भिंड। जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महापात्रा ने बीते 29 जून को इंगुरी गांव पहुंच कर अपनी टीम और प्रशासन के साथ घटना स्थल का निरीक्षण और सेम्पलिंग की थी. जिसके आधार पर उन्होंने विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर सतीश कुमार एस को सौंपी है. उन्होंने इस रिपोर्ट में बारीकी से अध्ययन करने बाद निष्कर्ष निकाला है कि इंगुरी गांव में आई जमीन में दरार एक सामान्य गतिविधि है.
- जमीनी नमी में अंतर और तापमान बड़ी वजह
प्रोफेसर महापात्रा ने रिपोर्ट में खुलासा करते हुए बताया है कि जिस क्षेत्र में यह दरार उत्पन्न हुई है वह बीहड़ यानी रिवाइन क्षेत्र है. ऐसे क्षेत्र की मिट्टी में पारगम्यता ज्यादा होती है. अर्धशुष्क वातावरण की वजह से तापमान में इजाफा होने पर जमीन में मिट्टी की ऊपरी सतह की नमी कम हो जाती है, जबकि अंदरूनी सतहों में नमी रहती है. इसी अंतर की वजह से दरार पैदा हुई है.
- जमीन के नीचे बनी अवनालिका फिर सक्रिय
प्रोफेसर महापात्रा की रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि बीहड़ों को समतल कर खेत बनाए गए है. लेकिन जमीन के नीचे की संरचना अभी भी रिवाइन्स की ही है. जिनमें अवनालिका (gully) मौजूद है. समय के साथ ये दोबारा सक्रिय हो सकती है. यही संभावना इस गतिविधि में भी होना प्रतीत हुआ है. जिसकी वजह से दरार बनी है. हालांकि प्रोफेसर ने इस गतिविधि को सामान्य बताया है. स्थानीय लोगों से भी अपील की है की उन्हें घबराने या डरने की आवश्यकता नहीं है.
200 मीटर लंबी दरार से किसान हैरान, भू-गर्भ वैज्ञानिक कर रहे जांच
- खेत में आई है 200 मीटर लंबी दरार
दरअसल 26 जून को भिंड जिले के अटेर क्षेत्र में इंगुरी गांव के स्कूल के पास बने खेतों में अचानक जमीन फट गई थी. खेतों में करीब 200 मीटर लंबी दरार बन गई थी. यह दरार कई जगह 6 इंच से लेकर 1 फीट से भी ज्यादा चौड़ी थी. इस घटना के बाद से ग्रामीण लगातार यहां पहरे दे रहे थे. उन्हें किसी बड़े हादसे या भू-गर्भीय हलचल से अप्रिय घटना का डर बना हुआ था.