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शहर काजी और कियोस्क संचालक ने हड़पी छात्रों की स्कॉलरशिप, अभिभावकों ने SDM से लगाई गुहार

काजी और कियोस्क संचालक ने मदरसा के छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पी, जिसे लेकर छात्रों ने अभिभावक के साथ एसडीएम से गुहार लगाई है.

Scholarship of City Kazi and Kiosk Operator students usurped
शहर काजी और कियोस्क संचालक ने हड़पी छात्रों की स्कॉलरशिप
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Published : Apr 10, 2020, 10:28 AM IST

भिंड। शहर काजी और कियोस्क संचालक ने मदरसा के छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पी. जिसे लेकर छात्रों ने अभिभावक के साथ एसडीएम से गुहार लगाई है. कोरोना वायरस जैसी महामारी में सरकार छात्रों के खाते में छात्रवृत्ति के रूप में सहायता पहुंचा रही है. जो छात्रवृत्ति छात्रों तक न पहुंचकर भ्रष्टाचार का शिकार हो रही है.

शहर में लगभग एक दर्जन से अधिक मदरसे सिर्फ कागजों में संचालित हैं, जिनका सिर्फ बैनर लगा दिया जाता है, कहीं भी मदरसे संचालित नहीं हैं. भ्रष्टाचार का ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें मदरसा संचालक मिलीगभत कर मदरसों में बच्चों के खाते में आए रुपयों को हड़प गया.

बताया जा रहा है कि मदरसा ने छात्रों को छात्रवृत्ति निकालने के लिए कियोस्क संचालक के यहां बुलाया और छात्रों का अंगूठा लगवाकर, हस्ताक्षर करवाकर छात्रवृत्ति के रूप में आये 5600 रुपयों में से 1600 रुपये छात्र को दे दिए और बाकी 4000 रुपये अपने पास रख लिए. मुस्लिम समाज का आरोप है कि गोहद के अधिकांश मदरसा संचालकों ने फर्जी रूप से ऐसे नाम लिखे है जो छात्र मदरसों में पढ़ने कभी नहीं आते.

भिंड। शहर काजी और कियोस्क संचालक ने मदरसा के छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पी. जिसे लेकर छात्रों ने अभिभावक के साथ एसडीएम से गुहार लगाई है. कोरोना वायरस जैसी महामारी में सरकार छात्रों के खाते में छात्रवृत्ति के रूप में सहायता पहुंचा रही है. जो छात्रवृत्ति छात्रों तक न पहुंचकर भ्रष्टाचार का शिकार हो रही है.

शहर में लगभग एक दर्जन से अधिक मदरसे सिर्फ कागजों में संचालित हैं, जिनका सिर्फ बैनर लगा दिया जाता है, कहीं भी मदरसे संचालित नहीं हैं. भ्रष्टाचार का ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें मदरसा संचालक मिलीगभत कर मदरसों में बच्चों के खाते में आए रुपयों को हड़प गया.

बताया जा रहा है कि मदरसा ने छात्रों को छात्रवृत्ति निकालने के लिए कियोस्क संचालक के यहां बुलाया और छात्रों का अंगूठा लगवाकर, हस्ताक्षर करवाकर छात्रवृत्ति के रूप में आये 5600 रुपयों में से 1600 रुपये छात्र को दे दिए और बाकी 4000 रुपये अपने पास रख लिए. मुस्लिम समाज का आरोप है कि गोहद के अधिकांश मदरसा संचालकों ने फर्जी रूप से ऐसे नाम लिखे है जो छात्र मदरसों में पढ़ने कभी नहीं आते.

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