भिंड। रूस के हमले के बाद यूक्रेन (Russia attack Ukraine) में हालात बिगड़ रहे हैं. मध्यप्रदेश के कई बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं. रूस और यूक्रेन में युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों की वापसी के साथ वहां के हालात को लेकर लगातार नई बातें सामने आ रही हैं. कर्नाटक के छात्र की मौत और फिर भारतीयों को ह्यूमन शील्ड बनाने की बात सामने आने के बाद भिंड के गौरव तोमर जो यूक्रेन में फंसे है उनके परिजन हताश होते जा रहे हैं. ETV भारत ने गौरव के परिजनों से बातचीत की.
खर्कीव यूनिवर्सिटी में MBBS के छात्र है गौरव
गौरव तोमर मूलतः भिंड के गोहद के सर्वा गांव का रहने वाला है. वह यूक्रेन के खरकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS की 5वीं वर्ष के छात्र हैं, एक छोटे से गांव से निकलकर डॉक्टर बनने का सपना लिए वे 2017 में यूक्रेन पहुंचे थे. लेकिन रूस द्वारा यूक्रेन पर युद्ध छेड़ने के चलते वहां फंस कर रह गए. स्थानीय प्रशासन और पुलिस लगातर परिजन के संपर्क में हैं लेकिन अब तक गौरव की वतन वापसी नही हो सकी है. जिसको लेकर परिजन बेहद चिंतित हैं.
बच्चों के सामने खाने पीने की समस्या
गौरव के गांव सर्वा पहुंची ETV भारत की टीम की उनके चाचा देवेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात हुई. वह रिटायर्ड आर्मी मैन हैं. उन्होंने बताया कि जब से पता चला कि यूक्रेन में युद्ध छिड़ गया है तब से ही पूरा परिवार परेशान हैं. सहूलियत इस बात की है कि गौरव से लगातार बातचीत हो पा रही है, वह खुद को सही सलामत बता रहा है, हालांकि उसने बताया कि वहां मार्केट बंद थे. जिसकी वजह से खाने पीने और राशन की बड़ी समस्या झेलनी पड़ रही है.
घबरा रहा है गौरव
देवेंद्र ने बताया कि 20 फरवरी के आसपास उसके साथ फोन पर बातचीत हुई थी. उस दौरान गौरव ने बताया था कि खर्कीव में सब सामान्य है. लेकिन पिछले दो हफ्तों में सब कुछ बदल गया, वह अपने 30 बच्चों के ग्रुप के साथ भारत वापसी की कोशिश कर रहा है. जिस दिन कर्नाटक के छात्र की यूक्रेन में मौत हुके उस दिन भी उससे बात हुई थी. गौरव ने बताया था कि वह छात्र मार्केट में राशन की व्यवस्था करने गया था इसी दौरान गोलीबारी की चपेट में आकर उसकी मौत हो गयी थी. हालांकि इस घटना की खबर भारत मे आने तक वह अपने समूह के साथ खर्कीव छोड़कर लबीब शहर की ओर निकल गया था. उन्होंने कहा कि उससे जब भी बात हुई तो वह बहुत घबराहट में रहता था. उसका कहना था जब भी हमला होता दिल की धड़कने तेज़ हो जाती थी. ये लगता था कि घरवालों को दोबारा देख भी पाएंगे या नही.
अधर में अटका छात्रों का भविष्य, विकल्प तैयार करे सरकार
कर्नाटक के छात्र की मौत के बाद से ही उनका पूरा परिवार डर और दहशत में है. देवेंद्र कहते है कि उसकी पढ़ाई की इच्छा देखते हुए खेती-बाड़ी बेचकर और परिवार के सभी लोगों के सहयोग से उसे यूक्रेन पढ़ने भेजा था लेकिन अब वहां युद्ध हो जाने से उसकी पूरी पढ़ाई समय और पैसा शून्य हो गया है. न सिर्फ गौरव बल्कि उन सभी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है जो वहां पढ़ने गए थे. ऐसे में भारत सरकार को इन बच्चों की पढ़ाई के लिए विकल्प तैयार करना चाहिए. उनकी पढ़ाई को भारत में मान्यता देते हुए आगे का कोर्स पूरा करना चाहिए.
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70 हजार में किराए पर ली बस तब हंगरी पहुंचे
देवेंद्र के बड़े भाई और गौरव के पिता सोबरन सिंह तोमर इंदौर में रहकर मंगलिया टोल-प्लाजा पर गनमैन की नौकरी करते हैं. सोबरन ने बताया कि गौरव हंगरी बॉर्डर के लिए निकला है, वे तीस बच्चे हैं जो पहले ट्रेन के जरिए खरकीव से लबीब निकले थे. यहां से कल उन्होंने 70 हजार रुपये में एक बस किराये पर ली है जो उन्हें हंगरी बॉर्डर के चेक चैकपोस्ट ले जाएगी. पिता सोबरन ने ईटीवी भारत से कहा कि वे खुद घर से दूर हैं और बेटा देश से इतना दूर हैं, ऐसे में उसकी चिंता होना स्वाभाविक है. वह बस बेटे की सुरक्षित वतन वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं.
युद्ध की बलि न चढ़ें और बच्चे
गौरव के पिता और चाचा ने भारत सरकार से अपील की कि जल्द से जल्द हंगरी में एंट्री दिलाकर गौरव और सभी बच्चों को देश वापस लाने की व्यवस्था की जाए. क्योंकि जब भी समाचार देखते हैं तब तब दिल घबराने लगता है. एक बच्चा इस युद्ध की बलि चढ़ चुका है. ऐसा किसी और बच्चे के साथ नहीं होना चाहिए. इस बात को ध्यान में रखकर सरकार जल्द से जल्द बच्चों की सुरक्षित वापसी करा दे.
(mp students stuck in ukraine) (bhind student gourav stuck in Ukrain)