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Mangal Gochar Effect: मंगल के प्रवेश से बना शत्रुहंता और विपरीत राज योग, इन दो राशियों की चमकेगी किस्मत

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 2, 2023, 10:36 AM IST

Mangal Gochar 2023: शत्रुहंता राजयोग.. ये ऐसा राजयोग है जिसे ज्योतिष की भाषा में शायद ही आपने सुना हो. लेकिन इस राज योग का निर्माण कन्या राशि मंगल ग्रह के गोचर से हो चुका है. इसके साथ-साथ विपरीत राजयोग भी बना है. तो आइए जानते हैं इन दोनों विशेष राजयोग के बारे में और इनसे किन राशियों को लाभ मिलेगा.

shatrunhanta rajyog vipreet rajyog
मंगल के प्रवेश से बना शत्रुहंता व विपरीत राज योग

Mangal Gochar 2023: जब भी ग्रहों का राशि प्रवर्तन होता है तब कई बार प्रकृति के इस विशेष चरण में महत्वपूर्ण योगों का निर्माण होता है. कभी अच्छे तो कभी नकारात्मक योग जो जातकों के जीवन में उनका समय तय करते हैं कि आने वाला समय अच्छा होगा या परेशानियों से गुजरेगा. इस बार जब मंगल ग्रह ने कन्या राशि में गोचर किया है तो इसके परिणाम स्वरूप एक नहीं बल्कि दो राजयोग बने हैं. पहला शत्रुहंता और दूसरा विपरीत राजयोग और ये आने वाले 18 सितंबर तक बने रहेंगे.

क्या है शत्रुहंता राजयोग: इस राजयोग के नाम से ही इसका अर्थ स्पष्ट हो जाता है कि इस नाम में पहला शब्द है शत्रु यानि विरोधी या दुश्मन और दूसरा शब्द है हंता यानि नाशक या हरने वाला. जिसका मतलब है दुश्मन का नाश करने वाला. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब कुंडली के छठे भाव में शनि या मंगल की दृष्टि या मौजूदगी होती है तब इस विशेष योग का निर्माण होता है. क्यूँकि कुंडली में छठा भाव शत्रु का माना जाता है. यह शत्रु किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि भार को माना गया अर्थात आपके जीवन में ऋण, कर्ज से जुड़ी समस्याएँ. ऐसे में जब कुंडली में शत्रुहंता योग बनता है तो यह शत्रु का विनाश करता है.

दूसरा विशेष योग है विपरीत राजयोग: वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब आठवें या द्वादश भाव के स्वामी ग्रह कुंडली के छठवें भाव में प्रवेश कर जाते हैं तब विपरीत योग का निर्माण होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि जातक को जीवन में लाभ प्राप्त होने से पहले दुख और परेशानियों से गुजरना पड़ें. हालाँकि इसके विपरीत जब छठवें-आठवें और 12वें भाव के स्वामी कुंडली के एक भाव में एक समय पर मौजूद हो तो इस विपरीत राजयोग के परिणाम सकारात्मक रूप से बहुत फायदेमंद होते हैं.

शत्रुहंता और विपरीत राजयोग का निर्माण इस बार 2 राशियों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आयें हैं. ये राशियां है मेष और कर्क
मेष राशि: सबसे पहले बात करेंगे मेष राशि के जातकों की. इस राशि में मंगल लग्न यानि पहले भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं जो कन्या राशि में प्रवेश कर इस राशि के जातक की कुंडली के छठवें भाव में विराजमान हुए हैं. ऐसे में विपरीत राजयोग के सकारात्मक प्रभाव से जातकों को फायदा होगा. दुश्मनों पर विजय प्रात करने का मौका मिलेगा. कार्यक्षेत्र में समृद्धि बढ़ेगी. यदि कोर्ट में कोई बड़ा केस चल रहा है तो उसका फैसला आपके हक में आ सकता है.

