Shivratri 2023 Jalabhishek Time: सावन का महीना तो 12 दिन पहले ही शुरू हो गया, लेकिन भक्त आज भोलेनाथ को जल चढ़ाकर सावन शिवरात्रि मनायेंगे. ये ऐसा दिन है जब शिव भक्तों के लिए भोलेनाथ का जलाभिषेक करना बहुत ही शुभ और पुण्यलाभ का माना जाता है. क्या है इस शिवरात्रि का सावन कनेक्शन और कौन सा दुर्लभ योग इस दिन बनने जा रहा है आइये जानते हैं…
आज मनाई जाएगी सावन शिवरात्रि: महाशिवरात्रि का पर्व तो माघ फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, लेकिन सावन के महीने में भी शिवरात्रि मनाई जाती है. ये पर्व हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाया जाता है, माना जाता है कि सावन के महीने में जिस दिन चतुर्दशी रात तक रहती है, उसी दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. वैसे तो इस साल सावन शिवरात्रि शनिवार 15 जुलाई की रात त्रयोदशी समाप्त होने के साथ शुरू हो चुकी है, ऐसे में चतुर्दशी के साथ सावन शिवरात्रि 16 जुलाई रविवार को मनाई जा रही है.
समुद्र मंथन से शुरू हुआ शिवजी का जलाभिषेक: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब श्रृष्टि के कल्याण और रक्षा के लिए समुद्र मंथन किया गया, तब श्रावण मास चल रहा था. सावन के महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की तिथि थी और इस समुद्र मंथन से जब विष निकला, तो इसे भोलेशंकर ने ग्रहण कर लिया था. यह विष शिवजी के गले में पहुंच कर एक गया, इस विष की गर्मी और असर को कम करने के लिए देवताओं ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था. उसी समय से सावन माह में शिवजी पर जल चढ़ाने की परंपरा आरंभ हुई थी और इसी परंपरा को निभाने के लिए आज भी कांवड़ के रूप में हरिद्वार से गंगाजल भरकर भक्त शिवजी का उस जल से अभिषेक करते हैं.
संतानदायक है शनि प्रदोष का शुभ योग: इस सावन की शिवरात्रि पर एक अति-दुर्लभ योग भी बन रहा है, जो पूर्व 30 साल बाद देखने को मिलेगा. इस वर्ष सावन शिवरात्रि पर शनि प्रदोष का शुभ संयोग भी बन रहा है. इसके प्रभाव से इस दिन शनिदेव की विशेष कृपा भी रहेगी, यह संयोग शनि के स्वराशि में संचरण के चलते बन रहा है. शनि प्रदोष के प्रभाव से इस दिन का व्रत संतान दायक भी माना जाता है, जिन जातकों को संतान प्राप्ति की मनोकामना हो, वे इस शिवरात्रि का व्रत जरूर रखें.
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