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Motivational: इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप में टीम को सिल्वर जिताने वाले संजय ने साझा किए अनुभव

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Published : Oct 5, 2021, 7:14 AM IST

Updated : Oct 5, 2021, 9:34 AM IST

युवा खिलाड़ी संजय कुशवाह ने गांव की गलियों से निकालकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भिंड का नाम रोशन किया है. हाल ही में नेपाल में आयोजित हुई इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारतीय कबड्डी टीम ने सिल्वर मेडल हासिल की है और संजय भी इसी टीम का हिस्सा थे.

kabbadi player
कबड्डी खिलाड़ी

भिंड। जिले के बच्चे अब खेल के क्षेत्र में देश ही नहीं विदेशों में भी नाम रोशन कर रहे हैं. फिर चाहे वह वॉटर स्पोर्ट्स हो, घुड़सवारी या कबड्डी या फिर पैरा केनो-कयाकिंग खेल. भारत की पहली दिव्यांग महिला खिलाड़ी पूजा ओझा को तो सभी जानते हैं, लेकिन अब कबड्डी जैसे पारम्परिक खेलों को भी भिंड के युवा आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे ही एक युवा खिलाड़ी हैं संजय कुशवाह (kabaddi Player Sanjay Kushwaha), जिन्होंने गांव की गलियों से निकालकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भिंड का नाम रोशन किया है. हाल ही में नेपाल में आयोजित हुई इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप (Indo Nepal International Championship) में भारतीय कबड्डी टीम (Indian kabaddi Team) ने सिल्वर मेडल हासिल की है और संजय भी इसी टीम का हिस्सा थे.

सिल्वर लाने पर भिंड वासियों ने किया स्वागत.

संजय कुशवाह ने जिलेवासियों को किया गौरवान्वित
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच आपसी समन्वय और भाईचारे के उद्देश्य से खेल प्रतियोगिताओं का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है, जिनमें विभिन्न खेलों में विश्व कप, ओलम्पिक, एशियाड और कई तरह की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं (International Games) शामिल हैं. किसी भी खिलाड़ी को इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है. कड़ी ट्रेनिंग करनी पड़ती है. जब एक छोटे से ग्रामीण परिवेश से निकले युवा को उस स्तर पर खेलते हुए देखा जाता है तो ना सिर्फ उसकी मेहनत सफल होती है, बल्कि उसके परिवार, क्षेत्रवासियों का भी सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. भिंड के मेहगांव अनुभाग में एक छोटे से गांव पचेरा के रहने वाले संजय कुशवाह ने भी वही गर्व जिलेवासियों को महसूस कराया है.

kabbadi player
मेडल के साथ खिलाड़ी

हर रोज 5 किमी दौड़ाते थे पिता
संजय कुशवाह ने नेपाल में आयोजित हुई इंडो-नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा बने. 23 सितंबर से 28 सितम्बर तक चली इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारतीय टीम ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. भारतीय टीम और अपने बेटे की उपलब्धि पर संजय के माता-पिता भी बहुत खुश हैं. पूरे गांव के सामने उसने उनका सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है. संजय के पिता अनिल कुशवाह मूलरूप से किसान हैं और मेहगांव में अपनी छोटी से खादबीज की दुकान चलाते हैं.

उनका कहना है कि संजय को वह खुद प्रतिदिन 5 किलोमीटर दौड़ लगवाते हैं. उसके बाद उसे ग्वालियर पढ़ने के लिए भेजा. जहां उसके कोच द्वारा आगे की ट्रेनिंग दी गयी. उसी का फल है कि आज वो भारतीय टीम की ओर से नेपाल में सिल्वर मेडल जीत कर लाया है. उन्होंने प्रशासन से भी मांग की है की खेल के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया करायी जाएं तो और भी बच्चे अच्छी ट्रेनिंग के साथ जिले का नाम रोशन करेंगे. पिता की तरह संजय की मां भी बेटे की उपलब्धि पर बहुत खुश हैं.

पढ़ाई के साथ खेल पर भी फोकस
संजय कुशवाह ने बताया कि शुरू से की खेलों में उनकी रुचि रही है. पहले ब्लॉक, फिर जिला और फिर संभाग स्तर पर कबड्डी खेलने गये. वहां से जीते भी, लेकिन बाद में बोर्ड परीक्षाओं के चलते कुछ समय के लिए खेल से दूरी बना ली. जब कॉलेज में पहुंचे तो एक बार फिर पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स में वापसी की और कोच दीपक सर से ट्रेनिंग ली. यूथ गेम्स एंड डिवेलप्मेंट फाउंडेशन से जुड़कर खेलना शुरू किया. एक दिन उनके कोच ने उन्हें इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप के ट्रायल (kabaddi Trial) में शामिल होने के लिए कहा. उन्होंने इस ट्रायल में 400 मीटर रनिंग और कबड्डी में सिलेक्शन पाया.

indo Nepal International Championship
इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप

