भिंड। प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा अपने बेबाक अंदाज, हाजिर जवाबी और बयानों को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन जबलपुर में एक प्रेसवार्ता में कांग्रेसियों को इच्छाधारी हिंदू कहना और फिर अपने बयान को सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना उन्हें महंगा पड़ सकता है. क्योंकि इसके रिएक्शन में भिंड जिले में गृहमंत्री के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने को लेकर FIR दर्ज कराने के लिए कांग्रेस ने एक आवेदन शहर कोतवाली थाने में दिया है.
गृहमंत्री के खिलाफ एफआईआर की मांग: मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पर अब कांग्रेस FIR कराने की कोशिश में है, मामला मंत्री द्वारा जबलपुर में दो दिन पहले हुई प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान कांग्रेस पर की गई धार्मिक टिप्पणी का विरोध है. भिंड जिला कांग्रेस के प्रवक्ता और कांग्रेस के मध्यप्रदेश मीडिया पैनलिस्ट डॉ अनिल भारद्वाज गृहमंत्री के खिलाफ FIR दर्ज कराने के संबंध में अपना आवेदन लेकर रविवार दोपहर अन्य कांग्रेसियों के साथ शहर कोतवाली थाना पहुंचे थे, लेकिन मौके पर थाना प्रभारी नहीं थे. फोन से बात होने के बाद थाना प्रभारी का इंतजार किया, लेकिन काफी समय बीतने के बाद जब वे नहीं आए तो कांग्रेसियों ने थाना परिसर में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपना आवेदन कोतवाली में पदस्थ उपनिरीक्षक को सौंप कर FIR दर्ज कराने की बात रखी.
गृहमंत्री ने धार्मिक भावनाओं को पहुंचाई ठेस: आवेदन देने के बाद शिकायतकर्ता कांग्रेस प्रवक्ता डॉ अनिल भारद्वाज ने कहा कि 4 अगस्त को जबलपुर में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बयान दिया कि 'कांग्रेस के नेता इच्छाधारी हिंदू हैं.' डॉ अनिल भारद्वाज ने कहा कि "क्या कांग्रेस में काम करना गुनाह है या कांग्रेस में काम करने वाले हिंदू नहीं होंगे, अब गृहमंत्री हिंदू का सर्टिफिकेट बांटेंगे? गृहमंत्री के बयान से कांग्रेस के लाखों करोड़ों कार्यकर्ता इस बयान से आहत है, मैं खुद इस बयान से व्यक्तिगत आहत हुआ हूं. उन्होंने मेरी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कार्य किया गया है, ऐसे में उनके ऊपर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए."
पुलिस ने नहीं की FIR तो सीधा न्यायालय की लेंगे शरण: डॉ अनिल भारद्वाज ने चेतावनी दी कि "अगर मेरे आवेदन पर गृहमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया तो जल्द एसपी कार्यालय का घेराव कर एक और आवेदन दिया जाएगा. उसके बाद भी अगर FIR नहीं की गई तो न्यायालय की शराब में जाने को भी तैयार हैं और प्राइवेट इस्तेगासा भी लगाने को तैयार है."
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ऐसे मामले में 3 साल तक की सजा का प्रावधान: वहीं इस मामले में साथ आए कांग्रेस नेता और एडवोकेट रामकिशोर भारद्वाज से चर्चा करने पर उन्होंने इस मामले को लेकर लीगल एंगल की जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि "इस केस में सीधे-सीधे 295 की धारा(ए) और धारा 298 के तहत केस बनता है. यह आपराधिक और समाज में द्वेष फैलाने वाला प्रकरण हैं, लीगल फैक्ट्स के अनुसार इस प्रकरण में तीन साल की सजा का प्रावधान है. इस प्रकार के कई केस पहले भी न्यायालय के संज्ञान में आए हैं और उनके न्याय करते हुए आरोपियों को सजा भी सुनाई गई हैं, जिनमें लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई हैं. ऐसी कई नजीरें पहले भी देखने को मिली हैं, लेकिन यह एक लंबा प्रोसीजर हैं. फिलहाल इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात है यह है कि इस बयान की मंशा क्या थी और यहां गृहमंत्री की मंशा साफ पता चल रही है और जब किसी व्यक्ति विशेष, समुदाय शर्मा आदि के खिलाफ गलत मंशा हो तो वह अपराध की श्रेणी में आता है."
आवेदन के बाद 7 दिन का है समय: एडवोकेट रामकिशोर भारद्वाज ने ये भी कहा कि "इस प्रकरण में कांग्रेस के पास 7 दिनों का समय है, यदि इस आवेदन पर कार्रवाई नहीं हुई तो एक बड़ा आंदोलन होगा और न्यायालय में गृहमंत्री के खिलाफ प्रायवेट इस्तगासा लगाकर न्यायालय में प्रकरण सामने लाया जाएगा."