भिंड। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते कारोबार प्रभावित हुआ. सबसे ज्यादा परेशानी रोज कमाने खाने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को हुई. ऐसे लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार की तरफ से योजना चलाई जा रही है. इसके साथ ही रेहड़ी, पटरी, ठेला लगाने वाले स्ट्रीट वेंडरों को बिना किसी गारंटी के 10 हजार रुपये का लोन दिया जाता है. पिछले साल जून में शुरू की गई प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना का उद्देश्य देश के करीब 50 लाख स्ट्रीट वेंडर को 10 हजार रुपये का लोन एक साल के लिए बिना किसी गारंटी के देना है. कोरोना काल में सामने आई परेशानियों के बाद जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर लौट रही है. फिर से सपने साकार होने लगे हैं, भिंड ज़िले में ऐसे कई हितग्राही हैं जिन्हें योजना का लाभ मिला और कई लोग आज भी इस लाभ का इंतज़ार कर रहे हैं.
आजीविका शुरू करने में मददगार बनी योजना
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का लाभ देश भर के रेहड़ी-पटरी वालों को मिल रहा है. इसी स्वनिधि योजना के तहत भिण्ड जिले के हजारों लोग भी योजना का लाभ लेकर अपनी आजीविका बेहतर बना रहे हैं. इस योजना में कामगारों को बिना किसी गारंटी के दस हजार रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जाता है. मुख्य बाज़ार में फुटपाथ पर अपनी चूड़ियों की छोटी सी रेहड़ी लगाने वाली सलमा बेगम ने बताया की उन्होंने कुछ दिनों पहले ही लोन के लिए अप्लाई किया था. जैसे ही लोन मिला उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है. आजीविका का साधन इस धनराशि के साथ उन्होने जुटाया. सलमा ब्याज चुकाकर अपने कारोबार को और भी आगे ले जाना चाहती हैं.
पहला लोन चुकाया तो बढ़ गयी क्रेडिट लिमिट
सलमा बेगम की तरह ऐसी ही एक कहानी बलवीर है. कोरोना में उनका व्यवसाय ठप हो गया था. रोज़ कमाने खाने वाले बलवीर को लॉकडाउन और फिर कोरोना की दूसरी लहर में भी कमाई का ज़रिया नही मिला. उन्होंने पीएम स्वनिधि योजना के तहत नगर पालिका भिंड की मदद से लोन के लिए आवेदन किया तो उन्हें ना सिर्फ़ लोन मिला बल्कि उनके जीवन को दोबारा रफ़्तार मिली. उन्होंने शहर के सदर बाज़ार में जूते चप्पल का ठेला लगाना शुरू किया. इतना ही नहीं, ईमानदारी से योजना का लोन भी चुकाया. जिसका फ़ायदा यह हुआ कि उनकी क्रेडिट लिमिट बढ़ गयी. इस साल उन्हें 20 हज़ार का लोन बड़ी आसानी से मिल गया.
आज भी कुछ वेंडर्स को योजना के लाभ का इंतज़ार
ऐसा नही हैं कि इस योजना का लाभ सभी को सामान रूप से मिल रहा है. कुछ गरीब रेहड़ी वाले (Street Vendors) ऐसे भी हैं जिन्हे आज भी इस योजना के लाभ का इंतज़ार है. बाज़ार में ठेला लगा कर कपड़े बेचने वाले कमलेश के सपने आज भी मजबूरी के तले दबे हैं. उन्हें आज भी दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. कमलेश ने बताया कि उन्होंने भी कुछ दिन पहले पीएम स्वनिधि योजना के तहत लोन का फार्म भरा था, लेकिन ज़िम्मेदारों की उदासीनता के चलते नगरपालिका के बार-बार चक्कर लगाकर थक गए. हमेशा भीड़ भाड़ की वजह से आज भी उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल सका हैं . ये हालत शहर के कई अन्य फुटपाथ विक्रेताओं के भी हैं, जो नगर पालिका के चक्कर लगा लगा कर परेशान है. लेकिन आस अब भी नहीं छोड़ी है.
दो महीने में 2 हज़ार वेंडर्स का लोन हुआ स्वीकृत
भिंड कलेक्टर और भिंड नगर पालिका के प्रशासक डॉ सतीश कुमार एस ने बताया कि इस योजना के तहत सरकार द्वारा 14 हजार लोगों को स्वनिधि योजना के तहत लोन उपलब्ध कराने का टारगेट दिया गया था. बीते साल 4 हजार लोगों को 10 हजार रुपए का लोन उपलब्ध करा दिया गया था. इन दो महीनो में लगातार ज़िले के सभी नगरीय निकायों में वार्ड वार कैम्प लगाकर आवेदन भरवाए गए हैं, जिसके बाद अब तक 4500 लोगों को और लोन उपलब्ध करा दिया गया है. इस साल के बचे हुए 9 हज़ार के टार्गेट में 7 हज़ार से ज़्यादा आवेदन प्रेषित हैं. जिन्हें जल्द पूरा कराने और हितग्राहियों को राशि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जारी है.
योजना का लाभ दिलाने के लिए लगातार किया हो रहा है
कलेक्टर ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए जगह-जगह कैम्प लगाए जा रहे हैं. नगर पालिका द्वारा भी समय समय पर इसकी मुनादी की जाती है. साथ ही इसके लिए विशेष तौर पर एक टीम बनायी गयी है, जिसे बैंक और वेंडर दोनों के बीच माध्यम बनाया गया है. जिससे वेंडर्स सही जानकारी के साथ अपना फार्म जमा करें और लोन निरस्त होने की सम्भावना ना के बराबर हो.