खरगोन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, सीधी, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर के आदिवासियों को मिलना था.
आदिवासी किसानों को बायोलॉजिकल नाइट्रेट, हरी खाद प्रयोग के लिए सहायता तरल जैव उर्वरक सहायता, जय पेस्टिसाइड फास्फेट रिचार्ज निक के प्रयोग के लिए मदद और प्रोसेसिंग पैकिंग मैटेरियल उपलब्ध कराए जाने थे, लेकिन जांच कमेटी में शामिल विधायकों ने आरोप लगाए कि आदिवासी किसानों तक मदद पहुंची नहीं है.
वहीं जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव दीपक खांडेकर ने जांच को लेकर मुख्य सचिव एसआर मोहंती को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस स्कीम में 3.19 लाख लोगों के साथ 1 लाख 98000 हेक्टेयर भूमि का फायदा होना था, लेकिन इसकी शिकायतें केंद्र तक पहुंची है. इसलिए इसकी उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द भेजे जाऐंगे.