भिंड। खड़ेगांव में 23 लाख रुपये की लागत से बनी पानी की टंकी पीएचई विभाग के भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है. करीब 11 साल पहले 2 मई 2008 को नल जल योजना का शिलान्यास किया गया था. जिसके लिए 23 लाख रुपए की लागत से टंकी का निर्माण कराया गया था, लेकिन आज तक न तो गांव वालों को पानी मिला, न ही कोई जिम्मेदार इसकी सुध लेने पहुंचा.
ग्रामीण बताते हैं कि गांव में खारा पानी आता है, जिसका इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता. ऐसे में गांव का एकमात्र हैंडपंप है, जोकि खराब पड़ा है. इसलिए ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर लगे ट्यूबवेल से पानी लाना पड़ता है. कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ग्रामाणों की परेशानी पर ध्यान नहीं देता.
पीएचई विभाग के प्रभारी ईई डीआर जर्मन ने तो इस योजना से साफ इनकार कर दिया. उनके मुताबिक टंकी से पानी नहीं निकला था, इसलिए इस योजना को रोक दिया गया था. यहां तक की ठेकेदार को पैसे भी नहीं दिए गए थे. अब ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाए जाने की बात कह रहे हैं.
भले ही अधिकारी ग्रामीणों के लिए नई योजना बनाकर पानी की व्यवस्था की बात कह रहे हैं, लेकिन ऐसे में नल जल योजना में हुए भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता.