ETV Bharat / state

MP Seat Scan Gohad: 2 बार मौका पाकर भी नहीं भुना पाई कांग्रेस, जानिए विधानसभा चुनाव से पहले गोहद के सियासी समीकरण - एमपी सीट स्कैन गोहद

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे भिंड की गोहद सीट के बारे में. गोहद विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. साल 2018 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, लेकिन सरकार गिरने के बाद साल 2020 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने बीजेपी को हराया था. जानिए गोहद सीट की दिलचस्प स्टोरी...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 30, 2023, 6:16 AM IST

भिंड। साल 2023 मध्य प्रदेश की राजनीति के पहलू से यह वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी साल एक बार फिर मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. वोटर विकास और सुविधाओं के साथ अपने मनपसंद प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, लेकिन इस वक्त प्रदेश की राजनीति में बीजेपी कांग्रेस के अलावा आप यानी आम आदमी पार्टी की भी एंट्री हो चुकी है. आइए जानते हैं भिंड जिले में स्थित मध्य प्रदेश के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 13 सियासी हालात ईटीवी भारत के सीट स्कैन के साथ.

जानिए गोहद सीट के बारे में: भारत लोकतंत्र पर चलता है जिसका अर्थ है के यहां जनता अपना जनप्रतिनिधि चुनाव के जरिए स्वयं चुनती है. देश की सरकार सांसद और प्रदेश की जिम्मेदारी विधायकों के हाथ में होती है. इस साल के अंत में जब विधानसभा चुनाव आयोजित होंगे, तो एक बार फिर मध्य प्रदेश की जनता अपने क्षेत्रों के विधायक का चुनाव करेगी. भिंड जिले में पांचों विधानसभाओं में से निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 13 यानी गोहद पर सभी की निगाहें टिकने वाली हैं. गोहद विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है, लेकिन यह भी सच है कि सीट पर स्थानीय की बजाय चुनाव में खड़े हुए बाहरी प्रत्याशियों ने ज्यादातर विस चुनाव में जीत का सेहरा पहना है. दुर्भाग्य से यह क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है. जिसकी बड़ी वजह है यहां चुने गए प्रतिनिधियों ने कभी यहां ज्यादा रुचि नहीं ली. हालांकि यह सीट वर्तमान में कांग्रेस के खाते में है, लेकिन विकास के नाम पर वर्तमान विधायक की सक्रियता यहां ना के बराबर नजर आती है.

number of voters
मतदाताओं की संख्या

गोहद क्षेत्र की विशेषताएं: भिंड जिले की नगर पालिका और 5 विधानसभा क्षेत्र में से एक है गोहद क्षेत्र खनिज और पर्यटन संपदा के मामले में संपन्न इलाका है. यहां काली और सफेद पत्थर की खदानें हैं. जिनसे आसपास के गांव के लोगों के रोजगार की व्यवस्था होती है. वहीं गोहद का किला बेहद खूबसूरत और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. कुछ वर्षों पहले यूनेस्को ने भी इसे ऑनरेवल लिस्ट में शामिल किया था. गोहद किले में ईरानी शैली की नक्काशी और सफेद पत्थर का इस्तेमाल कर इसे खूबसूरत बनाया गया था. जिले में चावल की खेती भी सिर्फ गोहद इलाके में होती है.

specialty of gohad
गोहद की खासियत

गोहद विधानसभा सीट के सियासी हालात: मूल रूप से गोहद विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है, लेकिन बीते दो चुनाव में यहां जनता ने कांग्रेस का चुनाव किया है. 2018 में गोहद की जनता ने कांग्रेस के रणवीर जाटव को अपना विधायक चुना था, लेकिन जब तत्कालीन विधायक रणवीर जाटव बीजेपी में शामिल हुए तो जनता ने एक बार फिर उप चुनाव में गोहद ने एक नया विधायक कांग्रेस के ही मेवाराम जाटव के रूप में चुन लिया, लेकिन बीते लगभग तीन वर्षों में स्थानीय विधायक ने क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया. ऐसे में जानता एक बार बदलाव चाह रही है. यही वजह है कि बीजेपी, कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी यहां जानता के सामने विकल्प के रूप में तीसरी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभर रही है. इस बार चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और आप तीनों ही दलों में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.

