भिंड। जिले में आवारा गोवंश किसानों की फसल और लोगों की जान का दुश्मन बने हए हैं, नेशनल हाईवे क्रमांक-92 पर भिंड से लेकर ग्वालियर तक हजारों की तादाद में आवारा गाय सड़कों पर बैठी रहती हैं, जिसके चलते हर साल सैकड़ों गायों की वाहनों से टक्कर लगने से मौत भी हो चुकी है, तो दूसरी तरफ यह आवारा गोवंश सबसे ज्यादा बाइक सवारों की जान का दुश्मन बने हुए हैं.
किसान इन आवारा गोवंश से खरीफ की फसल को बचाने दिन-रात खेतों पर पहरा दे रहें हैं, लेकिन जिला प्रशासन को शायद इस बात की चिंता ही नहीं है. भिंड जिले में पशुपालकों और किसानों को गोवंश को पालना घाटे का सौदा साबित हो रहा है, क्योंकि जब यह गोवंश दूध देना बंद कर देता तो इनहे रोड पर छोड़ दिया जाता है, जिससे आए दिन रोड पर हादसे हो रहें हैं. बीते दिनों मानगढ़ खेरिया गांव के पास एक बाइक सवार हाईवे पर बैठे आवारा मवेशियों की चपेट में आकर घायल हो गया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो थी.
मामले को लेकर भिंड कलेक्टर छोटे सिंह का कहना है कि सरकार द्वारा जिले में 30 गौशालाओं के लिए जमीन आईडेंटिफाई कर ली गई है, और जल्द ही काम शुरू करा दिया जाएगा. जब भिंड कलेक्टर से सवाल किया गया कि मवेशियों के चलते हो रहे हादसों की जिम्मेदारी कौन लेगा तो उनका जवाब था कि हम घर से निकलते हैं तो खुद यह सुनिश्चित करके निकले कि हम सुरक्षित चलें.
गौरतलब है की जिले में करीब 50 हज़ार से अधिक आवारा गोवंश सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं.