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लॉकडाउन में गन्ने का रस भी हुआ डाउन, किसानों का हुआ लाखों का नुकसान

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Published : May 6, 2020, 4:25 PM IST

Updated : May 6, 2020, 8:31 PM IST

पहले ओला फिर बारिश और अब उसके बाद लॉकडाउन से किसानों की कमर टूट चुकी है. कोरोना महामारी के इस लॉकडाउन ने गर्मी के सीजन में गन्ना फसल को पूरी तहर से चौपट कर दिया है. किसान बर्बाद और गन रस का व्यापार करने वाले व्यापारियों का व्यापार ठप हो गया है. गर्मी स्पेशल गन्ना लॉकडाउन में फीका पड़ गया है.

Loss of millions of farmers
किसानों का हुआ लाखों का नुकसान

भिंड। पहले ओला फिर बारिश और अब उसके बाद लॉकडाउन से किसानों की कमर टूट चुकी है. कोरोना महामारी के इस लॉकडाउन ने गर्मी के सीजन में गन्ना फसल को पूरी तहर से चौपट कर दिया है. किसान बर्बाद और गन्ने रस का व्यापार करने वाले व्यापारियों का व्यापार ठप हो गया है.

लॉकडाउन में गन्ने का रस भी हुआ डाउ

'आफत' का लॉकडाउन

प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते एक दिन का जनता कर्फ्यू, फिर 21 दिन का लॉकडाउन और फिर 19 दिन और अब फिर 14 दिन का लॉकडाउन घोषित हो गया. इस लॉक डाउन की वजह से कोरोना पर जिस तरह नियंत्रण किया गया है वो काबिले तारीफ है, लेकिन लॉकडाउन सबके लिए सुखद साबित नहीं हो रहा है. खासकर किसान और व्यापारी वर्ग सबसे ज्यादा इससे प्रभावित हैं.

गन्ना व्यापारियों की इनकम 'लॉक'

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए रबी की फसलें समर्थन मूल्य पर खरीद कर किसानों के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई की कोशिश भी की है लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान पर अपनी किस्मत को कोस रहा है. गर्मी के मौसम में अक्सर बाजार में गन्ने के रस के लिए लाइन लग जाती थी, जहां कहीं 10 रु तो कहीं 20 रु में मजेदार मीठा पोदीना वाला गन्ना रस किसे पसंद नहीं आता था, लेकिन इस सीजन में गन्ना रस की एक भी दुकान नहीं लग पाई है. किसान से लेकर व्यापारी तक इस नुकसान तले दब गए हैं.

कर्ज तले दबा किसान

किसानों की लाखों की खेती बर्बाद हो चुकी है, भिंड मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर दीनपुरा के एक किसान कहते हैं कि ढाई लाख रुपए की लागत से साल भर पहले गन्ना लगाया था. लेकिन जब सीजन आया तो लॉकडाउन की वजह से पूरा गन्ना खेत में खड़े-खड़े ही सूख रहा है. कर्ज लेकर 3 बीघा में फसल लगाने वाले किसान उम्मीद करके बैठा था कि इस बार की फसल बहुत अच्छी है. इसलिए अच्छे दाम भी मिलेंगे, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था.

गोदाम में सड़ चुका है गन्ना

वहीं गन्ना व्यापारी भी लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं. हर साल मार्च में गन्ने का रस सड़कों के किनारे सैकड़ों दुकानों में जगह-जगह देखने को मिलता था लेकिन इस बार व्यापारियों का कहना है कि इस लॉकडाउन ने पूरे धंधे की कमर तोड़ दी है. कई व्यापारियों ने लॉकडाउन से पहले ही गन्ना खरीद कर रस निकालने वाली मशीनें लगाई थी रस तो बिक नहीं पाया और अब खरीदा हुआ गन्ना भी गोदाम में सड़ चुका है. व्यापारियों ने इस सीजन में कमाई की जगह सिर्फ दोहरा नुकसान उठाया है.