टिकट की दौड़ में कई दावेदार: बीजेपी के लिए सिंधिया समर्थकों को दोबारा चुनाव के लिए टिकट देना बड़ी चुनौती नजर आ रही है. गोहद में सत्तारूढ़ पार्टी से पूर्व मंत्री लालसिंह आर्य और सिंधिया समर्थक और संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम के अध्यक्ष पूर्व विधायक रणवीर जाटव चुनाव लड़ना चाहते हैं. लाल सिंह आर्य पार्टी के मूल कार्यकर्ता हैं. अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. 1998, 2003 और 2013 में गोहद से चुनाव जीतकर विधायक रहे हैं. इनके अलावा पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा खेमे के पुरुषोत्तम बनोरिया भी चुनावी टिकट की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि चुनाव में दावेदार कौन होगा ये अभी कहना मुश्किल है. वहीं कांग्रेस में भी कलह कम नहीं है. इस बार भी चुनावी मैदान में उतरने के लिए एक दो नहीं बल्कि 5 दावेदार बैठे हैं. इनमें वर्तमान विधायक मेवाराम जाटव, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह खेमे के केशव देसाई, डॉ धर्मवीर दिनकर और कैलाश माहौर है (कैलाश माहौर 20 वर्ष तक कम्युनिस्ट पार्टी का हिस्सा रहे, कुछ साल पहले कांग्रेस की सदस्यता ली और पार्टी के लिए मेहनत की, डॉ गोविंद सिंह के बेहद करीबी) वहीं फूल सिंह बरैया समर्थक केदार कौशल भी चुनाव में टिकट के लिए जोर लगा सकते हैं.

आप और बीजेपी में होगी टक्कर: तीसरी पार्टी के रूप में सामने आई आम आदमी पार्टी से भी दो नेता चुनाव की तैयारी में हैं. जहां पहले नंबर पर रिटायर्ड आर्मी मैन महेश करारिया हैं, जो इन दिनों गोहद की जानता के बीच काफी सक्रिय हैं. वहीं दूसरे दावेदार पूर्व में बसपा से चुनाव लड़े जसवंत पटवारी हैं. उपचुनाव 2020 में अपनी जमानत तक ना बचा पाने वाले पटवारी इस बार ‘आप’ के जरिए चुनाव लड़ने का सपना देख रहे हैं. ऐसे में गोहद में किस पार्टी के किस दावेदार की किस्मत में चुनावी टिकट आएगा और कौन विधायक बन पाएगा अभी कहना थोड़ा मुश्किल है. हां वर्तमान विधायक मेवाराम जाटव को टिकट मिलना आसान नहीं होगा क्योंकि जनता ने दो बार कांग्रेस पर भरोसा किया, लेकिन दोनों ही बार निराशा ही हाथ लगी है. ऐसे में तीसरी बार भरोसा जीतना एक बड़ी चुनौती होगी. इसलिए सियासी हालातों के मुताबिक इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में टक्कर बीजेपी और आप के बीच रहने वाली है.

Political equation
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण: गोहद क्षेत्र में छोटी जातियां चुनाव को रुख तय करती आयी हैं. यह सबसे अधिक वोटर आरक्षित वर्ग से आते हैं, यहां एससी-एसटी वर्ग के लगभग 80 से 90 हजार से वोटर हैं. वहीं गुर्जर, और मुस्लिम वर्ग को मिलकर लगभग 50 हजार वोटर हैं, लेकिन 50 हजार से अधिक संख्या वाले ब्राह्मण समाज अनुसूचित जाति के लिए आरक्षक सीट होने से गोहद की वोटिंग में उतना सक्रियता से भाग नहीं लेते. वहीं इस क्षेत्र में 40 हजार के आसपास क्षत्रिय वोटर हैं.

आखिरी चार विधानसभा/उप चुनाव की स्थिति:

गोहद विधानसभा उपचुनाव 2020 के आंकड़े: 2020 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक रणवीर जाटव भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी जॉइन कर चुके थे, पद से इस्तीफा दिया सीट खाली हुई और उसी साल गोहद सीट पर उपचुनाव हुए. बीजेपी ने प्रत्याशी के तौर पर रणवीर जाटव को टिकट देकर मैदान में उतारा और वहीं कांग्रेस ने डॉ गोविंद सिंह की गारंटी पर मेवाराम जाटव को. इस उपचुनाव में मेवाराम जाटव ने 63643 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की जबकि गोहद को जनता ने इस बार रणवीर जाटव को नकारते हुए 51744 वोट दिये. ऐसे में चुनाव में जीत का अंतर 11899 मतों का रहा.

