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गौवंश के लिए आगे आए समाजसेवी, हर रोज करते हैं चारे का इंतजाम

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Published : Apr 9, 2020, 7:02 PM IST

Updated : Apr 9, 2020, 8:08 PM IST

भिंड में जहां जिला प्रशासन विद्वानों के लिए हाथ खड़े कर चुका है तो वहीं राहुल और उनकी टीम के द्वारा आवारा गौवंश और मवेशी के लिए चलाई गई चारे की मुहिम वाकई सराहनीय है और साथ ही इसकी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए समाजसेवी राहुल कुशवाहा अपनी पूरी टीम के साथ रोजाना शहर भर में घूमते हैं और इन आवारा गौवंश को चारा खिलाते हैं.

Social workers came forward for the stray cow dynasty
आवारा गौवंश के लिए आगे आए समाजसेवी

भिंड। कोरोना महामारी का असर जहां इंसानों में पड़ रहा है वही इंसानों के साथ जानवरों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है. वहीं लॉकडाउन और धारा-144 के चलते लोग अपने घरों में हैं. बता दें कि शहर के युवा समाजसेवी राहुल कुशवाहा अपनी पूरी टीम के साथ रोजाना शहर भर में घूमते हैं और इन आवारा गोवंश को चारा खिलाते हैं.

गौवंश के लिए आगे आए समाजसेवी

राहुल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते जो आम आदमी प्रभावित हैं तो ये बेजुबान किससे मदद मांगने जाएंगे. पहले दिन 500 रोटियां बनवा कर सड़क किनारे बैठे सैकड़ों गौ माताओं को खिलाएं ,लेकिन ये काफी नहीं था. सोशल मीडिया पर इस बारे में विचार रखा तो दोस्तों ने सहयोग की पहल की, फिर देखते ही देखते सारी व्यवस्थाएं होती चली गईं और अब हर रोज शहर में एकत्रित बेसहारा गौवंश को चारा पहुंचाया जा रहा है.

गोकुलधाम गौशाला से भी मिला सहयोग

बता दें की राहुल को गोकुलधाम गौशाला के संचालक विपिन का भी सहयोग मिला. क्योंकि इतनी मात्रा में चारा बनाना और फिर उसे वितरित करना आसान नहीं था तो विपिन ने चारा बनाने से लेकर अपने लोडिंग वाहन पर लोड करवाने की व्यवस्था की.

ऐसे हुए खर्चे का इंतजाम

राहुल ने बताया कि जब उन्होंने सोशल मीडिया ग्रुप पर गायों के लिए चारे की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा तो लोगों ने खुद से पैसे दान करने की बात कही और कुछ ही देर में हजारों रुपए एकत्रित हो गए. वहीं सबके सहयोग से काम शुरू हो गया और चारे की व्यवस्था में 1 दिन का खर्चा 100 रुपये आता है. यदि सब मदद करते रहे तो यह काम लॉकडाउन के बाद भी जारी रहेगा.

मछली और आवारा कुत्तों के लिए भी कर रहे इंतजाम

आवारा गौवंश के लिए तो चारे की व्यवस्था हो गई लेकिन गौरी सरोवर में मौजूद मछलियों और शहर के आवारा कुत्तों के लिए भी खाने की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि लॉकडाउन से पहले हर रोज सैकड़ों लोग तालाब में मछलियों को दाना डालने जाते थे, लेकिन अब सब बंद है और इसकी जिम्मेदारी समझते हुए राहुल और उनकी टीम ने गौवंश के चारे के साथ ही ब्रेड और बिस्कुट ले जाते हैं जिससे मछलियों और आवारा कुत्तों के लिए भी खाने का इंतजाम हो रहा है.

लॉक डाउन के दौरान आवारा गौवंश के चारे के लिए भिंड कलेक्टर से पूछा गया कि प्रशासन की ओर से क्या कुछ मदद की जा रही है तो कलेक्टर छोटे सिंह का कहना था की हमारी वेटरनरी टीम इस पर काम कर रही है, हमने गौशालाओं में चारे की व्यवस्था की है लेकिन सड़कों पर मौजूद गौवंश हजारों की संख्या में है और इन सबके लिए चारे की व्यवस्था संभव नहीं है.

भिंड। कोरोना महामारी का असर जहां इंसानों में पड़ रहा है वही इंसानों के साथ जानवरों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है. वहीं लॉकडाउन और धारा-144 के चलते लोग अपने घरों में हैं. बता दें कि शहर के युवा समाजसेवी राहुल कुशवाहा अपनी पूरी टीम के साथ रोजाना शहर भर में घूमते हैं और इन आवारा गोवंश को चारा खिलाते हैं.

गौवंश के लिए आगे आए समाजसेवी

राहुल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते जो आम आदमी प्रभावित हैं तो ये बेजुबान किससे मदद मांगने जाएंगे. पहले दिन 500 रोटियां बनवा कर सड़क किनारे बैठे सैकड़ों गौ माताओं को खिलाएं ,लेकिन ये काफी नहीं था. सोशल मीडिया पर इस बारे में विचार रखा तो दोस्तों ने सहयोग की पहल की, फिर देखते ही देखते सारी व्यवस्थाएं होती चली गईं और अब हर रोज शहर में एकत्रित बेसहारा गौवंश को चारा पहुंचाया जा रहा है.

गोकुलधाम गौशाला से भी मिला सहयोग

बता दें की राहुल को गोकुलधाम गौशाला के संचालक विपिन का भी सहयोग मिला. क्योंकि इतनी मात्रा में चारा बनाना और फिर उसे वितरित करना आसान नहीं था तो विपिन ने चारा बनाने से लेकर अपने लोडिंग वाहन पर लोड करवाने की व्यवस्था की.

ऐसे हुए खर्चे का इंतजाम

राहुल ने बताया कि जब उन्होंने सोशल मीडिया ग्रुप पर गायों के लिए चारे की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा तो लोगों ने खुद से पैसे दान करने की बात कही और कुछ ही देर में हजारों रुपए एकत्रित हो गए. वहीं सबके सहयोग से काम शुरू हो गया और चारे की व्यवस्था में 1 दिन का खर्चा 100 रुपये आता है. यदि सब मदद करते रहे तो यह काम लॉकडाउन के बाद भी जारी रहेगा.

मछली और आवारा कुत्तों के लिए भी कर रहे इंतजाम

आवारा गौवंश के लिए तो चारे की व्यवस्था हो गई लेकिन गौरी सरोवर में मौजूद मछलियों और शहर के आवारा कुत्तों के लिए भी खाने की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि लॉकडाउन से पहले हर रोज सैकड़ों लोग तालाब में मछलियों को दाना डालने जाते थे, लेकिन अब सब बंद है और इसकी जिम्मेदारी समझते हुए राहुल और उनकी टीम ने गौवंश के चारे के साथ ही ब्रेड और बिस्कुट ले जाते हैं जिससे मछलियों और आवारा कुत्तों के लिए भी खाने का इंतजाम हो रहा है.

लॉक डाउन के दौरान आवारा गौवंश के चारे के लिए भिंड कलेक्टर से पूछा गया कि प्रशासन की ओर से क्या कुछ मदद की जा रही है तो कलेक्टर छोटे सिंह का कहना था की हमारी वेटरनरी टीम इस पर काम कर रही है, हमने गौशालाओं में चारे की व्यवस्था की है लेकिन सड़कों पर मौजूद गौवंश हजारों की संख्या में है और इन सबके लिए चारे की व्यवस्था संभव नहीं है.

Last Updated : Apr 9, 2020, 8:08 PM IST
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