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40 साल से सड़क का इंतजार कर रहे ग्रामीण, पगडंडी के सहारे कट रही जिंदगी

भिंड के गोहद विधानसभा क्षेत्र के चंदोखर ग्राम पंचायत के रामलाल का पूरा के ग्रामीण पिछले 40 सालों से सड़क का इंतजार कर रहे हैं, भले ही हिंदुस्तान मंगल पर पहुंच गया है, पर इन ग्रामीणों के जीवन में आज तक मंगल नहीं आया है. जिसके चलते यहां के ग्रामीण पगडंडी के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे हैं.

Waiting for the road is not ending even after 40 years
40 साल बाद भी सड़क का इंतजार
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Published : Aug 10, 2020, 9:08 PM IST

भिंड। ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बुनियादी जरूरतों में सबसे अहम कड़ी सड़क होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को कस्बों और शहरों में पहुंचने में परेशानी न हो, इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण कराती है, लेकिन गोहद विधानसभा क्षेत्र में शासन की इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, यहां के चंदोखर ग्राम पंचायत का रामलाल का पूरा एक छोटा सा गांव है. इस गांव में 100 से ज्यादा परिवार रहते हैं. गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किमी का सफर पगडंडी के सहारे तय करना पड़ता है. ये हालात पिछले 40 सालों से यूं ही बने हुए हैं.

40 साल से सड़क का इंतजार कर रहे ग्रामीण

ग्रामीणों के मुताबिक 40 साल पहले सरपंच ने इस सड़क पर मिट्टी डलवाई थी. उसके बाद से समय गुजरता गया, कई बार सरपंच भी बदले, सरकारें भी बदलीस, लेकिन उस सड़क की हालत आज भी जस की तस है. ग्रामीण अपनी सुविधा के लिए चंदा जुटाकर कच्ची सड़क पर कभी मोरम तो कभी गिट्टी डलवा कर काम चला रहे हैं. न तो इन ग्रामीणों के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना काम आ रही है, न ही गांव की सरपंच.

गिट्टी-मुरम डलवाकर चला रहे काम

ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से की है, लेकिन कोई सुनवाई आज तक नहीं हुई. सरपंच भी हमेशा बात को टालते ही रहते हैं. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि पिछले 40 सालों से इसी तरह के हालात बने हैं. लोग अपनी स्थिति के अनुसार चंदा देते हैं और उन पैसों से कभी मुरम तो कभी गिट्टी डलवाई जाती है, ताकि वाहनों के आने जाने में समस्या न हो क्योंकि बारिश के समय पूरी सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाती है.

गांव में नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस

इन ग्रामीणों के वाहनों को भी मुख्य मार्ग पर ही छोड़ना पड़ता है. जब उनसे पूछा गया कि कभी सरपंच से मांग नहीं की तो ग्रामीणों का कहना था कि सरपंच का कहना है कि ये सड़क ऑनलाइन चढ़ी ही नहीं है. जब ऑनलाइन दर्ज हो जाएगी, सिस्टम में आ जाएगी. तब इस पर पैसा निकलेगा और काम होगा. एक अन्य ग्रामीण का कहना है कि बरसात में जिस तरह के हालात यहां बनते हैं, वो बड़ा ही परेशानी भरा है. ऐसे में अगर कोई गांव का व्यक्ति बीमार हो जाए तो यहां एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है. मरीज को अस्पताल तक ले जाने के लिए खाट पर लिटाकर एंबुलेंस तक पहुंचाना पड़ता है.

खसरा नहीं होने के चलते नहीं बन पा रही सड़क

इन समस्याओं को देखते हुए सर्दी के दिनों में ग्रामीण चंदा जुटाए और बरसात से पहले सड़क पर गिट्टी डलवा दी. ग्रामीणों की समस्या और सड़क की हालत देखने के बाद ईटीवी भारत ने सरपंच से संपर्क करने की कोशिश की तो महिला सरपंच के पति का कहना था कि गांव की ये सड़क लंबे समय से अटकी है क्योंकि ये सड़क नक्शे पर नहीं है, जिसे गांव वाले सड़क बताते हैं, वह किसी व्यक्ति की निजी भूमि है. ऐसे में सड़क की जरूरत पर सरपंच पति ने कहा कि कोई भी आरआई-पटवारी या अधिकारी उस सड़क के लिए नक्शा उपलब्ध नहीं करा रहा, जब तक ये सिस्टम में नहीं आएगा, इस सड़क को कैसे बनाया जा सकता है.

परीक्षण के बाद बनेगी सड़क

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आईएस ठाकुर ने कहा कि मनरेगा के तहत शासन से निर्देश मिला है कि विश्राम घाट से लेकर आंगनबाड़ी या कंट्रोल तक की सड़क बनाने का प्रावधान है क्योंकि एक जानकारी मिली है तो गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए मनरेगा के तहत प्रयास किए जाएंगे और एक सड़क वहां जरूर बनवाई जाएगी. जिसके लिए जल्द से जल्द सर्वे कराएंगे.