Report card of Gohad seat
साल 2018 का रिजल्ट

गोहद विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: गोहद विधानसभा सीट 2018 के चुनाव में के खाते में आयी थी. इस चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट और पूर्व विधायक रणवीर जाटव जीत कर विधायक बने थे. उनके खिलाफ बीजेपी से पूर्व मंत्री लालसिंह आर्य चुनाव लड़े थे और अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे थे. रणवीर जाटव को 62981 वोट मिले थे, जो कुल डाले गये मतों 48.58% था. वहीं लाल सिंह आर्य 38992 मत हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें कुल वैध मतदान का 30.07% मत अंश प्राप्त हुआ था. इनके अलावा बहुजन समाजवादी पार्टी के डॉ जगदीश सिंह सेंगर ने भी 15477 वोट यानी कुल मतों का 11.94% वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया था. इस तरह गोहद में कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में 23989 वोटों से सत्ताधारी बीजेपी के पूर्व मंत्री को हरा दिया था.

गोहद विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: 2013 में जब चुनाव हुए तो यहां की कहानी अलग थी. इस सीट पर बीजेपी को मोदी लहर का फायदा मिला था. यहां बीजेपी से चुनाव लड़े लाल सिंह आर्य ने कांग्रेस कैंडिडेट मेवाराम जाटव को हराया था. इस चुनाव में लाल सिंह आर्य को 51711 वोट हासिल हुए थे, जो कुल वोट का 45.92% था. वहीं उनके खिलाफ लड़े, कांग्रेस से मेवाराम जाटव को 31897 वोट मिले थे, जो कुल मतों का 28.32% था. इस तरह जीत का अंतर 19814 मतों का रहा.

सीट स्कैन से जुड़ी कुछ खबरें यहां पढ़ें

गोहद विधानसभा उपचुनाव 2008 के आंकड़े: 2008 में जब चुनाव हुए तो इस सीट पर चुनाव लड़े बीजेपी प्रत्याशी लाल सिंह आर्य को कांग्रेस के माखनलाल जाटव ने हराया था. जीते प्रत्याशी माखनलाल जाटव को 27751 वोट मिले जो कुल वोट का 30.37% था. वहीं उनके खिलाफ लड़ रहे बीजेपी से लाल सिंह आर्य को 26198 वोट प्राप्त हुए थे, जो कुल मतों का 28.67% था. इस तरह जीत का मार्जिन 1553 वोट यानी कुल मत का 1.70% रहा.

Report card of Gohad seat
गोहद सीट का रिपोर्ट कॉर्ड

गोहद विधानसभा चुनाव 2009 में उपचुनाव: 2008 में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे, तब गोहद में कांग्रेस से माखनलाल जाटव विधायक चुने गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव 2009 के समय प्रचार प्रसार के बीच उनकी हत्या होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए तो कांग्रेस ने स्वर्गीय माखनलाल जाटव के बेटे रणवीर जाटव को टिकट दिया. जिन्हें उपचुनाव में 55,442 वोट प्राप्त मिले, जो कुल वोट का 60.47% था. वहीं उनके विरुद्ध चुनाव लड़ रहे बीजेपी के मास्टर सौवरन जाटव को 32,871 वोट मिले थे. जो कुल मतों का 35.85% था. इस तरह जीत का मार्जिन 22571 वोट रहा.

क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: गोहद क्षेत्र में बेरोजगारी, उच्च स्तरीय शिक्षा, खारे पानी की वजह से पेयजल व्यवस्था एक बड़ी समस्या है. पत्थर माफिया के चलते आए दिन यहां घटनाएं होती है. पत्थर खदानों, क्रेशरों पर ट्रकों की अत्यधिक आवाजाही से सड़क व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है. ज्यादातर इलाकों में सड़कें इन भारी लोड वाले डंफरों से चकनाचूर हो चुकी है. जिससे आम आदमी को भारी परेशानी उठाना पड़ती है. इसके अलावा गोहद क्षेत्र प्रतिवर्ष सूखे जैसी स्थिति की वजह से पेयजल के लिए जद्दोजहद करता है. हर चुनाव में इस मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाता है लेकिन वर्षों गुजारने के बाद भी यह समस्या जस के तस बनी हुई है. नलजल योजना भी ज़्यादातर इलाकों में खारे पानी की वजह से दम तोड़ चुकी है.

