भिंड। जिले के मिहोना स्वास्थ्य केन्द्र पर लापरवाही से एक नवजात की मौत हो गई. यहां रात को एक महिला प्रसव करवाने पहुंची थी. स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा था. समय पर इलाज नहीं मिला और डायल 100 वाहन में ही महिला का प्रसव हो गया. इलाज नहीं मिलने से नवजात की मौत हो गई. महिला की हालत सीरियस हो गई. जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. CMHO ने मामले की जांच करवाने और दोषी के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है.
जानलेवा 'लापरवाही का ताला'
स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. हर जिले में स्वास्थ्य केन्द्र खोले हैं. लेकिन कर्मचारी ही लापरवाह हो जाएं, तो क्या किया जाए. मिहोना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ की लापरवाही ने एक नवजात की जान ले ली. सेन्थरी की रहने वाली अर्चना परिहार अपने मायके खतौली गांव आई हुई थी . रात का प्रसव पीड़ा हुई. एंबुलेंस को फोन लगाया, लेकिन 108 एंबुलेंस आधे घंटे तक नहीं आई. मजबूरी में महिला अपने भाई के साथ बाइक पर मिहोना अस्पताल के लिए रवाना हुई. लेकिन यहां भी लापरवाही का ताला पड़ा हुआ था. काफी देर तक अस्पताल का गेट बजाया, आवाज भी लगाई. लेकिन स्टाफ का कोई भी आदमी नहीं पहुंचा.
दुनिया में आने से पहले ही तोड़ा दम
वहां से गुजर रहे कुछ लोगों ने डायल 100 पर मदद के लिए फोन लगाया. मौके पर पहुंची डायल 100 प्रसूता को लेकर रौन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रवाना हुए. लेकिन रास्ते में दर्द के मारे महिला बेहोश हो गई. जैसे तैसे अस्पताल पहुंचे. लेकिन अस्पताल के कोरोना जांच केंद्र के स्टॉप पर ही डायल 100 में महिला की डिलीवरी हो गई. बिना इलाज के नवजात के गले में नाल फंसने से मौत हो गई. नवजात की मौत के बाद गंभीर हालत में महिला को स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. प्राथमिक उपचार के बाद उसे रात 1:00 बजे भिंड जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया.
काश ! ताला ना लगा होता
पीड़ित परिवार का रो रोकर बुरा हाल है. अगर समय पर मिहोना में अस्पताल खुला होता, तो शायद नवजात की जान बच जाती. साथ ही प्रसूता की हालत भी इतनी गंभीर नहीं होती. फिलहाल महिला का भिंड अस्पताल में इलाज जारी है. डॉक्टर्स के मुताबिक ज्यादा खून बहने से उसकी हालत बिगड़ गई है. अब उसे लगातार खून चढ़ाया जा रहा है.
CMHO डॉ अजीत मिश्रा से जब ईटीवी भारत ने इस लापरवाही के बारे में पूछा, तो उन्होंने दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कही. स्वास्थ्य केन्द्रों में ऐसी लापरवाही पहली बार नहीं हुई है. पहले भी कई बार स्टाफ की लापरवाही मरीजों की जान पर भाड़ी पड़ी है.