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कोरोना की चपेट में आया ट्रांसपोर्ट का व्यापार, ट्रांसपोटर्स पर बैड हुआ लॉकडाउन

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Published : Apr 20, 2020, 6:06 PM IST

भिंड जिले के सैकड़ों ट्रक और डंपर आज राज्यों की सीमाएं सील होने के कारण शहर में ही खडे़ हुए हैं. केंद्र सरकार ने ट्रांसपोटर्स को राहत दी है, लेकिन सिर्फ अति आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने के लिए छूट मिली है. शहर में ट्रांसपोर्ट का कारोबार खस्ताहाल हो चुका है.

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गुड्स करियर पर बैड हुआ लॉकडाउन

भिंड। लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है लेकिन पिछले कई हफ्तों से भिंड जिले में ट्रांसपोर्ट सर्विस बुरी तरह प्रभावित है. भिंड जिले में चलने वाले ज्यादातर ट्रांसपोर्ट कैरियर लॉजिस्टिक्स के लिए उपयोग होते हैं, या रेत के परिवहन में लेकिन लॉकडाउन की वजह से पूरा कारोबार ठप पड़ा है.

बैड हुआ लॉकडाउन

पूरा भारत लॉकडाउन में है जिसका असर आम जनजीवन के साथ ही उद्योगों पर भी पड़ रहा है. ट्रांसपोर्ट बिजनेस की बात की जाए तो भिंड जिले में भी ट्रांसपोर्ट बिजनेस पूरी तरह ठप पड़ा है. भिंड जिले के सैकड़ों ट्रक और डंपर आज राज्यों की सीमाएं सील होने के कारण खडे़ हुए हैं. केंद्र सरकार ने ट्रांसपोर्टर को राहत दी है, लेकिन सिर्फ अति आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने के लिए छूट मिली है, ऐसे में भिंड में गुड्स कैरियर कुछ खास उपयोग में नहीं आ पा रहे हैं, जिसके चलते ट्रांसपोर्टर को रोजाना लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालकों की मानें तो इस लॉकडाउन से उनका पूरा बिजनेस चौपट हो चुका है. भिंड जिले में ज्यादातर ट्रांसपोर्ट ट्रकों के जरिए होता है, जिनमें मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में बनी कई फैक्ट्रियां अपने मटेरियल की सप्लाई करती थीं. इन फैक्ट्रियों में इक्का-दुक्का छोड़कर कोई भी फैक्ट्री ऐसी नहीं है, जिसमें बनने वाला सामान अतिआवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल हो लिहाजा, पूरे इलाके में ट्रांसपोर्ट रुका हुआ है और शहर में भी कई जगहो पर ट्रक खड़े दिखाई दे रहे हैं.

ट्रक संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से सामान परिवहन नहीं हो पा रहा है, कारोबार ठप हो गया है. कई दिनों से कर्मचारियों को सामान तो मुहैया करा रहे हैं, लेकिन उनको देने के लिए अब सैलरी नहीं है, क्योंकि बिजनेस नहीं चलेगा तो पैसा कहां से आएगा, साथ ही खुद के खर्चे भी चलाने में अब परेशानी आ रही है.

ट्रांसपोर्ट सर्विस में काम करने वालों के पास राशन जैसी अत्यावश्यक चीजें भी खरीदने के लिए पैसा नहीं बचा, बिजली, पानी का बिल ट्रक की किस्त कैसे भरें उन्हें समझ नहीं आ रहा. पंडित ट्रांसपोर्ट के संचालक और जिला ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सदस्य विनोद बताते हैं कि प्रशासन ने किराने की आपूर्ति के लिए उन्हें छूट दी है. छोटे माल वाहकों से वे शहर में किराने की आपूर्ति कर रहे हैं. इक्का-दुक्का ट्रक भी कुछ संचालकों के चल रहे हैं, जिनसे अन्य शहरों से किराने से संबंधित चीजें भिंड जिले में लाई जा रही हैं.