भिंड। साल 2023 मध्य प्रदेश की राजनीति के पहलू से यह वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी साल एक बार फिर मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. वोटर विकास और सुविधाओं के साथ अपने मनपसंद प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, लेकिन इस वक्त प्रदेश की राजनीति में बीजेपी कांग्रेस के अलावा आप यानी आम आदमी पार्टी की भी एंट्री हो चुकी है. आइए जानते हैं भिंड जिले में स्थित मध्य प्रदेश के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 13 सियासी हालात ईटीवी भारत के सीट स्कैन के साथ.

जानिए गोहद सीट के बारे में: भारत लोकतंत्र पर चलता है जिसका अर्थ है के यहां जनता अपना जनप्रतिनिधि चुनाव के जरिए स्वयं चुनती है. देश की सरकार सांसद और प्रदेश की जिम्मेदारी विधायकों के हाथ में होती है. इस साल के अंत में जब विधानसभा चुनाव आयोजित होंगे, तो एक बार फिर मध्य प्रदेश की जनता अपने क्षेत्रों के विधायक का चुनाव करेगी. भिंड जिले में पांचों विधानसभाओं में से निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 13 यानी गोहद पर सभी की निगाहें टिकने वाली हैं. गोहद विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है, लेकिन यह भी सच है कि सीट पर स्थानीय की बजाय चुनाव में खड़े हुए बाहरी प्रत्याशियों ने ज्यादातर विस चुनाव में जीत का सेहरा पहना है. दुर्भाग्य से यह क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है. जिसकी बड़ी वजह है यहां चुने गए प्रतिनिधियों ने कभी यहां ज्यादा रुचि नहीं ली. हालांकि यह सीट वर्तमान में कांग्रेस के खाते में है, लेकिन विकास के नाम पर वर्तमान विधायक की सक्रियता यहां ना के बराबर नजर आती है.

number of voters
मतदाताओं की संख्या

गोहद क्षेत्र की विशेषताएं: भिंड जिले की नगर पालिका और 5 विधानसभा क्षेत्र में से एक है गोहद क्षेत्र खनिज और पर्यटन संपदा के मामले में संपन्न इलाका है. यहां काली और सफेद पत्थर की खदानें हैं. जिनसे आसपास के गांव के लोगों के रोजगार की व्यवस्था होती है. वहीं गोहद का किला बेहद खूबसूरत और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. कुछ वर्षों पहले यूनेस्को ने भी इसे ऑनरेवल लिस्ट में शामिल किया था. गोहद किले में ईरानी शैली की नक्काशी और सफेद पत्थर का इस्तेमाल कर इसे खूबसूरत बनाया गया था. जिले में चावल की खेती भी सिर्फ गोहद इलाके में होती है.

specialty of gohad
गोहद की खासियत

गोहद विधानसभा सीट के सियासी हालात: मूल रूप से गोहद विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है, लेकिन बीते दो चुनाव में यहां जनता ने कांग्रेस का चुनाव किया है. 2018 में गोहद की जनता ने कांग्रेस के रणवीर जाटव को अपना विधायक चुना था, लेकिन जब तत्कालीन विधायक रणवीर जाटव बीजेपी में शामिल हुए तो जनता ने एक बार फिर उप चुनाव में गोहद ने एक नया विधायक कांग्रेस के ही मेवाराम जाटव के रूप में चुन लिया, लेकिन बीते लगभग तीन वर्षों में स्थानीय विधायक ने क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया. ऐसे में जानता एक बार बदलाव चाह रही है. यही वजह है कि बीजेपी, कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी यहां जानता के सामने विकल्प के रूप में तीसरी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभर रही है. इस बार चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और आप तीनों ही दलों में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.

