भिंड। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी बिगुल बज चुका है. भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोहद विधानसभा सीट पूर्व विधायक रणवीर जाटव के इस्तीफे से खाली हुई है.
जनता के आशीर्वाद से क्या बीजेपी की नैया होगी पार ?
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले रणवीर जाटव बीजेपी के संभावित प्रत्याशी माने जा रहे हैं. रणवीर जाटव एक बार फिर अपनी जीत का दम भरते नजर आ रहे हैं. संभावित प्रत्याशी की माने तो उन्हें पूरी उम्मीद है कि जनता उन्हें आशीर्वाद देगी, और हम गांव-गांव का दौरा कर रहे हैं. जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. इसके साथ ही कहा कि कमलनाथ ने एक भी वादा पूरा नहीं किए थे. ऐसे में जनता और कार्यकर्ताओं के खातिर कांग्रेस का दामन छोड़ा और बीजेपी में आया हूं. जनता ने सब देखा है कैसे कांग्रेस ने उनके साथ भेदभाव किया है.
मेवाराम जाटव पर कांग्रेस ने जताया भरोसा
इधर कांग्रेस के प्रत्याशी मेवाराम जाटव ने भी अपनी राजनीति की शुरुआत बहुजन समाजवादी पार्टी से की,और 2013 में बीएसपी से गोहद सीट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा, बल्कि उस वक्त चुनाव में बसपा की जमानत तक जब्त हो गई थी. जिसके बाद वह कांग्रेस में शामिल होकर चुनावी मैदान पर उतरें, लेकिन किस्मत और जनता दोनों ने मेवाराम जाटव का साथ नहीं दिया और वह दूसरी बार भी चुनाव हार गए. इन सबके बावजूद कांग्रेस ने एक बार फिर मेवाराम जाटव पर भरोसा जताया है.
उपचुनाव की रेस में बसपा को भी जीत की उम्मीद
उपचुनाव की रेस में बसपा भी अपने आप को कम नहीं आंक रही है.बसपा से प्रत्याशी यशवंत पटवारी तो कई बार पार्टियां बदल चुके हैं.राजनीति में आने के जुनून से पटवारी की नौकरी छोड़ चुके यशवंत पटवारी ने 2004 में बसपा ज्वाइन की तो साल भर से भी कम समय बाद 2005 में कांग्रेस का दामन थामा, और 3 साल बाद 2008 में फिर से बसपा में घर वापसी की. और अब गोहद में दूसरी बार बसपा से मैदान पर उतर रहे हैं. यशवंत पटवारी की माने तो इनका पूरा भरोसा है कि जनता की अदालत सबसे बड़ी अदालत है, और उस अदालत में जो फैसला होगा उसे स्वीकार किया जाएगा.
गोहद विधानसभा का इतिहास
गोहद एक ऐसी विधानसभा क्षेत्र है, जो 1985 आम चुनाव के बाद तीसरे उप चुनाव का साक्षी बनने जा रहा है. पहला चुनाव कांग्रेस सरकार में हुआ था. 1988 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक चतुर्भुज भदकारिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव की कमान उस वक्त कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को सौंपी गई थी. दूसरा उप चुनाव कांग्रेस विधायक माखन जाटव की हत्या के बाद खाली हुई सीट के कारण 2009 में हुआ था.अब 2018 में कांग्रेस से विधायक चुने गए रणवीर जाटव ने सिंधिया के समर्थन में इस्तीफा दिया तो गोहद में अब यह तीसरा उप चुनाव होने वाला है.
गोहद में ऐसे रहा मतदान फीसदी ?
1990 में सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में बीजेपी मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए. तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी तो 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा और बीजेपी की पटवा सरकार हार गई थी. वहीं, 1998 में वोटिंग प्रतिशत 60.22 था और उस वक्त दिग्विजय सिंह की सरकार बनी. लेकिन 2003 में उमा भारती की लहर में दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. वहीं भिंड की गोहद सीट से लाल सिंह आर्य 2013 के पहले 1998 और 2003 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2008 में इस सीट से कांग्रेस के माखन लाल जाटव ने जीत दर्ज की है.
गोहद से कब किसने मारी बाजी
- 1980 में बीजेपी से श्रीराम जाटव ने दर्ज की जीत
- 1985 में कांग्रेस से चर्तुभुज भदकारिया ने दर्ज की जीत
- 1989 में कांग्रेस से सोपत जाटव ने दर्ज की जीत
- 1990 में बीजेपी से श्रीराम जाटव ने दर्ज की जीत
- 1993 बसपा से चतुरीलाल बराहदिया ने दर्ज की जीत
- 1998 में बीजेपी से लाल सिंह आर्य ने दर्ज की जीत
- 2003 में बीजेपी से लाल सिंह आर्य ने दर्ज की जीत
- 2008 में कांग्रेस से माखनलाल जाटव ने दर्ज की जीत
- 2009 में कांग्रेस से रणवीर जाटव ने दर्ज की जीत
- 2013 में बीजेपी से लाल सिंह आर्य जीते
- 2018 में कांग्रेस से रणवीर जाटव ने दर्ज की जीत
जनता की अदालत में होगा फैसला !
खैर तीनों दिग्गज पार्टियों के प्रत्याशी इस बार चुनाव जीतने के लिए पूरी जोर से मेहनत कर रहे हैं.अपने प्रचार प्रसार को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहे हैं.जिनमें अन्य 2 प्रत्याशियों के मुकाबले बीजेपी आगे नजर आ रही है, लेकिन जीत का सेहरा गोहद की जनता दलबदलू प्रत्याशियों को पहनाती है या फिर किसी निर्दलीय को विधायक बनाती है ये 10 नवंबर को तय होगा.