ट्रांसपोर्ट सर्विसेस के मालिक भी परेशान होने लगे हैं. क्योंकि कर्मचारियों को वेतन देना पड़ रहा है और उनके लिए व्यवस्थाएं भी बनानी पड़ रही हैं, लेकिन बिना इनकम के ये कब तक चलेगा. संचालक कहते हैं कि कर्मचारियों को निकाल नहीं सकते क्योंकि आगे उनके साथ ही काम करना है. विनोद कहते हैं कि भिंड जिले में करीब 4500 से ज्यादा ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं.

कोरियर लॉजिस्टिक और ऑनलाइन डिलीवरी बंद

भिंड जिले में रोजाना हजारों की संख्या में ऑनलाइन खरीदी के पार्सल डिलीवरी के लिए आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद ट्रांसपोर्ट पर लगी रोक की वजह से कई कंपनियों के पार्सल भी भिंड नहीं आ पा रहे हैं. ना ही यहां से रिटर्न की जाने वाली चीजें कंपनियों तक वापस पहुंच रही हैं, इसके साथ ही कोरियर सर्विस भी काफी हद तक प्रभावित है. जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता है यह स्थिति संचालकों को भारी नुकसान पहुंचाएगी.

रेत का कारोबार भी प्रभावित

ज्यादातर ट्रक भिंड जिले से अन्य राज्यों में और जिलों में रेत के परिवहन के लिए भी इस्तेमाल किए जाते थे, लेकिन लॉकडाउन में खदानों से रेत खनन और परिवहन पर रोक, सीमाएं सील होने से और निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध की वजह से रेत परिवहन भी रुका है और उससे जुड़े सारे ट्रक भी आज खड़े हुए हैं.

अति आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी तरह की चीजों के ट्रांसपोर्ट पर लगी रोक की वजह से आज ट्रांसपोर्टर्स लाखों का नुकसान हर रोज झेल रहे हैं साथ ही प्रशासन मदद न मिलने की वजह से कर्मचारियों को लेकर भी ट्रांसपोर्ट कर्मचारी काफी परेशान हैं, लेकिन ये सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाए गए लॉकडाउन का समर्थन भी कर रहे हैं. ट्रांसपोर्ट सर्विस जुड़े लोग परेशान हैं, लेकिन उम्मीद जता रहे हैं कि ग्रीन जोन में होने की वजह से शायद भिंड को 20 अप्रैल के बाद राहत मिलेगी ऐसे में यदि उस राहत में ट्रांसपोर्ट सर्विस शुरू भी हुई तो इस स्थिति में सुधार आएगा और हालात धीरे- धीरे ठीक हो जाएंगे.

भिंड। लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है लेकिन पिछले कई हफ्तों से भिंड जिले में ट्रांसपोर्ट सर्विस बुरी तरह प्रभावित है. भिंड जिले में चलने वाले ज्यादातर ट्रांसपोर्ट कैरियर लॉजिस्टिक्स के लिए उपयोग होते हैं, या रेत के परिवहन में लेकिन लॉकडाउन की वजह से पूरा कारोबार ठप पड़ा है.

बैड हुआ लॉकडाउन

पूरा भारत लॉकडाउन में है जिसका असर आम जनजीवन के साथ ही उद्योगों पर भी पड़ रहा है. ट्रांसपोर्ट बिजनेस की बात की जाए तो भिंड जिले में भी ट्रांसपोर्ट बिजनेस पूरी तरह ठप पड़ा है. भिंड जिले के सैकड़ों ट्रक और डंपर आज राज्यों की सीमाएं सील होने के कारण खडे़ हुए हैं. केंद्र सरकार ने ट्रांसपोर्टर को राहत दी है, लेकिन सिर्फ अति आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने के लिए छूट मिली है, ऐसे में भिंड में गुड्स कैरियर कुछ खास उपयोग में नहीं आ पा रहे हैं, जिसके चलते ट्रांसपोर्टर को रोजाना लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालकों की मानें तो इस लॉकडाउन से उनका पूरा बिजनेस चौपट हो चुका है. भिंड जिले में ज्यादातर ट्रांसपोर्ट ट्रकों के जरिए होता है, जिनमें मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में बनी कई फैक्ट्रियां अपने मटेरियल की सप्लाई करती थीं. इन फैक्ट्रियों में इक्का-दुक्का छोड़कर कोई भी फैक्ट्री ऐसी नहीं है, जिसमें बनने वाला सामान अतिआवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल हो लिहाजा, पूरे इलाके में ट्रांसपोर्ट रुका हुआ है और शहर में भी कई जगहो पर ट्रक खड़े दिखाई दे रहे हैं.