टिकट की दौड़ में कई दावेदार: बीजेपी के लिए सिंधिया समर्थकों को दोबारा चुनाव के लिए टिकट देना बड़ी चुनौती नजर आ रही है. गोहद में सत्तारूढ़ पार्टी से पूर्व मंत्री लालसिंह आर्य और सिंधिया समर्थक और संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम के अध्यक्ष पूर्व विधायक रणवीर जाटव चुनाव लड़ना चाहते हैं. लाल सिंह आर्य पार्टी के मूल कार्यकर्ता हैं. अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. 1998, 2003 और 2013 में गोहद से चुनाव जीतकर विधायक रहे हैं. इनके अलावा पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा खेमे के पुरुषोत्तम बनोरिया भी चुनावी टिकट की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि चुनाव में दावेदार कौन होगा ये अभी कहना मुश्किल है. वहीं कांग्रेस में भी कलह कम नहीं है. इस बार भी चुनावी मैदान में उतरने के लिए एक दो नहीं बल्कि 5 दावेदार बैठे हैं. इनमें वर्तमान विधायक मेवाराम जाटव, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह खेमे के केशव देसाई, डॉ धर्मवीर दिनकर और कैलाश माहौर है (कैलाश माहौर 20 वर्ष तक कम्युनिस्ट पार्टी का हिस्सा रहे, कुछ साल पहले कांग्रेस की सदस्यता ली और पार्टी के लिए मेहनत की, डॉ गोविंद सिंह के बेहद करीबी) वहीं फूल सिंह बरैया समर्थक केदार कौशल भी चुनाव में टिकट के लिए जोर लगा सकते हैं.

आप और बीजेपी में होगी टक्कर: तीसरी पार्टी के रूप में सामने आई आम आदमी पार्टी से भी दो नेता चुनाव की तैयारी में हैं. जहां पहले नंबर पर रिटायर्ड आर्मी मैन महेश करारिया हैं, जो इन दिनों गोहद की जानता के बीच काफी सक्रिय हैं. वहीं दूसरे दावेदार पूर्व में बसपा से चुनाव लड़े जसवंत पटवारी हैं. उपचुनाव 2020 में अपनी जमानत तक ना बचा पाने वाले पटवारी इस बार ‘आप’ के जरिए चुनाव लड़ने का सपना देख रहे हैं. ऐसे में गोहद में किस पार्टी के किस दावेदार की किस्मत में चुनावी टिकट आएगा और कौन विधायक बन पाएगा अभी कहना थोड़ा मुश्किल है. हां वर्तमान विधायक मेवाराम जाटव को टिकट मिलना आसान नहीं होगा क्योंकि जनता ने दो बार कांग्रेस पर भरोसा किया, लेकिन दोनों ही बार निराशा ही हाथ लगी है. ऐसे में तीसरी बार भरोसा जीतना एक बड़ी चुनौती होगी. इसलिए सियासी हालातों के मुताबिक इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में टक्कर बीजेपी और आप के बीच रहने वाली है.

Political equation
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण: गोहद क्षेत्र में छोटी जातियां चुनाव को रुख तय करती आयी हैं. यह सबसे अधिक वोटर आरक्षित वर्ग से आते हैं, यहां एससी-एसटी वर्ग के लगभग 80 से 90 हजार से वोटर हैं. वहीं गुर्जर, और मुस्लिम वर्ग को मिलकर लगभग 50 हजार वोटर हैं, लेकिन 50 हजार से अधिक संख्या वाले ब्राह्मण समाज अनुसूचित जाति के लिए आरक्षक सीट होने से गोहद की वोटिंग में उतना सक्रियता से भाग नहीं लेते. वहीं इस क्षेत्र में 40 हजार के आसपास क्षत्रिय वोटर हैं.

आखिरी चार विधानसभा/उप चुनाव की स्थिति:

गोहद विधानसभा उपचुनाव 2020 के आंकड़े: 2020 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक रणवीर जाटव भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी जॉइन कर चुके थे, पद से इस्तीफा दिया सीट खाली हुई और उसी साल गोहद सीट पर उपचुनाव हुए. बीजेपी ने प्रत्याशी के तौर पर रणवीर जाटव को टिकट देकर मैदान में उतारा और वहीं कांग्रेस ने डॉ गोविंद सिंह की गारंटी पर मेवाराम जाटव को. इस उपचुनाव में मेवाराम जाटव ने 63643 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की जबकि गोहद को जनता ने इस बार रणवीर जाटव को नकारते हुए 51744 वोट दिये. ऐसे में चुनाव में जीत का अंतर 11899 मतों का रहा.

