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भिंड: बाल दिवस पर झुग्गी- झोपड़ी के बच्चों को रेस्टोरेंट में खिलाया खाना

भिंड में मानवता की पाठशाला चलाने वाले लोगों ने जिले के बस स्टैंड के पास बनी झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को बाल दिवस के मौके पर रेस्तरां में लेकर जाकर खाना खिलाया.

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Published : Nov 14, 2019, 10:52 PM IST

भिंड। जिले के बस स्टैंड के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए बाल दिवस का दिन बेहद खास रहा. शहर के एक समाजसेवी ने इन बच्चों को शहर के एक रेस्तरां में खाना खिलाया. कई तरह के व्यंजनों का स्वाद लिया. ये पहली बार था जब ये बच्चे किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने पहुंचे थे. खाना खाने के बाद इन बच्चों ने डांस भी किया.

स्लम एरिया के बच्चों का चिल्ड्रन डे सेलिब्रेशन

दरअसल शहर के बस स्टैंड के पास बानी बस्ती में रहने वाले गरीब बच्चों को हर रविवार शहर के अलग अलग तबके, व्यवसाय और उम्र के समाजसेवी बच्चों को पढ़ाने आते हैं, जिसे नाम दिया है मानवता की पाठशाला. इस पाठशाला में पढ़ने वाले तमाम बच्चों के लिए मानवता ग्रुप से जुड़े इन संडे टीचर्स ने आज का दिन बेहद खास बना दिया.

मानवता ग्रुप की शुरुआत करने वाले बबलू सिंधी ने बताया कि ये स्लम एरिया के बच्चे हैं, जिनमें कोई कबाड़ बीनता था, कोई भीख मांगता था. इन बच्चों ने कभी रेस्टोरेंट नहीं देखा था, इसलिए बाल दिवस के मौके पर इनको इसका अनुभव कराने के लिए ये कदम उठाया गया. मानवता ग्रुप इन बच्चों को शिक्षा के साथ ही उनकी जरूरत की चीज़ें उपलब्ध कराता है.

भिंड। जिले के बस स्टैंड के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए बाल दिवस का दिन बेहद खास रहा. शहर के एक समाजसेवी ने इन बच्चों को शहर के एक रेस्तरां में खाना खिलाया. कई तरह के व्यंजनों का स्वाद लिया. ये पहली बार था जब ये बच्चे किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने पहुंचे थे. खाना खाने के बाद इन बच्चों ने डांस भी किया.

स्लम एरिया के बच्चों का चिल्ड्रन डे सेलिब्रेशन

दरअसल शहर के बस स्टैंड के पास बानी बस्ती में रहने वाले गरीब बच्चों को हर रविवार शहर के अलग अलग तबके, व्यवसाय और उम्र के समाजसेवी बच्चों को पढ़ाने आते हैं, जिसे नाम दिया है मानवता की पाठशाला. इस पाठशाला में पढ़ने वाले तमाम बच्चों के लिए मानवता ग्रुप से जुड़े इन संडे टीचर्स ने आज का दिन बेहद खास बना दिया.

मानवता ग्रुप की शुरुआत करने वाले बबलू सिंधी ने बताया कि ये स्लम एरिया के बच्चे हैं, जिनमें कोई कबाड़ बीनता था, कोई भीख मांगता था. इन बच्चों ने कभी रेस्टोरेंट नहीं देखा था, इसलिए बाल दिवस के मौके पर इनको इसका अनुभव कराने के लिए ये कदम उठाया गया. मानवता ग्रुप इन बच्चों को शिक्षा के साथ ही उनकी जरूरत की चीज़ें उपलब्ध कराता है.

Intro:देश में हर साल 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भिण्ड में बस स्टैंड के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब मासूमो के लिए भी आज का दिन कुछ खास था। क्योंकि संडे वाले टीचर यानी मानवता की पाठशाला चलाने वाले समाजसेवी युवा आज इन बच्चों को लेकर शहर के एक रेस्तरां में पार्टी करने ले गए थे। जहां बाल दिवस पर इन बच्चों ने डांस किया कई तरह के व्यंजनों का स्वाद लिया। ये पहली बार था जब ये बच्चे किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने पहुचे थे।Body:दरअसल भिण्ड के बस स्टैंड के बस बानी बस्ती में झुग्गु झोपड़ियों में रहने वाले गरीब नौनिहालों को हर रविवार शहर के अलग अलग तबके, व्यवसाय और उम्र के समाजसेवी लोग पढ़ाने जाते हैं जिसे नाम दिया है मानवता की पाठशाला और इस पाठशाला में पढ़ने वाले तमाम बच्चों के लिए मानवता ग्रुप से जुड़े इन संडे टीचर्स ने आज का दिन यानी बाल दिवस को खास बनाने की सोची और बच्चों को लेकर शहर के एक रेस्तरां में पार्टी अरेंज की ये गरीब बच्चे पहली बार किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने गए थे। ऐसे में इन बच्चों के चेहरों की खुशी ने हर पल यादगार बनाया। नौनिहालों ने जमकर मस्ती की डांस किया और फिर उनकी पसंद के व्यंजनों का लुत्फ उठाया। मानवता ग्रुप की शुरुआत करने वाले बबलू सिंधी ने कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं और ये स्लम एरिया का बच्चे हैं कोई कबाड़ बीनता था कोई भीख मांगता था हम अपने समय मे थोड़ा समय निकाल कर कुछ अच्छा करने का प्रयास करते हैं। आज बाल दिवस का दिन है और हम बच्चो के साथ काफी समय बिताते हैं इन बच्चों ने कभी रेस्टोरेंट नही देखा इसलिए हमने सोचा इस बार उन्हें रेस्टोरेंट का अनुभव कराया जाए।Conclusion:मानवता ग्रुप लगातार समाजसेवा में अपना योगदान दे रहा है खासकर गरीब असहाय और भटके हुए बच्चों की मदद करके, ये लोग बच्चों को शिक्षा के साथ ही उनकी जरूरत की चीज़ें भी उपलब्ध कराते हैं जिससे वे फिर दोबारा अपनी पुरानी जिंदगी की ओर न बढ़ें और भविष्य में कुछ बेहतर कर सकें, बच्चों को पढ़ाने में लगने वाले समान और अन्य चीजों का खर्चा भी वे आपस मे पैसा इकट्ठा करके निकालते हैं।


बाइट- दीया, गरीब बच्ची
बाइट- स्वाति, गरीब बच्ची
बाइट- रूमाल शर्मा, समाजसेवी
बाइट- बबलू सिंधी, समाजसेवी
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