ऑनलाइन सीखी टेक्निक
संजय ने बताया की उनके लिए कम समय में तैयारी करना चुनौती भरा था. कोच की ट्रेनिंग के अलावा समय कम होने से उन्हें तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा था, जिसके लिए उन्होंने ऑनलाइन वीडियो देखना शुरू किए और खिलाड़ियों की बारीकियां समझीं (kabaddi Online Video), लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, नेपाल जाने से करीब 10 दिन पहले वे बीमार हो गए. चेकअप में पता चला कि उन्हें डेंगू है, डॉक्टर ने बेडरेस्ट की सलाह दी. सामने इतने बड़े मौके को हाथ से निकलते देख अपने हौसला बुलंद किए और सामान पैक कर अपनी टीम के साथ नेपाल रवाना हो गया.

जीत से चूकने का अफसोस
संजय कुशवाह ने बताया कि नेपाल पहुंचने के लिए उनकी टीम को दो दिनों का सफर तय करना पड़ा, जिसकी वजह से काफी थकान हो चुकी थी. अगले ही दिन पहला मैच था, जिस वजह से प्रैक्टिस और आराम दोनों ही चीजों के लिए समय नहीं मिला. उन्होंने यह भी बताया कि नेपाल के साथ हुए फाइनल मैच के दौरान दूसरे राउंड के समय उनकी टीम के दो खिलाड़ियों को चोट लगने से टाइमआउट दिया गया. जिसकी वजह से टीम के 9 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा. अगले दो राउंड्स नेपाल के खाते में गए. हालांकि फिर भी बेहतर प्रदर्शन के चलते भारतीय टीम दूसरे स्थान पर रही और सिल्वर मेडल अपने खाते में किया.

EXCLUSIVE: पुरुष टीम को प्रशिक्षण देने वाली शालिनी पाठक ने कहा- माता पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए

थाइलैंड में गोल्ड पर नजर
संजय कुशवाह की वापसी पर उनके परिवार और गांव के लोगों ने उनका बेहद धूमधाम से स्वागत किया. परिवार और गांव के लोगों को उनकी उपलब्धि पर गर्व है. वहीं संजय ने बताया कि वह जल्द ही थाइलैंड में होने वाली चैंपियनशिप में भी हिस्सा लेने वाले हैं. दिसंबर में थाइलैंड में आयोजित होने वाली चैंपियनशिप के लिए तैयारी शुरू करने वाले हैं, जिससे पूरी क्षमता से खेल में अपना प्रदर्शन दिखा सकें और भारतीय टीम को गोल्ड दिलाने में अपनी भूमिका अदा करें. उनका पूरा परिवार भी इस बार उनसे यही उम्मीद कर रहा है.

भिंड। जिले के बच्चे अब खेल के क्षेत्र में देश ही नहीं विदेशों में भी नाम रोशन कर रहे हैं. फिर चाहे वह वॉटर स्पोर्ट्स हो, घुड़सवारी या कबड्डी या फिर पैरा केनो-कयाकिंग खेल. भारत की पहली दिव्यांग महिला खिलाड़ी पूजा ओझा को तो सभी जानते हैं, लेकिन अब कबड्डी जैसे पारम्परिक खेलों को भी भिंड के युवा आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे ही एक युवा खिलाड़ी हैं संजय कुशवाह (kabaddi Player Sanjay Kushwaha), जिन्होंने गांव की गलियों से निकालकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भिंड का नाम रोशन किया है. हाल ही में नेपाल में आयोजित हुई इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप (Indo Nepal International Championship) में भारतीय कबड्डी टीम (Indian kabaddi Team) ने सिल्वर मेडल हासिल की है और संजय भी इसी टीम का हिस्सा थे.

सिल्वर लाने पर भिंड वासियों ने किया स्वागत.

संजय कुशवाह ने जिलेवासियों को किया गौरवान्वित
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच आपसी समन्वय और भाईचारे के उद्देश्य से खेल प्रतियोगिताओं का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है, जिनमें विभिन्न खेलों में विश्व कप, ओलम्पिक, एशियाड और कई तरह की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं (International Games) शामिल हैं. किसी भी खिलाड़ी को इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है. कड़ी ट्रेनिंग करनी पड़ती है. जब एक छोटे से ग्रामीण परिवेश से निकले युवा को उस स्तर पर खेलते हुए देखा जाता है तो ना सिर्फ उसकी मेहनत सफल होती है, बल्कि उसके परिवार, क्षेत्रवासियों का भी सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. भिंड के मेहगांव अनुभाग में एक छोटे से गांव पचेरा के रहने वाले संजय कुशवाह ने भी वही गर्व जिलेवासियों को महसूस कराया है.

kabbadi player
मेडल के साथ खिलाड़ी

हर रोज 5 किमी दौड़ाते थे पिता
संजय कुशवाह ने नेपाल में आयोजित हुई इंडो-नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा बने. 23 सितंबर से 28 सितम्बर तक चली इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारतीय टीम ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. भारतीय टीम और अपने बेटे की उपलब्धि पर संजय के माता-पिता भी बहुत खुश हैं. पूरे गांव के सामने उसने उनका सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है. संजय के पिता अनिल कुशवाह मूलरूप से किसान हैं और मेहगांव में अपनी छोटी से खादबीज की दुकान चलाते हैं.