Report card of Gohad seat
साल 2018 का रिजल्ट

गोहद विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: गोहद विधानसभा सीट 2018 के चुनाव में के खाते में आयी थी. इस चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट और पूर्व विधायक रणवीर जाटव जीत कर विधायक बने थे. उनके खिलाफ बीजेपी से पूर्व मंत्री लालसिंह आर्य चुनाव लड़े थे और अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे थे. रणवीर जाटव को 62981 वोट मिले थे, जो कुल डाले गये मतों 48.58% था. वहीं लाल सिंह आर्य 38992 मत हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें कुल वैध मतदान का 30.07% मत अंश प्राप्त हुआ था. इनके अलावा बहुजन समाजवादी पार्टी के डॉ जगदीश सिंह सेंगर ने भी 15477 वोट यानी कुल मतों का 11.94% वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया था. इस तरह गोहद में कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में 23989 वोटों से सत्ताधारी बीजेपी के पूर्व मंत्री को हरा दिया था.

गोहद विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: 2013 में जब चुनाव हुए तो यहां की कहानी अलग थी. इस सीट पर बीजेपी को मोदी लहर का फायदा मिला था. यहां बीजेपी से चुनाव लड़े लाल सिंह आर्य ने कांग्रेस कैंडिडेट मेवाराम जाटव को हराया था. इस चुनाव में लाल सिंह आर्य को 51711 वोट हासिल हुए थे, जो कुल वोट का 45.92% था. वहीं उनके खिलाफ लड़े, कांग्रेस से मेवाराम जाटव को 31897 वोट मिले थे, जो कुल मतों का 28.32% था. इस तरह जीत का अंतर 19814 मतों का रहा.

सीट स्कैन से जुड़ी कुछ खबरें यहां पढ़ें

गोहद विधानसभा उपचुनाव 2008 के आंकड़े: 2008 में जब चुनाव हुए तो इस सीट पर चुनाव लड़े बीजेपी प्रत्याशी लाल सिंह आर्य को कांग्रेस के माखनलाल जाटव ने हराया था. जीते प्रत्याशी माखनलाल जाटव को 27751 वोट मिले जो कुल वोट का 30.37% था. वहीं उनके खिलाफ लड़ रहे बीजेपी से लाल सिंह आर्य को 26198 वोट प्राप्त हुए थे, जो कुल मतों का 28.67% था. इस तरह जीत का मार्जिन 1553 वोट यानी कुल मत का 1.70% रहा.

Report card of Gohad seat
गोहद सीट का रिपोर्ट कॉर्ड

गोहद विधानसभा चुनाव 2009 में उपचुनाव: 2008 में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे, तब गोहद में कांग्रेस से माखनलाल जाटव विधायक चुने गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव 2009 के समय प्रचार प्रसार के बीच उनकी हत्या होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए तो कांग्रेस ने स्वर्गीय माखनलाल जाटव के बेटे रणवीर जाटव को टिकट दिया. जिन्हें उपचुनाव में 55,442 वोट प्राप्त मिले, जो कुल वोट का 60.47% था. वहीं उनके विरुद्ध चुनाव लड़ रहे बीजेपी के मास्टर सौवरन जाटव को 32,871 वोट मिले थे. जो कुल मतों का 35.85% था. इस तरह जीत का मार्जिन 22571 वोट रहा.

क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: गोहद क्षेत्र में बेरोजगारी, उच्च स्तरीय शिक्षा, खारे पानी की वजह से पेयजल व्यवस्था एक बड़ी समस्या है. पत्थर माफिया के चलते आए दिन यहां घटनाएं होती है. पत्थर खदानों, क्रेशरों पर ट्रकों की अत्यधिक आवाजाही से सड़क व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है. ज्यादातर इलाकों में सड़कें इन भारी लोड वाले डंफरों से चकनाचूर हो चुकी है. जिससे आम आदमी को भारी परेशानी उठाना पड़ती है. इसके अलावा गोहद क्षेत्र प्रतिवर्ष सूखे जैसी स्थिति की वजह से पेयजल के लिए जद्दोजहद करता है. हर चुनाव में इस मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाता है लेकिन वर्षों गुजारने के बाद भी यह समस्या जस के तस बनी हुई है. नलजल योजना भी ज़्यादातर इलाकों में खारे पानी की वजह से दम तोड़ चुकी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.