ग्रामीणों की परेशानी लंबे समय से चली आ रही है. 40 साल से एक सड़क का इंतजार ग्रामीण कर रहे हैं, ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठना भी लाजिमी है, भले ही भारत मंगल पर पहुंच गया है, लेकिन रामलाल का पुरा गांव के ग्रामीणों के जीवन में आज तक मंगल नहीं आया है.

भिंड। ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बुनियादी जरूरतों में सबसे अहम कड़ी सड़क होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को कस्बों और शहरों में पहुंचने में परेशानी न हो, इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण कराती है, लेकिन गोहद विधानसभा क्षेत्र में शासन की इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, यहां के चंदोखर ग्राम पंचायत का रामलाल का पूरा एक छोटा सा गांव है. इस गांव में 100 से ज्यादा परिवार रहते हैं. गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किमी का सफर पगडंडी के सहारे तय करना पड़ता है. ये हालात पिछले 40 सालों से यूं ही बने हुए हैं.

40 साल से सड़क का इंतजार कर रहे ग्रामीण

ग्रामीणों के मुताबिक 40 साल पहले सरपंच ने इस सड़क पर मिट्टी डलवाई थी. उसके बाद से समय गुजरता गया, कई बार सरपंच भी बदले, सरकारें भी बदलीस, लेकिन उस सड़क की हालत आज भी जस की तस है. ग्रामीण अपनी सुविधा के लिए चंदा जुटाकर कच्ची सड़क पर कभी मोरम तो कभी गिट्टी डलवा कर काम चला रहे हैं. न तो इन ग्रामीणों के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना काम आ रही है, न ही गांव की सरपंच.

गिट्टी-मुरम डलवाकर चला रहे काम

ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से की है, लेकिन कोई सुनवाई आज तक नहीं हुई. सरपंच भी हमेशा बात को टालते ही रहते हैं. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि पिछले 40 सालों से इसी तरह के हालात बने हैं. लोग अपनी स्थिति के अनुसार चंदा देते हैं और उन पैसों से कभी मुरम तो कभी गिट्टी डलवाई जाती है, ताकि वाहनों के आने जाने में समस्या न हो क्योंकि बारिश के समय पूरी सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाती है.

गांव में नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस

इन ग्रामीणों के वाहनों को भी मुख्य मार्ग पर ही छोड़ना पड़ता है. जब उनसे पूछा गया कि कभी सरपंच से मांग नहीं की तो ग्रामीणों का कहना था कि सरपंच का कहना है कि ये सड़क ऑनलाइन चढ़ी ही नहीं है. जब ऑनलाइन दर्ज हो जाएगी, सिस्टम में आ जाएगी. तब इस पर पैसा निकलेगा और काम होगा. एक अन्य ग्रामीण का कहना है कि बरसात में जिस तरह के हालात यहां बनते हैं, वो बड़ा ही परेशानी भरा है. ऐसे में अगर कोई गांव का व्यक्ति बीमार हो जाए तो यहां एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है. मरीज को अस्पताल तक ले जाने के लिए खाट पर लिटाकर एंबुलेंस तक पहुंचाना पड़ता है.

खसरा नहीं होने के चलते नहीं बन पा रही सड़क

इन समस्याओं को देखते हुए सर्दी के दिनों में ग्रामीण चंदा जुटाए और बरसात से पहले सड़क पर गिट्टी डलवा दी. ग्रामीणों की समस्या और सड़क की हालत देखने के बाद ईटीवी भारत ने सरपंच से संपर्क करने की कोशिश की तो महिला सरपंच के पति का कहना था कि गांव की ये सड़क लंबे समय से अटकी है क्योंकि ये सड़क नक्शे पर नहीं है, जिसे गांव वाले सड़क बताते हैं, वह किसी व्यक्ति की निजी भूमि है. ऐसे में सड़क की जरूरत पर सरपंच पति ने कहा कि कोई भी आरआई-पटवारी या अधिकारी उस सड़क के लिए नक्शा उपलब्ध नहीं करा रहा, जब तक ये सिस्टम में नहीं आएगा, इस सड़क को कैसे बनाया जा सकता है.

परीक्षण के बाद बनेगी सड़क

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आईएस ठाकुर ने कहा कि मनरेगा के तहत शासन से निर्देश मिला है कि विश्राम घाट से लेकर आंगनबाड़ी या कंट्रोल तक की सड़क बनाने का प्रावधान है क्योंकि एक जानकारी मिली है तो गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए मनरेगा के तहत प्रयास किए जाएंगे और एक सड़क वहां जरूर बनवाई जाएगी. जिसके लिए जल्द से जल्द सर्वे कराएंगे.

ग्रामीणों की परेशानी लंबे समय से चली आ रही है. 40 साल से एक सड़क का इंतजार ग्रामीण कर रहे हैं, ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठना भी लाजिमी है, भले ही भारत मंगल पर पहुंच गया है, लेकिन रामलाल का पुरा गांव के ग्रामीणों के जीवन में आज तक मंगल नहीं आया है.

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