भिंड। मध्यप्रदेश में छोटे बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के जरिए पोषण आहार योजना चलाई जा रही है. जिसके लिए आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है और फिर बच्चों को बांटा जाता है. ये भोजन तैयार कर केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी स्वसहायता समूहों को दी गई है. लेकिन ETV Bharat ने ग्राउंड रिपोर्टिंग में पाया कि भिंड जिले में यह योजना बच्चों को पोषण देने की जगह स्वसहायता समूह संचालकों की जेब भरने का काम कर रही है. सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और पोषण आहार के मेन्यू को दरकिनार कर समूह मनमाने और घटिया क्वालिटी का खाना केंद्रों पर भेज रहे हैं. (Poshan missing from diet of children in bhind)
घटिया क्वालिटी और कम मात्रा में भेजा जा रहा आहारः भिंड शहरी परियोजना के अन्तर्गत आने वाले 179 आंगनवाड़ी केंद्रों में ज्यादातर की हालत खस्ता है. आंगनवाड़ी केंद्रों में समूहों के द्वारा प्रदान किया जा रहा भोजन गुणवत्ताहीन पाया जा रहा है और शासन द्वारा बनाया गया मेन्यू फॉलो नहीं किया जा रहा है. इन हालातों के मद्देनजर ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति देखी. बीते सोमवार को शहर के वार्ड 11 में बने आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 115 (11/5) पर पहुंचे रिपोर्टर ने पाया था कि, शासन द्वारा तय पोषण आहार मेन्यू के हिसाब से सोमवार को नाश्ते में मीठी लपसी (गेंहु के आटे, घी और शक्कर से तैयार मीठा हलवा), और भोजन में दाल-रोटी-सब्जी दी जानी चाहिए. (Food being sent in poor quality and small quantity)
केंद्र पर 3 से 6 साल के हैं 30 बच्चेः असल में केंद्र पर बच्चों के लिए मिक्स दाल, बहुत ही हल्की क्वालिटी के चावल और सूजी का हलवा जो सूजी को चीनी के साथ उबाल कर बनाया और भेजा गया था. भोजन में सब्जी गायब थी और रोटियों की जगह चावल भेज कर खानापूर्ति की जा रही थी. जब मौके पर मौजूद आंगनवाड़ी सहायिका से बात की तो उन्होंने बताया कि ये हालत हमेशा ही रहते हैं. केंद्र पर भोजन के लिए 3 से 6 वर्ष के 30 बच्चे हैं, लेकिन भोजन की मात्रा आधी भी नहीं होती है. ऐसे में बच्चों के लिए खाने की पूर्ति नहीं होती है. कई बार समूह को बोला भी वे हर बार बढ़ा देने की बात कह टाल देते हैं. वहीं उन्होंने बताया था कि, हमेशा इसी तरह का खाना आता है, नाश्ते में सिर्फ सूजी का हलवा रहता है और भोजन में कभी दाल चावल, तो कभी खिचड़ी या दलिया, मंगलवार को पूड़ी सब्जी भेजी जाती है.(There are 30 children aged 3 to 6 at the center)
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अपनी कमी की जगह अन्य समूहों की खोल रहे पोलः इस केंद्र पर भोजन महिला बाल विकास भिंड शहरी परियोजना की ओर से अधिकृत स्मृति स्वसहायता समूह द्वारा सप्लाई किया जाता है. जब इस सम्बंध में हमने समूह संचालक से अधिकारिक वर्जन लेने के लिए बात की तो भोजन की कम मिल रही मात्रा को लेकर समूह चलाने वाली माया देवी का कहना था कि, आंगनवाड़ी केंद्रों पर कार्यकर्ता छोटे बर्तन रखती हैं. इसलिए जितना बर्तन में आएगा उतना ही देना पड़ेगा. वहीं जब भोजन और नाश्ते के मेन्यू और क्वालिटी के बारे में सवाल किया तो समूह संचालिका का कहना था कि आप अन्य वार्डों में जाकर देखो सभी जगह खिचड़ी जा रही है हम बिलकुल ठीक खाना भेज रहे हैं. (In place of their shortcomings, the secrets of other groups are being exposed)
बच्चों की थाली से गायब है रोटीः रोटी के संबंध में पूछने पर समूह संचालिका का कहना था कि सुपरवाइजर के कहने पर भेजती हैं ऐसा खाना. समूह संचालक ने परियोजना अधिकारी पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि हमारे सुपरवाइजर परियोजना अधिकारी बीना मिश्रा ने उन्हें कहा है कि दाल चावल के साथ लपसी की जगह सूजी का हलवा भेजना है. जैसा अधिकारियों ने कहा है हम वैसा ही खाना भेजते हैं. रोटियों के संबंध में सवाल पर भी जवाब गोलमोल दिया. (Bread is missing from the children plate)
आरोप पर परियोजना अधिकारी का खंडनः जब परियोजना अधिकारी बीना मिश्रा से इस संबंध में हमने बात की गई तो उन्होंने आरोप को निराधार बताया. उनका कहना था कि समूह संचालक पहले भी लापरवाही बरत रही थी, जिसके लिए उसे दो बार नोटिस भी जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि हम पूरा प्रयास करेंगे के गुणवत्ता में सुधार आए और इस तरह की ग़लतियां आगे सामने ना आएं. (Project officer rebuttal on the allegation)
पर्यवेक्षक बोली-अधिकारियों को करा दिया है अवगतः समूह द्वारा नियमों का पालन न करने को लेकर जब केंद्र 23/1 की पर्यवेक्षक सुलोचना चौरसिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में जानकारी मिली है. समूह की इस लापरवाही को लेकर उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित कर दिया है. (supervisor has made bidding officials aware)
कागजों में हो रहा योजना का क्रियान्वयनः ये हालत सिर्फ इन चंद आंगनवाड़ियों के नहीं बल्कि ज्यादातर केंद्रों की कहानी है. कई केंद्रों पर बच्चों के भोजन में रोटी गायब है, मेन्यू सिर्फ सरकारी कागजों में दफन नजर आ रहा है, और खाना उपलब्ध कराने वाले समूह लापरवाही का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ कर शासन को चूना लगाने में लगे हुए हैं. इस संबध में माया देवी, संचालक, स्मृति स्वसहायता समूह ने कहा कि "हमारे पीछे क्यों पड़े हो चार वार्ड में हमेशा खिचड़ी भेजते हैं समूह वाले उनकी कोई क्यों नहीं देखता". " हमें परियोजना अधिकारी बीना मिश्रा मैडम ने कहा है की दाल चावल के साथ सूजी का हलवा लपसी होती है. सूजी का हलवा भेजो जैसा, उन्होंने कहा हम वही कर रहे हैं". वहीं बीना मिश्रा, भिंड शहरी परियोजना अधिकारी का कहना है कि "जो भी आरोप लगाये हैं वे गलत हैं, वह महिला फालतू की बात करती है, मैंने उसे समझाया है दो बार पहले ही स्मृति समूह को नोटिस जारी किए जा चुके हैं. अगर सुधार नहीं आया तो कड़े कदम उठाए जाएंगे". (Poshan missing from diet of children in bhind)