भिंड। भिंड ज़िले की ज़िम्मेदारी राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को दी गई है. लगभग साल गुज़रने को है, लेकिन ज़िम्मेदारी के 11 महीने बीतने के बाद भी प्रभारी मंत्री का ध्यान सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र पर लगा हुआ है. मंत्री राजपूत प्रभार के ज़िलों के विकास की ज़िम्मेदारी वर्चुअल बैठकों के ज़रिए या ग्वालियर आकर होटलों में बैठकर पूरी कर रहे हैं. प्रभारी मंत्री के मामले में भिंड जिले किस्मत कुछ खास नहीं रही. कांग्रेस की सरकार के दौरान भिंड जिले का प्रभार तत्कालीन मंत्री आरिफ अकील को सौंपी गई थी, लेकिन लगातार जिले की अनदेखी के चलते भिंड की जनता ने उनका विरोध जताया था.
भिंड में एक बार भी नहीं रुके प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत : इसके बाद जब दोबारा बीजेपी की सरकार आई और जिम्मेदारी राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को मिली. जनता को उम्मीद थी कि शायद अब कुछ बदलाव होगा. शायद प्रभारी मंत्री जिले के विकास पर ध्यान देंगे, लेकिन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भिंड की जनता की खैर- खबर लेने अब तक जिले में सिर्फ 6 बार आए हैं. उनके ये दौरे भी कुछ घंटों में सीमित रहे. कहने को सीएम शिवराज ने अपने प्रभारी मंत्रियों को यह निर्देश दिए थे कि वे अपने प्रभार वाले जिलों में क्षेत्र के विकास और सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए हफ्ते में एक दिन वहां रुकें. लेकिन भिंड जिले में सीएम के निर्देश भी फीके साबित हुए हैं. लगभग 11 महीने के अपने प्रभारी कार्यकाल में प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भिंड प्रवास के दौरान नहीं रुके.
भिंड में 11 माह में सिर्फ 6 बार आए प्रभारी मंत्री : लगभग 11 महीने में कुल 6 बार ही मंत्री का आना, उनके प्रभार वाले जिले के प्रति उनकी रुचि साफ बयां करता है. भिंड जिले के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के संबंध में उनके इतने कम दोनों को लेकर ईटीवी भारत ने उन्हें कॉल कर इसकी वजह जानने की कोशिश की तो फोन मंत्री के पीए द्वारा रिसीव किया गया, जिन्होंने बताया "मंत्री जी फिलहाल सीएम के साथ विदिशा में आयोजित एक कार्यक्रम में मौजूद हैं. उनसे किसी भी तरह की बातचीत के लिए 1 जून के बाद संपर्क किया जाए, जब वे भोपाल पहुंच जाएंगे. उसके बाद ही बात हो सकेगी". मंत्री के पीए द्वारा उनका निजी फोन उठाना और उसके बाद इस तरह का जवाब कहीं ना कहीं यह बात भी साबित करता है कि मंत्री अपने प्रभार वाले जिले के लोगों के प्रति कितना सजग हैं.
स्थानीय मुद्दों से बचने की कोशिश या जवाबदेही से : भिंड जिले के प्रभारी मंत्री को प्रभार वाले जिले से परहेज क्यों है, यह सवाल भी कई मायनों में अहम है. इसके पीछे की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है के स्थानीय मुद्दों को लेकर प्रभारी मंत्री अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सके हैं. भिंड जिले में लंबे समय से चली आ रही अवैध खनन की समस्या के बारे में कई बार स्थानीय लोग और मीडिया द्वारा सवाल खड़े किए गए हैं. बावजूद इसके जिले में माफिया द्वारा अवैध खनन और परिवहन जारी है.
खनन मामले में कोई कार्रवाई नहीं : भिंड जिले में जनता को परिवहन के दौरान हो रही परेशानियों के संबंध में अभी कई बार मंत्री को अवगत कराया गया है. क्षेत्र में खनिज संपदा के अवैध परिवहन की जानकारी भी मंत्री को बैठकों के दौरान दी गई हैं लेकिन कभी किसी मामले में मंत्री द्वारा कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है हाल ही में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भी उनपर कटाक्ष कर कहा था कि "मंत्री राजपूत कौन से नम्बर का चश्मा पहनते हैं, जो उन्हें भिंड में रेत का अवैध खनन और परिवहन नज़र नही आता". ऐसे में कहीं ना कहीं मंत्री स्थानीय मुद्दों पर बात करने से भी बचने के लिए अपने दौरे सीमित रखते हो यह भी संभावना जताई जा रही है.
बीजेपी की सफाई- वर्चुअल बैठकों में सक्रिय रहते हैं मंत्री : जिले की अनदेखी को लेकर जब भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर से बात की गई तो उनका कहना था कि मंत्री द्वारा पिछले 1 साल में करीब 6 दौरे किए गए हैं. उनका कहना था कि जब भी मंत्री की जरूरत होती है, स्थानीय प्रशासन उन्हें बुलाता है. मंत्री उस दौरान समय निकालकर भिंड प्रवास पर आते हैं. इसके अलावा वे अब तक चार से पांच बार ग्वालियर में आकर भी संभाग स्तरीय बैठकें ले चुके हैं. हाल ही में ग्वालियर के एक होटल में उन्होंने भिंड जिला कोर कमेटी की बैठक ली थी और करीब 50 से ज्यादा बैठकें वर्चुअल माध्यम से भिंड के अधिकारियों के साथ कर चुके हैं.
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह बोले- सीएम देखें ये मामला : वहीं, मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह से संबंध में बातचीत करने पर उनका कहना था कि जो दिशा-निर्देश और जिम्मेदारी उनकी पार्टी ने और सरकार ने उन्हें दिए होंगे, वह उतना ही काम करेंगे. इस संबंध में निजी तौर पर उन पर टीका टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. सीएम ने प्रभारी मंत्रियों को जिलों में रुककर समय देने की बात कही थी तो शिवराज जी को देखना चाहिए कि उनके मंत्री क्षेत्र में कैसे विकास कर रहे हैं.
प्रभार से ज़्यादा विधानसभा के वोटरों को साधने की कवायद : भिंड जिला मंत्रियों के मामले में गुलजार है. जिले के प्रभारी मंत्री के अलावा शिवराज कैबिनेट में सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया और नगरी प्रशासन एवं आवास विभाग के राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया भी भिंड ज़िले से ही विधायक हैं, लेकिन मंत्री बनाए जाने के बाद से ही दोनों को अपनी विधानसभा में पैठ जमाए रखना चुनौती साबित हो रहा है. यही वजह है कि मंत्री अरविंद भदौरिया हर महीने भिंड जिले के प्रवास पर रहते हैं लेकिन उनका पूरा ध्यान अपनी विधानसभा अटेर के ग्रामीण अंचलों में रहता है.