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तीन ग्रामीणों की भी प्यास नहीं बुझा पायी 23 लाख की लागत से बनी पानी की टंकी - khadegaon

खड़ेगांव में नलजल योजना के तहत 11 साल पहले 23 लाख की लागत से पानी की टंकी बनाई गई थी, लेकिन आज तक ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज हैं.

23 लाख की टंकी फिर भी ग्रामीण परेशान
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Published : Jun 10, 2019, 4:58 PM IST

भिंड। खड़ेगांव में 23 लाख रुपये की लागत से बनी पानी की टंकी पीएचई विभाग के भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है. करीब 11 साल पहले 2 मई 2008 को नल जल योजना का शिलान्यास किया गया था. जिसके लिए 23 लाख रुपए की लागत से टंकी का निर्माण कराया गया था, लेकिन आज तक न तो गांव वालों को पानी मिला, न ही कोई जिम्मेदार इसकी सुध लेने पहुंचा.

23 लाख की टंकी फिर भी ग्रामीण परेशान

ग्रामीण बताते हैं कि गांव में खारा पानी आता है, जिसका इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता. ऐसे में गांव का एकमात्र हैंडपंप है, जोकि खराब पड़ा है. इसलिए ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर लगे ट्यूबवेल से पानी लाना पड़ता है. कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ग्रामाणों की परेशानी पर ध्यान नहीं देता.

पीएचई विभाग के प्रभारी ईई डीआर जर्मन ने तो इस योजना से साफ इनकार कर दिया. उनके मुताबिक टंकी से पानी नहीं निकला था, इसलिए इस योजना को रोक दिया गया था. यहां तक की ठेकेदार को पैसे भी नहीं दिए गए थे. अब ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाए जाने की बात कह रहे हैं.

भले ही अधिकारी ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाकर पानी की व्यवस्था की बात कह रहे हैं, लेकिन ऐसे में नल जल योजना में हुए भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता.

भिंड। खड़ेगांव में 23 लाख रुपये की लागत से बनी पानी की टंकी पीएचई विभाग के भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है. करीब 11 साल पहले 2 मई 2008 को नल जल योजना का शिलान्यास किया गया था. जिसके लिए 23 लाख रुपए की लागत से टंकी का निर्माण कराया गया था, लेकिन आज तक न तो गांव वालों को पानी मिला, न ही कोई जिम्मेदार इसकी सुध लेने पहुंचा.

23 लाख की टंकी फिर भी ग्रामीण परेशान

ग्रामीण बताते हैं कि गांव में खारा पानी आता है, जिसका इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता. ऐसे में गांव का एकमात्र हैंडपंप है, जोकि खराब पड़ा है. इसलिए ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर लगे ट्यूबवेल से पानी लाना पड़ता है. कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ग्रामाणों की परेशानी पर ध्यान नहीं देता.

पीएचई विभाग के प्रभारी ईई डीआर जर्मन ने तो इस योजना से साफ इनकार कर दिया. उनके मुताबिक टंकी से पानी नहीं निकला था, इसलिए इस योजना को रोक दिया गया था. यहां तक की ठेकेदार को पैसे भी नहीं दिए गए थे. अब ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाए जाने की बात कह रहे हैं.

भले ही अधिकारी ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाकर पानी की व्यवस्था की बात कह रहे हैं, लेकिन ऐसे में नल जल योजना में हुए भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता.

Intro:अब तक आपने पानी की कई टंकियां देखी होंगी लेकिन आज हम एक ऐसी ऐतिहासिक टंकी के बारे में आपको बता रहे हैं जो शायद सोने से बनाई गई है आपको सुनकर भले ही आश्चर्य हो लेकिन जो टंकी आपको इन तस्वीरों में दिखाई दे रही है यह टंकी पीएचई विभाग के घोटाले का सबूत है क्योंकि गोहद जनपद पंचायत के एक गांव में इस टंकी को बनाने में शायद पीएचई विभाग ने 23 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं


Body:मामला खड़े गांव का है जहां आज से करीब 11 साल पहले 2 मई 2008 को 23 लाख रुपए की लागत से नल जल योजना का शिलान्यास किया गया था लेकिन इस गांव में रहने वाले लोग आज भी पानी के लिए तरस रहे हैं ग्रामीणों का कहना है कि गांव में खारा पानी आता है जिसे पीने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता इस खारे पानी की वजह से ग्रामीणों के मवेशी भी ज्यादा जी नहीं पाते गांव का एकमात्र हैंडपंप भी खराब पड़ा हुआ है ऐसे में करीब 1 किलोमीटर दूर खेत में लगे ट्यूबवेल से ग्रामीणों को पीने लायक पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इन ग्रामीणों की परेशानियों की सुध नहीं लेता

बाइट- पान सिंह, ग्रामीण
बाइट- राकेश बघेल, सरपंच पति


स्थापन भरी धूप में 1 किलोमीटर दूर से पानी लाना कितना मुश्किल है यह बताने की जरूरत नहीं ऐसे में लोग पानी के टैंकर भरवा कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं जब ग्रामीणों से नल जल योजना के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि इस गांव में प्रशासन ने पानी के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है वहीं नल जल योजना के तहत बनाई गई टंकी के बारे में तो कई लोगों को जानकारी तक नहीं है

बाइट- आशाराम, ग्रामीण
बाइट- राकेश बघेल, सरपंच पति
बाइट- डीआर जर्मन, प्रभारी ईई, पीएचई विभाग



Conclusion:आज भले ही जिम्मेदार अधिकारी इन ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाकर पानी की व्यवस्था की बात कह रहे हो लेकिन यह अपने आप में सोचने वाली बात है कि 23 लाख की लागत से तैयार योजना के तहत 1 टन की मात्र बना कर छोड़ दी गई ऐसे में किसी बड़े घोटाले के होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है

भिंड से ईटीवी भारत के लिए पियूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट
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