लिहाजा जिस तरह हालात दिन-ब-दिन सामान्य होने लगे हैं. दुकानें खुलने लगी हैं और लॉकडाउन में रियायत मिल रही है. गेहूं सरसों की तरह अब सरकार को इन गन्ना किसानों के लिए भी बिक्री में ढील देनी चाहिए, क्योंकि अब तक सरकार ने गन्ना फसल पर अनुदान की कोई स्कीम पेश नहीं की है. ऐसे में अगर अब गन्ना का जूस बाजार में बिकना शुरू हो जाएगा, तब शायद इन गन्ना किसानों और व्यापारियों के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सके और गन्ने का जायका पूरी तरह फीका ना रहे.

भिंड। पहले ओला फिर बारिश और अब उसके बाद लॉकडाउन से किसानों की कमर टूट चुकी है. कोरोना महामारी के इस लॉकडाउन ने गर्मी के सीजन में गन्ना फसल को पूरी तहर से चौपट कर दिया है. किसान बर्बाद और गन्ने रस का व्यापार करने वाले व्यापारियों का व्यापार ठप हो गया है.

लॉकडाउन में गन्ने का रस भी हुआ डाउ

'आफत' का लॉकडाउन

प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते एक दिन का जनता कर्फ्यू, फिर 21 दिन का लॉकडाउन और फिर 19 दिन और अब फिर 14 दिन का लॉकडाउन घोषित हो गया. इस लॉक डाउन की वजह से कोरोना पर जिस तरह नियंत्रण किया गया है वो काबिले तारीफ है, लेकिन लॉकडाउन सबके लिए सुखद साबित नहीं हो रहा है. खासकर किसान और व्यापारी वर्ग सबसे ज्यादा इससे प्रभावित हैं.

गन्ना व्यापारियों की इनकम 'लॉक'

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए रबी की फसलें समर्थन मूल्य पर खरीद कर किसानों के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई की कोशिश भी की है लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान पर अपनी किस्मत को कोस रहा है. गर्मी के मौसम में अक्सर बाजार में गन्ने के रस के लिए लाइन लग जाती थी, जहां कहीं 10 रु तो कहीं 20 रु में मजेदार मीठा पोदीना वाला गन्ना रस किसे पसंद नहीं आता था, लेकिन इस सीजन में गन्ना रस की एक भी दुकान नहीं लग पाई है. किसान से लेकर व्यापारी तक इस नुकसान तले दब गए हैं.

कर्ज तले दबा किसान

किसानों की लाखों की खेती बर्बाद हो चुकी है, भिंड मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर दीनपुरा के एक किसान कहते हैं कि ढाई लाख रुपए की लागत से साल भर पहले गन्ना लगाया था. लेकिन जब सीजन आया तो लॉकडाउन की वजह से पूरा गन्ना खेत में खड़े-खड़े ही सूख रहा है. कर्ज लेकर 3 बीघा में फसल लगाने वाले किसान उम्मीद करके बैठा था कि इस बार की फसल बहुत अच्छी है. इसलिए अच्छे दाम भी मिलेंगे, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था.

गोदाम में सड़ चुका है गन्ना

वहीं गन्ना व्यापारी भी लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं. हर साल मार्च में गन्ने का रस सड़कों के किनारे सैकड़ों दुकानों में जगह-जगह देखने को मिलता था लेकिन इस बार व्यापारियों का कहना है कि इस लॉकडाउन ने पूरे धंधे की कमर तोड़ दी है. कई व्यापारियों ने लॉकडाउन से पहले ही गन्ना खरीद कर रस निकालने वाली मशीनें लगाई थी रस तो बिक नहीं पाया और अब खरीदा हुआ गन्ना भी गोदाम में सड़ चुका है. व्यापारियों ने इस सीजन में कमाई की जगह सिर्फ दोहरा नुकसान उठाया है.

लिहाजा जिस तरह हालात दिन-ब-दिन सामान्य होने लगे हैं. दुकानें खुलने लगी हैं और लॉकडाउन में रियायत मिल रही है. गेहूं सरसों की तरह अब सरकार को इन गन्ना किसानों के लिए भी बिक्री में ढील देनी चाहिए, क्योंकि अब तक सरकार ने गन्ना फसल पर अनुदान की कोई स्कीम पेश नहीं की है. ऐसे में अगर अब गन्ना का जूस बाजार में बिकना शुरू हो जाएगा, तब शायद इन गन्ना किसानों और व्यापारियों के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सके और गन्ने का जायका पूरी तरह फीका ना रहे.

Last Updated : May 6, 2020, 8:31 PM IST
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