Lahar Assembly Seat। मध्यप्रदेश में करीब 6 माह बाद 16वीं विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव से पहले ही बीजेपी और कांग्रेस जानता के बीच अपनी जमीन पक्की करने में जुटी हैं. प्रदेश की 230 विधानसभाओं में भिंड जिले की लहार विधानसभा पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह क्षेत्र प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार जिले की अन्य विधानसभाओं की अपेक्षा बीजेपी लहार में सेंध लगाने की तैयारी में है. आइए समझते हैं लहार की के सियासी और चुनावी समीकरण ETV Bharat के सीट स्कैन के जरिये.
भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट कई मायनो में खास है क्योंकि लंबे अरसे से ये कांग्रेस की स्थायी सीट बनी हुई है. मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-11 लहार भिंड जिले की तीसरी विधानसभा है. पिछले 7 विधानसभा चुनाव से यहां डॉ गोविंद सिंह विधायक के पद पर काबिज हैं. जिसमें पहली बार विधायकी के लिए ‘जानता दल’ से चुनाव लड़ा और बीजेपी के तत्कालीन विधायक मथुरा प्रसाद महंत को हराकर विधायक बने. इसके बाद जानता दल छोड़ कर कांग्रेस जॉइन की. इसके बाद 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 और 2018 में हुए विधानसभा के आम चुनाव में कोई उन्हें हरा नहीं सका. हर चुनाव में बीजेपी यहां कैंडिडेट तो खड़ा करती है, लेकिन जनता का दिल जीतने में सफल नहीं हो पाती है.
लहार विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: बात अगर लहार विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 51 हजार 876 मतदाता हैं. जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 137602 और महिला मतदाता 114268 हैं. साथ ही 6 ट्रांसज़ेंडर मतदाता हैं, जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
सियासी समीकरण: विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 11 लहार में लंबे अरसे से कांग्रेस का दबदबा रहा है. जिसकी वजह से विधायक का सक्रिय रहना और विकास के दम पर क्षेत्र को बुलंद नेतृत्व देना यही वजह रही कि 1990 में लहार की जनता ने बीजेपी कैंडिडेट पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद को दरकिनार कर डॉ गोविंद सिंह को चुना था, लेकिन बाद में विकास से ज्यादा डॉ गोविंद सिंह का वोट बैंक और बीजेपी की अंतर्कलह उनके विधायक बनने की वजह भी मानी जाती है. लम्बे समय से बीजेपी नेता प्रतिपक्ष के सामने लहार में कोई दमदार कैंडिडेट खड़ा नहीं कर पाई. बीते दो चुनाव बीजेपी ने रसाल सिंह को चुनाव में उतारा, लेकिन वह भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाये. 2018 में जब चुनाव हुए उस दौरान बीजेपी दूसरे नंबर थी, जबकि बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े अंबरीश शर्मा तीसरे नंबर पर टक्कर देने वाले प्रत्याशी थे, लेकिन उन्होंने बीजेपी के वोट काटे, जिसका असर हुआ कि सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. लेकिन इस बार अम्बरीश शर्मा गुड्डू बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बन चुके और 2023 का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और माहौल भी बना रहे हैं. हाल ही में अम्बरीश शर्मा ने चिन्मयान्द बापू की भागवत कथा का आयोजन कराया. जिसमें बाबा रामदेव से लेकर कैलाश विजयवर्गीय और दिग्गज नेता पहुंचे. ऐसे में इस बार चुनाव में गुड्डू को टिकट मिलने के असर को पक्का करता देखा जा रहा है. वहीं एक आहट इस बात की भी है कि पंडोखर सरकार को भी लहार विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाने बीजेपी विचार कर सकती है. ऐसे में इस बार बीजेपी कांग्रेस की सीट हथियाने के लिए पूरा दम लगाएगी जो चुनाव को और भी रोचक बनाएगा.
लहार विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: लहार विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में जीत कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ गोविंद सिंह की हुई. जो पिछले 6 बार से निरंतर विधायक हैं. उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के टिकट पर लड़े पूर्व विधायक रसाल सिंह थे. जो दूसरे नंबर पर रहे. जबकि बसपा से चुनाव लड़े अम्बरीश शर्मा गुड्डू तीसरे स्थान पर थे. गोविंद सिंह को जहां इस चुनाव में 62113 वोट मिले थे, जो कुल डाले गये वोट का 40.11% था. वहीं बीजेपी के रसाल सिंह निकटतम प्रत्याशी बनकर 34.25% वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें 53040 मत हासिल हुए. वहीं बसपा के अम्बरीश शर्मा गुड्डू को 31367 मत प्राप्त हुए थे. जो कुल वैध मतदान का 20.26% था. इस तरह डॉ गोविंद सिंह ने 9,073 वोटों से रसाल सिंह को शिकस्त दी.
लहार विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: लहार विधानसभा सीट पर 2013 के चुनाव में भी जीत कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ गोविंद सिंह की हुई थी. उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के टिकट पर लड़े पूर्व विधायक रसाल सिंह थे. गोविंद सिंह को जहां इस चुनाव में 53012 वोट मिले थे, जो कुल डाले गये वोट का 36.75% था. वहीं बीजेपी के रसाल सिंह निकटतम प्रत्याशी बनकर 32.40% वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे उन्हें 46739 वोट मिले थे.
लहार विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े: लहार विधानसभा सीट पर 2013 के चुनाव में भी जीत कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ गोविंद सिंह की हुई थी. उनके प्रतिद्वंदी बसपा के टिकट पर लड़े रोमेश महंत थे, जबकि भारतीय जानता की प्रत्याशी मुन्नी त्रिपाठी तीसरे स्थान पर रहकर अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी थी. उन्हें महज 2918 वोट मिले थे. इस चुनाव में गोविंद सिंह को जहां 57745 वोट मिले थे, जो कुल डाले गये वोट का 45.69% था. वहीं निकटतम प्रत्याशी बसपा के रोमेश महंत 41.83% वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे, उन्हें 52867 वोट मिले थे. यहां जीत का अंतर 4878 वोट का था.
स्थानीय मुद्दे: वैसे तो लहार जिले की अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले ठीक विकसित है, लेकिन एकांत में होने से यह क्षेत्र आज भी अपनी खास पहचान नहीं बना सका है. रेत खनिज से भरपूर होने के बावजूद यहां हावी रेत माफिया इस क्षेत्र को आपराधिक माहौल से बाहर नहीं आने दे रहा है. खुद लहार विधायक पर रेत माफिया को संरक्षण देने और रेत की खदाने संचालित कराने के आरोप बीजेपी नेताओं ने लगाए हैं, लेकिन किसी तरह का सबूत नहीं दे सके हैं. लेकिन यह क्षेत्र आज भी मूल भूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर रहा है.