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कोरोना का डरः उज्जैन से लौटे शख्स को ग्रामीणों ने नहीं दी गांव में एंट्री

भिंड जिले के धोरका गांव में उज्जैन से लौटे एक युवक को ग्रामीणों ने गांव में एंट्री नहीं दी. ग्रामीणों ने उसे अपनी जांच कराने की बात कही है.

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शख्स को ग्रामीणों ने नहीं दी गांव में एंट्री
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Published : May 10, 2020, 8:32 PM IST

भिंड। कोरोना का डर इस कदर हावी है कि जिले में 2 मरीज पॉजिटिव आते ही गांवों में बाहर से आने वाले लोगों के साथ उपेक्षित व्यवहार शुरू कर दिया है. भिंड के धोरका गांव में उज्जैन से आए एक शख्स को पूरी जांच के बाद भी गांव में एंट्री नहीं दी जा रही और तो और दोबारा जांच का दबाव बनाकर भिंड जिला अस्पताल से सर्टिफिकेट लाने के लिए उसे गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

उज्जैन से लौटे शख्स को ग्रामीणों ने नहीं दी गांव में एंट्री

ग्रामीण को गांव में एंट्री न मिलने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गांव वालों ने एंबुलेंस के जरिए पहले तो उसे जिला अस्पताल भेजकर दोबारा जांच का सर्टिफिकेट मांगा है. उज्जैन से लौटे परुशुराम नाम के शख्स ने बताया कि वह उज्जैन में फास्ट फूड का ठेला लगाकर अपना घर चलाता था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से जब आय का कोई साधन नहीं बचा और भूख सताने लगी तो अपने गांव की तरफ रुख किया.

सबसे पहले भिंड पहुंचकर बस स्टैंड पर जांच कराई तो डॉक्टर ने 14 दिन का होम क्वॉरेंटाइन में रहने की सलाह दी. जिसके बाद वह किसी तरह अपने गांव धोरका पहुंचा. पहले दिन गांव वालों ने गांव के बाहर बने के स्कूल में रुकने के लिए कहा. लेकिन अगले दिन लोग भिंड जाकर जिला अस्पताल से जांच का सर्टिफिकेट लाने पर अड़ गए और अब गांव में एंट्री नहीं दे रहे हैं. परेशान होकर आखिरकार अब परशुराम को एंबुलेंस के जरिए सर्टिफिकेट बनवाने भिंड जिला अस्पताल आना पड़ा है. ऐसे समय में जब लोग पहले ही दर-दर भटक रहे हैं, पैदल सफर तय कर घर पहुंच रहे हैं. ऐसे में इस तरह की परेशानियां मजदूरों की समस्या बढ़ा रही है.

भिंड। कोरोना का डर इस कदर हावी है कि जिले में 2 मरीज पॉजिटिव आते ही गांवों में बाहर से आने वाले लोगों के साथ उपेक्षित व्यवहार शुरू कर दिया है. भिंड के धोरका गांव में उज्जैन से आए एक शख्स को पूरी जांच के बाद भी गांव में एंट्री नहीं दी जा रही और तो और दोबारा जांच का दबाव बनाकर भिंड जिला अस्पताल से सर्टिफिकेट लाने के लिए उसे गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

उज्जैन से लौटे शख्स को ग्रामीणों ने नहीं दी गांव में एंट्री

ग्रामीण को गांव में एंट्री न मिलने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गांव वालों ने एंबुलेंस के जरिए पहले तो उसे जिला अस्पताल भेजकर दोबारा जांच का सर्टिफिकेट मांगा है. उज्जैन से लौटे परुशुराम नाम के शख्स ने बताया कि वह उज्जैन में फास्ट फूड का ठेला लगाकर अपना घर चलाता था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से जब आय का कोई साधन नहीं बचा और भूख सताने लगी तो अपने गांव की तरफ रुख किया.

सबसे पहले भिंड पहुंचकर बस स्टैंड पर जांच कराई तो डॉक्टर ने 14 दिन का होम क्वॉरेंटाइन में रहने की सलाह दी. जिसके बाद वह किसी तरह अपने गांव धोरका पहुंचा. पहले दिन गांव वालों ने गांव के बाहर बने के स्कूल में रुकने के लिए कहा. लेकिन अगले दिन लोग भिंड जाकर जिला अस्पताल से जांच का सर्टिफिकेट लाने पर अड़ गए और अब गांव में एंट्री नहीं दे रहे हैं. परेशान होकर आखिरकार अब परशुराम को एंबुलेंस के जरिए सर्टिफिकेट बनवाने भिंड जिला अस्पताल आना पड़ा है. ऐसे समय में जब लोग पहले ही दर-दर भटक रहे हैं, पैदल सफर तय कर घर पहुंच रहे हैं. ऐसे में इस तरह की परेशानियां मजदूरों की समस्या बढ़ा रही है.

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