भिंड। लगातार तीन साल नंबर वन रहा भिंड जिला अस्पताल अब रेफरल सेंटर में तब्दील हो गया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अस्पताल में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं ना ही आधुनिक मशीनें हैं. हालत यह है कि हर महीने करीब 500 से 600 मरीजों को भिंड से ग्वालियर रेफर कर दिया जाता है.
भिंड जिले में संचालित हो रहे सरकारी अस्पतालों के हाल बेहाल हैं. यहां से ज्यादातर मरीज गंभीर हालत में ग्वालियर रेफर कर दिए जाते हैं. वजह है डॉक्टरों और स्टाफ नर्स के पद खाली हैं. वहीं हर महीने 17 जननी एक्सप्रेस से करीब दो हजार से ज्यादा मरीजों को जिले के सरकारी अस्पतालों से जिला अस्पताल लाया जाता है. जिनमें से 500 से ज्यादा मरीजों को जिला अस्पताल से ग्वालियर रेफर किया जाता है. इसके अलावा एक हजार से ज्यादा मरीज निजी वाहनों से अन्य जिलों में चले जाते हैं
नीचे दिये गये आंकड़े जिला अस्पलात की कलई खोलने के लिए काफी हैं. कि किस महीने कितने मरीज हुए जिला अस्पताल से रेफर हुए हैं आंकड़ों से समझा जा सकता है. जनवरी 2019 से अक्टूबर 2019 तक मिले आंकड़ों के मुताबिक...
- जनवरी- 35746 कुल मरीज इलाज के लिए पहुंचे, 3997 मरीज जिले भर से रेफर या सीधे जिला अस्पताल में भर्ती हुए जबकि इनमें से 421 को जिला अस्पताल से रेफर कर दिया गया
- फरवरी - कुल मरीज 32557, अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों की संख्या 4003, जिनमें 415 रेफर कर दिए गए
- मार्च- कुल मरीज 35894, भर्ती मरीज 5208, रेफर 509
- अप्रैल - कुल मरीज 33742, भर्ती मरीज 6684, रेफर 433
- मई- कुल मरीज 36813, भर्ती मरीज 8774, रेफर 428
- जून- कुल मरीज 33617, भर्ती मरीज 8013, रेफर 423
- जुलाई- कुल मरीज 40106, भर्ती मरीज 8802, रेफर, 551
- अगस्त - कुल मरीज 41342, भर्ती मरीज 8989, रेफर 504
- सितंबर - कुल मरीज 37819, भर्ती मरीज 7869, रेफर 538
- अक्टूबर कुल मरीज 31578, भर्ती मरीज 6618, रेफर 590
यह आंकड़े जिला अस्पताल की स्थिति दर्शाते हैं जहां इस साल लगभग 10 महीने में करीब 5000 मरीज ग्वालियर रेफर किए गए, जो कि अपने आप में एक बड़ी संख्या है खासकर तब जब जिला अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों में 20% जिले के अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्र जननी एक्सप्रेस 108 एंबुलेंस और डायल 100 के जरिए जिला अस्पताल में भर्ती कराए जाते हैं.
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन इन मरीजों को बाहर रेफर किए जाने को सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं. हालांकि वह मानते हैं कि अस्पताल में डॉक्टर और आधुनिक मशीनों की कमी के चलते मरीजों को इलाज में परेशानी आती है. खासकर जिला अस्पताल में आज तक सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं.
मरीज होते हैं परेशान
जिला अस्पताल में डॉक्टर की कमी के चलते अक्सर मरीजों को परेशान होना पड़ता है. ओपीडी के लिए रोजाना 1500 से 2 हजार मरीज पहुंचते हैं, लेकिन अक्सर डॉक्टर नहीं मिलने से इलाज नहीं करा पाते हैं. वहीं गिने-चुने विशेषज्ञों के स्वास्थ्य शिविर छुट्टी पर चले जाने से अस्पताल में मरीजों के लिए मुसीबत और बढ़ जाती है. अस्पताल में डॉक्टर की तलाश में भटक रहे मरीजों का कहना है कि यह स्थिति आए दिन देखने को मिलती है कई मरीज तो जिले के अन्य तहसीलों से आते हैं लेकिन इलाज के अभाव में मायूस होकर लौटना पड़ता है.
जिले के डॉक्टरों के स्वीकृत पदों में 104 से ज्यादा पद खाली हैं, आंकड़ों पर नजर डालें तो जिला अस्पताल में...
- विशेषज्ञों के 38 पद स्वीकृत हैं लेकिन 12 पद ही भरे हैं
- मेडिकल डॉक्टर्स 23 पदों पर कार्यरत हैं
- स्टाफ नर्स के 148 पद हैं जिनमें 120 पद ही भरे हैं
- मेहगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में छह डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं
- वर्तमान में सिर्फ दो डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं
- अटेर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी 3 डॉक्टर कम है
- जिले के रंगो हद लहार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और मछंड सुरपुरा, पिथनपुरा और गोरमी प्राथमिक अस्पताल की भी यही स्थिति है
जिले में नहीं रहना चाहते हैं डॉक्टर
जिले के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के पद खाली रहने की एक बड़ी वजह है कि, भिंड जिले में सरकारी डॉक्टर रहना नहीं चाहते हैं. जिनका ट्रांसफर होता है वह आराम से चले जाते हैं जबकि नवीन पदस्थापना में भी ट्रांसफर होकर आई डॉक्टर जॉइन नहीं करते. हाल ही में शासन ने जिला चिकित्सालय में 6 नए डॉक्टरों की सौगात दी थी लेकिन 3 महीने बीतने के बाद भी नए विशेषज्ञ डॉक्टर ने अब तक कार्यभार नहीं ज्वाइन किया है. इस बात की पुष्टि करते हुए जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अजीत मिश्रा ने बताया कि जिले के माहौल और लोगों का रवैया इसका बड़ा कारण है अक्सर यहां मरीज के परिजन अभद्रता पर उतर आते हैं ऐसे में डॉक्टर से यहां रहने में कतराते हैं.
लगातार तीन साल कायाकल्प अवार्ड अपने नाम करने वाले जिला अस्पताल में जिले भर से रोजाना करीब 15 मरीज आते हैं, जिनमें से कई मरीज गंभीर हालत में ग्रामीण इलाकों में रेफर कर जिला अस्पताल ले जाते हैं. लेकिन उपचार के अभाव में जिला अस्पताल मरीजों को ग्वालियर दिल्ली रेफर कर अपनी बला टाल देता है. इतना ही नहीं डॉक्टर्स की कमी झेल रहे भिंड जिला अस्पताल में नवनियुक्त डॉक्टर भी ज्वाइन करने को तैयार नहीं है ऐसे में मरीजों का जीवन भगवान भरोसे ही माना जा सकता है.