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कर्क राशि: कर्क राशि में मंगल ग्रह पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और कन्या राशि में प्रवेश के चलते कर्क राशि के जातकों की कुंडली में मंगल तीसरे भाव में विराजमान हो गए हैं. लेकिन उनकी दृष्टि कुंडली के छंटवें भाव पर भी पड़ रही है. जिसके परिणाम स्वरूप शत्रुहंता राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस राजयोग और मंगल की दशा के फलस्वरूप इस राशि के जातक अपने शत्रुओं को हराने में सक्षम होंगे. यदि जातक अपने साहस पराक्रम आत्मविश्वास के साथ दुश्मन का सामना करे तो मंगल से जीत का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं, ज्योतिष गणना और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.

Mangal Gochar 2023: जब भी ग्रहों का राशि प्रवर्तन होता है तब कई बार प्रकृति के इस विशेष चरण में महत्वपूर्ण योगों का निर्माण होता है. कभी अच्छे तो कभी नकारात्मक योग जो जातकों के जीवन में उनका समय तय करते हैं कि आने वाला समय अच्छा होगा या परेशानियों से गुजरेगा. इस बार जब मंगल ग्रह ने कन्या राशि में गोचर किया है तो इसके परिणाम स्वरूप एक नहीं बल्कि दो राजयोग बने हैं. पहला शत्रुहंता और दूसरा विपरीत राजयोग और ये आने वाले 18 सितंबर तक बने रहेंगे.

क्या है शत्रुहंता राजयोग: इस राजयोग के नाम से ही इसका अर्थ स्पष्ट हो जाता है कि इस नाम में पहला शब्द है शत्रु यानि विरोधी या दुश्मन और दूसरा शब्द है हंता यानि नाशक या हरने वाला. जिसका मतलब है दुश्मन का नाश करने वाला. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब कुंडली के छठे भाव में शनि या मंगल की दृष्टि या मौजूदगी होती है तब इस विशेष योग का निर्माण होता है. क्यूँकि कुंडली में छठा भाव शत्रु का माना जाता है. यह शत्रु किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि भार को माना गया अर्थात आपके जीवन में ऋण, कर्ज से जुड़ी समस्याएँ. ऐसे में जब कुंडली में शत्रुहंता योग बनता है तो यह शत्रु का विनाश करता है.

दूसरा विशेष योग है विपरीत राजयोग: वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब आठवें या द्वादश भाव के स्वामी ग्रह कुंडली के छठवें भाव में प्रवेश कर जाते हैं तब विपरीत योग का निर्माण होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि जातक को जीवन में लाभ प्राप्त होने से पहले दुख और परेशानियों से गुजरना पड़ें. हालाँकि इसके विपरीत जब छठवें-आठवें और 12वें भाव के स्वामी कुंडली के एक भाव में एक समय पर मौजूद हो तो इस विपरीत राजयोग के परिणाम सकारात्मक रूप से बहुत फायदेमंद होते हैं.

शत्रुहंता और विपरीत राजयोग का निर्माण इस बार 2 राशियों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आयें हैं. ये राशियां है मेष और कर्क
मेष राशि: सबसे पहले बात करेंगे मेष राशि के जातकों की. इस राशि में मंगल लग्न यानि पहले भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं जो कन्या राशि में प्रवेश कर इस राशि के जातक की कुंडली के छठवें भाव में विराजमान हुए हैं. ऐसे में विपरीत राजयोग के सकारात्मक प्रभाव से जातकों को फायदा होगा. दुश्मनों पर विजय प्रात करने का मौका मिलेगा. कार्यक्षेत्र में समृद्धि बढ़ेगी. यदि कोर्ट में कोई बड़ा केस चल रहा है तो उसका फैसला आपके हक में आ सकता है.

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कर्क राशि: कर्क राशि में मंगल ग्रह पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और कन्या राशि में प्रवेश के चलते कर्क राशि के जातकों की कुंडली में मंगल तीसरे भाव में विराजमान हो गए हैं. लेकिन उनकी दृष्टि कुंडली के छंटवें भाव पर भी पड़ रही है. जिसके परिणाम स्वरूप शत्रुहंता राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस राजयोग और मंगल की दशा के फलस्वरूप इस राशि के जातक अपने शत्रुओं को हराने में सक्षम होंगे. यदि जातक अपने साहस पराक्रम आत्मविश्वास के साथ दुश्मन का सामना करे तो मंगल से जीत का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं, ज्योतिष गणना और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.

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