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Shani Dev Upay: नाराज शनि दे सकते हैं जीवन भर धन संकट, जानिए 'शनि' का 'मनी' कनेक्शन - शनिवार के दिन करें इन चीजों का दान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में शनि देव की स्थिति ही लोगों की दशा और दिशा तय करती है. कुंडली में शनि की अनुकूल स्थिति जीवन में सुख, आनंद और धन लेकर आती है. जानिए ऐसा क्या हो जाता है जिससे शनिदेव आपसे रुष्ठ हो जाते हैं.

shani dev upay
शनि देव उपाय
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Published : Feb 4, 2023, 10:23 PM IST

भिंड। न्याय और कर्म के ग्रह शनि का कुंडली में भाग्य और धन पर गहरा प्रभाव रहता है. आपके अच्छे और बुरे कर्म से शनि तय करते हैं कि, आपके जीवन में धन की स्थिति क्या होगी. अगर शनि आपसे खुश नहीं हैं तो जीवन में आर्थिक संकट और धन संबंधी समस्याएं भी लंबे समय तक झेलनी पड़ सकती हैं. आइए जानते हैं किन वजहों से शनि का नकारात्मक प्रभाव राशि जातकों के जीवन पर पड़ता है.

कैसे शनि देव बने न्याय के देवता: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि सूर्य देव के पुत्र हैं, लेकिन एक बार उन्होंने अपनी पत्नी यानि शनि देव की माता का अपमान कर दिया. इस बात से नाराज शनिदेव ने भगवान शिव की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने शनि को एक वर मांगने को कहा. शनि देव ने वरदान में पिता सूर्य का घमंड तोड़ने के लिए उनसे भी ज्यादा पूज्य बनने की मांग की. इस पर शिव जी ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए नवग्रह में सबसे श्रेष्ठ बनाने के साथ पृथ्वी का दंडाधिकारी बनने का वर दे दिया. तब से ही शानिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है.

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इन वजहों से धन हानि कराते हैं शनि देव: ग्रह शनि अच्छे कर्म करने वालों के लिए जितने कृपालु हैं, तो वहीं बुरे कर्म करने वालों के लिए उतने ही दंडाधिकारी हैं. रुष्ट हों तो शनि आपको आर्थिक कष्ट देते हैं. जब शनि कुंडली के नीच भाव में हो तो धन हानि होती है. जब कुंडली की दशाओं में सूर्य और शनि की युति बनती है, तब भी पैसे का नुकसान होता है. राशि परिवर्तन के साथ अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही तो भी शनि आपको धन हानि कराते हैं. इसके अलावा नीलम शनि का रत्न माना जाता है, लेकिन अगर बिना ज्योतिष की सलाह आप नीलम रत्न धारण कर लेते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपको आर्थिक नुकसान करता है. वहीं शनिवार को अगर आप मांस मदिरा का सेवन करते हैं, तो शनि देव आपसे रुष्ठ हो सकते हैं जो आपके जीवन में अच्छा संकेत नहीं होगा.

इन कामों से किया जा सकता है शनि को प्रसन्न: शनिदेव के क्रोध से बचने और उन्हें खुश रखने के लिए ज्योयतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं. माना जाता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के चौमुखी दीपक जलाने और पेड़ की तीन या सात बार परिक्रमा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. परिक्रमा करते समय 108 बार शनि बीज मंत्र का भी जाप करना चाहिए. किसी गरीब को कुछ सिक्के देकर दान करना चाहिए. व्यापार में सफलता की कामना के लिए शनिवार के दिन ब्रह्म महूर्त में सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने चाहिए. दिन में किसी गरीब को भोजन दान करना चाहिए और खुद भी उस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए. शाम के समय उसी पीपल के पेड़ के नीचे लोहे की कटोरी में सरसों के तेल का चौमुखी दिया जलाना चाहिए और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए. ये उपाय आपको शनि की कृपा से व्यापार में फायदा पहुंचायेंगे.