ट्रक संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से सामान परिवहन नहीं हो पा रहा है, कारोबार ठप हो गया है. कई दिनों से कर्मचारियों को सामान तो मुहैया करा रहे हैं, लेकिन उनको देने के लिए अब सैलरी नहीं है, क्योंकि बिजनेस नहीं चलेगा तो पैसा कहां से आएगा, साथ ही खुद के खर्चे भी चलाने में अब परेशानी आ रही है.

ट्रांसपोर्ट सर्विस में काम करने वालों के पास राशन जैसी अत्यावश्यक चीजें भी खरीदने के लिए पैसा नहीं बचा, बिजली, पानी का बिल ट्रक की किस्त कैसे भरें उन्हें समझ नहीं आ रहा. पंडित ट्रांसपोर्ट के संचालक और जिला ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सदस्य विनोद बताते हैं कि प्रशासन ने किराने की आपूर्ति के लिए उन्हें छूट दी है. छोटे माल वाहकों से वे शहर में किराने की आपूर्ति कर रहे हैं. इक्का-दुक्का ट्रक भी कुछ संचालकों के चल रहे हैं, जिनसे अन्य शहरों से किराने से संबंधित चीजें भिंड जिले में लाई जा रही हैं.

ट्रांसपोर्ट सर्विसेस के मालिक भी परेशान होने लगे हैं. क्योंकि कर्मचारियों को वेतन देना पड़ रहा है और उनके लिए व्यवस्थाएं भी बनानी पड़ रही हैं, लेकिन बिना इनकम के ये कब तक चलेगा. संचालक कहते हैं कि कर्मचारियों को निकाल नहीं सकते क्योंकि आगे उनके साथ ही काम करना है. विनोद कहते हैं कि भिंड जिले में करीब 4500 से ज्यादा ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं.

कोरियर लॉजिस्टिक और ऑनलाइन डिलीवरी बंद

भिंड जिले में रोजाना हजारों की संख्या में ऑनलाइन खरीदी के पार्सल डिलीवरी के लिए आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद ट्रांसपोर्ट पर लगी रोक की वजह से कई कंपनियों के पार्सल भी भिंड नहीं आ पा रहे हैं. ना ही यहां से रिटर्न की जाने वाली चीजें कंपनियों तक वापस पहुंच रही हैं, इसके साथ ही कोरियर सर्विस भी काफी हद तक प्रभावित है. जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता है यह स्थिति संचालकों को भारी नुकसान पहुंचाएगी.

रेत का कारोबार भी प्रभावित

ज्यादातर ट्रक भिंड जिले से अन्य राज्यों में और जिलों में रेत के परिवहन के लिए भी इस्तेमाल किए जाते थे, लेकिन लॉकडाउन में खदानों से रेत खनन और परिवहन पर रोक, सीमाएं सील होने से और निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध की वजह से रेत परिवहन भी रुका है और उससे जुड़े सारे ट्रक भी आज खड़े हुए हैं.

अति आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी तरह की चीजों के ट्रांसपोर्ट पर लगी रोक की वजह से आज ट्रांसपोर्टर्स लाखों का नुकसान हर रोज झेल रहे हैं साथ ही प्रशासन मदद न मिलने की वजह से कर्मचारियों को लेकर भी ट्रांसपोर्ट कर्मचारी काफी परेशान हैं, लेकिन ये सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाए गए लॉकडाउन का समर्थन भी कर रहे हैं. ट्रांसपोर्ट सर्विस जुड़े लोग परेशान हैं, लेकिन उम्मीद जता रहे हैं कि ग्रीन जोन में होने की वजह से शायद भिंड को 20 अप्रैल के बाद राहत मिलेगी ऐसे में यदि उस राहत में ट्रांसपोर्ट सर्विस शुरू भी हुई तो इस स्थिति में सुधार आएगा और हालात धीरे- धीरे ठीक हो जाएंगे.

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