उनका कहना है कि संजय को वह खुद प्रतिदिन 5 किलोमीटर दौड़ लगवाते हैं. उसके बाद उसे ग्वालियर पढ़ने के लिए भेजा. जहां उसके कोच द्वारा आगे की ट्रेनिंग दी गयी. उसी का फल है कि आज वो भारतीय टीम की ओर से नेपाल में सिल्वर मेडल जीत कर लाया है. उन्होंने प्रशासन से भी मांग की है की खेल के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया करायी जाएं तो और भी बच्चे अच्छी ट्रेनिंग के साथ जिले का नाम रोशन करेंगे. पिता की तरह संजय की मां भी बेटे की उपलब्धि पर बहुत खुश हैं.

पढ़ाई के साथ खेल पर भी फोकस
संजय कुशवाह ने बताया कि शुरू से की खेलों में उनकी रुचि रही है. पहले ब्लॉक, फिर जिला और फिर संभाग स्तर पर कबड्डी खेलने गये. वहां से जीते भी, लेकिन बाद में बोर्ड परीक्षाओं के चलते कुछ समय के लिए खेल से दूरी बना ली. जब कॉलेज में पहुंचे तो एक बार फिर पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स में वापसी की और कोच दीपक सर से ट्रेनिंग ली. यूथ गेम्स एंड डिवेलप्मेंट फाउंडेशन से जुड़कर खेलना शुरू किया. एक दिन उनके कोच ने उन्हें इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप के ट्रायल (kabaddi Trial) में शामिल होने के लिए कहा. उन्होंने इस ट्रायल में 400 मीटर रनिंग और कबड्डी में सिलेक्शन पाया.

indo Nepal International Championship
इंडो नेपाल इंटरनेशनल चैंपियनशिप

ऑनलाइन सीखी टेक्निक
संजय ने बताया की उनके लिए कम समय में तैयारी करना चुनौती भरा था. कोच की ट्रेनिंग के अलावा समय कम होने से उन्हें तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा था, जिसके लिए उन्होंने ऑनलाइन वीडियो देखना शुरू किए और खिलाड़ियों की बारीकियां समझीं (kabaddi Online Video), लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, नेपाल जाने से करीब 10 दिन पहले वे बीमार हो गए. चेकअप में पता चला कि उन्हें डेंगू है, डॉक्टर ने बेडरेस्ट की सलाह दी. सामने इतने बड़े मौके को हाथ से निकलते देख अपने हौसला बुलंद किए और सामान पैक कर अपनी टीम के साथ नेपाल रवाना हो गया.

जीत से चूकने का अफसोस
संजय कुशवाह ने बताया कि नेपाल पहुंचने के लिए उनकी टीम को दो दिनों का सफर तय करना पड़ा, जिसकी वजह से काफी थकान हो चुकी थी. अगले ही दिन पहला मैच था, जिस वजह से प्रैक्टिस और आराम दोनों ही चीजों के लिए समय नहीं मिला. उन्होंने यह भी बताया कि नेपाल के साथ हुए फाइनल मैच के दौरान दूसरे राउंड के समय उनकी टीम के दो खिलाड़ियों को चोट लगने से टाइमआउट दिया गया. जिसकी वजह से टीम के 9 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा. अगले दो राउंड्स नेपाल के खाते में गए. हालांकि फिर भी बेहतर प्रदर्शन के चलते भारतीय टीम दूसरे स्थान पर रही और सिल्वर मेडल अपने खाते में किया.

EXCLUSIVE: पुरुष टीम को प्रशिक्षण देने वाली शालिनी पाठक ने कहा- माता पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए

थाइलैंड में गोल्ड पर नजर
संजय कुशवाह की वापसी पर उनके परिवार और गांव के लोगों ने उनका बेहद धूमधाम से स्वागत किया. परिवार और गांव के लोगों को उनकी उपलब्धि पर गर्व है. वहीं संजय ने बताया कि वह जल्द ही थाइलैंड में होने वाली चैंपियनशिप में भी हिस्सा लेने वाले हैं. दिसंबर में थाइलैंड में आयोजित होने वाली चैंपियनशिप के लिए तैयारी शुरू करने वाले हैं, जिससे पूरी क्षमता से खेल में अपना प्रदर्शन दिखा सकें और भारतीय टीम को गोल्ड दिलाने में अपनी भूमिका अदा करें. उनका पूरा परिवार भी इस बार उनसे यही उम्मीद कर रहा है.

Last Updated : Oct 5, 2021, 9:34 AM IST
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