Shani Upay: शनिदेव बस नुकसान ही नहीं, फायदा भी पहुंचाते हैं, जानिए शनिदेव किस स्थिति में धन लाभ कराते हैं

कब धन की वर्षा कराते हैं शनि: माना जाता है कि जिन राशि जातकों की कुंडली में शनि तीसरे और चौथे भाव में होते हैं, तो जीवन में धन लाभ की संभावनाएं बनती हैं. कुंडली के उच्च भाव में होने पर भी शनि धन लाभ कराते हैं. ऐसा शनि के विशेष अनुकूल होने, साढ़ेसाती या ढैया होने या शनि की महादशा के बावजूद शनि आर्थिक लाभ कराते हैं.

भिंड। न्याय और कर्म के ग्रह शनि का कुंडली में भाग्य और धन पर गहरा प्रभाव रहता है. आपके अच्छे और बुरे कर्म से शनि तय करते हैं कि, आपके जीवन में धन की स्थिति क्या होगी. अगर शनि आपसे खुश नहीं हैं तो जीवन में आर्थिक संकट और धन संबंधी समस्याएं भी लंबे समय तक झेलनी पड़ सकती हैं. आइए जानते हैं किन वजहों से शनि का नकारात्मक प्रभाव राशि जातकों के जीवन पर पड़ता है.

कैसे शनि देव बने न्याय के देवता: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि सूर्य देव के पुत्र हैं, लेकिन एक बार उन्होंने अपनी पत्नी यानि शनि देव की माता का अपमान कर दिया. इस बात से नाराज शनिदेव ने भगवान शिव की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने शनि को एक वर मांगने को कहा. शनि देव ने वरदान में पिता सूर्य का घमंड तोड़ने के लिए उनसे भी ज्यादा पूज्य बनने की मांग की. इस पर शिव जी ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए नवग्रह में सबसे श्रेष्ठ बनाने के साथ पृथ्वी का दंडाधिकारी बनने का वर दे दिया. तब से ही शानिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है.

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इन वजहों से धन हानि कराते हैं शनि देव: ग्रह शनि अच्छे कर्म करने वालों के लिए जितने कृपालु हैं, तो वहीं बुरे कर्म करने वालों के लिए उतने ही दंडाधिकारी हैं. रुष्ट हों तो शनि आपको आर्थिक कष्ट देते हैं. जब शनि कुंडली के नीच भाव में हो तो धन हानि होती है. जब कुंडली की दशाओं में सूर्य और शनि की युति बनती है, तब भी पैसे का नुकसान होता है. राशि परिवर्तन के साथ अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही तो भी शनि आपको धन हानि कराते हैं. इसके अलावा नीलम शनि का रत्न माना जाता है, लेकिन अगर बिना ज्योतिष की सलाह आप नीलम रत्न धारण कर लेते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपको आर्थिक नुकसान करता है. वहीं शनिवार को अगर आप मांस मदिरा का सेवन करते हैं, तो शनि देव आपसे रुष्ठ हो सकते हैं जो आपके जीवन में अच्छा संकेत नहीं होगा.

इन कामों से किया जा सकता है शनि को प्रसन्न: शनिदेव के क्रोध से बचने और उन्हें खुश रखने के लिए ज्योयतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं. माना जाता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के चौमुखी दीपक जलाने और पेड़ की तीन या सात बार परिक्रमा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. परिक्रमा करते समय 108 बार शनि बीज मंत्र का भी जाप करना चाहिए. किसी गरीब को कुछ सिक्के देकर दान करना चाहिए. व्यापार में सफलता की कामना के लिए शनिवार के दिन ब्रह्म महूर्त में सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने चाहिए. दिन में किसी गरीब को भोजन दान करना चाहिए और खुद भी उस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए. शाम के समय उसी पीपल के पेड़ के नीचे लोहे की कटोरी में सरसों के तेल का चौमुखी दिया जलाना चाहिए और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए. ये उपाय आपको शनि की कृपा से व्यापार में फायदा पहुंचायेंगे.

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कब धन की वर्षा कराते हैं शनि: माना जाता है कि जिन राशि जातकों की कुंडली में शनि तीसरे और चौथे भाव में होते हैं, तो जीवन में धन लाभ की संभावनाएं बनती हैं. कुंडली के उच्च भाव में होने पर भी शनि धन लाभ कराते हैं. ऐसा शनि के विशेष अनुकूल होने, साढ़ेसाती या ढैया होने या शनि की महादशा के बावजूद शनि आर्थिक लाभ कराते हैं.

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