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लॉकडाउन के दौरान गांव में फंसे मजदूर, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान - Lock down

भिंड के छानगांव में लॉकडाउन के कारण 39 मजदूर फंस गये हैं. जिसके बाद वो लगातार प्रशासन से घर छुड़वाने की गुहार लगा रहे थे, जिस तरफ प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया. जब ईटीवी भारत की टीम ने इसकी जानकारी ली तो इसकी खबर लगते ही तहसीलदार ने गरीबों को छुड़वाने की व्यवस्था की.

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लॉकडाउन के दौरान गांव में फंसे मजदूर
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Published : May 10, 2020, 12:36 PM IST

Updated : May 10, 2020, 2:35 PM IST

भिंड। कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. जिसमें आदिवासी मजदूर समुदाय के 39 लोग लॉकडाउन में फंस गए हैं. जो कि अब खाने-पीने को भी मजबूर हैं. बता दें कि जिले के दबोह के पास आने वाले छान गांव में एक मजदूर परिवार फसल काटने और मजदूरी करने के लिये यूपी के माऊरानीपुर से छान गांव आये हुए थे. वहीं लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया और वो अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. वहीं गांव में एक पेड़ के नीचे अपना डेरा डालकर रहने को मजबूर हैं.

लॉकडाउन के दौरान गांव में फंसे मजदूर

जहां लॉकडाउन में फंसे मजदूर जो की अपने परिवार के साथ यहां फंस गए हैं. उनको ईटीवी भारत की टीम ने पहुंचकर देखा कि खुले आसमान के नीचे बबूल के पेड़ के नीचे बढ़ती गर्मी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. प्रशासन द्वारा मजदूर को कोई सहायता नहीं दी जा रही है. सरपंच ने केवल एक बार 5 किलो आटा देकर सहायता दी गई थी. उसके बाद सरपंच द्वारा कोई सहायता नहीं की गई है. मजदूर महिलाओं का आरोप है कि प्रशासन उनके लिए घर जाने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किए हैं. ईटीवी टीम के पहुंचने की जानकारी लगते ही दबोह नव तहसीलदार राजेन्द्र मोर्य ने पटवारी के साथ मौके पर पहुंच कर मजदूरों को घर छुड़वाने के लिये गांव से ही ट्रैक्टर का इंतजाम कर दिया है. साथ ही तहसीलदार ने मजदूरों को मास्क और साबुन वितरण कराया है.

जब देश में लॉकडाउन लगा है अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को भी उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है. लेकिन भिंड के दबोह कस्बे में 39 लोग ऐसे हैं. जो आज भी घर तक सफर की राह तक रहे है, ये लोग अपने परिवार, छोटे बच्चों, महिलाओं के साथ 3 माह पहले उत्तर प्रदेश के मऊरानीपुर से दबोह के छान गांव में फसल काटने आये थे. फसल कट गई मेहनताना भी मिल गया लेकिन अब वापसी का साधन नहीं मिल रहा. जो कमाए वो पिछले 45 दिन के लॉकडाउन के दौरान खर्च हो गया. कई बार स्थानीय प्रशासन से विनती की कि घर तक पहुंचने की व्यवस्था कर दें लेकिन अब तक निराश ही हाथ लगी है.

भिंड। कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. जिसमें आदिवासी मजदूर समुदाय के 39 लोग लॉकडाउन में फंस गए हैं. जो कि अब खाने-पीने को भी मजबूर हैं. बता दें कि जिले के दबोह के पास आने वाले छान गांव में एक मजदूर परिवार फसल काटने और मजदूरी करने के लिये यूपी के माऊरानीपुर से छान गांव आये हुए थे. वहीं लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया और वो अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. वहीं गांव में एक पेड़ के नीचे अपना डेरा डालकर रहने को मजबूर हैं.

लॉकडाउन के दौरान गांव में फंसे मजदूर

जहां लॉकडाउन में फंसे मजदूर जो की अपने परिवार के साथ यहां फंस गए हैं. उनको ईटीवी भारत की टीम ने पहुंचकर देखा कि खुले आसमान के नीचे बबूल के पेड़ के नीचे बढ़ती गर्मी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. प्रशासन द्वारा मजदूर को कोई सहायता नहीं दी जा रही है. सरपंच ने केवल एक बार 5 किलो आटा देकर सहायता दी गई थी. उसके बाद सरपंच द्वारा कोई सहायता नहीं की गई है. मजदूर महिलाओं का आरोप है कि प्रशासन उनके लिए घर जाने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किए हैं. ईटीवी टीम के पहुंचने की जानकारी लगते ही दबोह नव तहसीलदार राजेन्द्र मोर्य ने पटवारी के साथ मौके पर पहुंच कर मजदूरों को घर छुड़वाने के लिये गांव से ही ट्रैक्टर का इंतजाम कर दिया है. साथ ही तहसीलदार ने मजदूरों को मास्क और साबुन वितरण कराया है.

जब देश में लॉकडाउन लगा है अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को भी उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है. लेकिन भिंड के दबोह कस्बे में 39 लोग ऐसे हैं. जो आज भी घर तक सफर की राह तक रहे है, ये लोग अपने परिवार, छोटे बच्चों, महिलाओं के साथ 3 माह पहले उत्तर प्रदेश के मऊरानीपुर से दबोह के छान गांव में फसल काटने आये थे. फसल कट गई मेहनताना भी मिल गया लेकिन अब वापसी का साधन नहीं मिल रहा. जो कमाए वो पिछले 45 दिन के लॉकडाउन के दौरान खर्च हो गया. कई बार स्थानीय प्रशासन से विनती की कि घर तक पहुंचने की व्यवस्था कर दें लेकिन अब तक निराश ही हाथ लगी है.

Last Updated : May 10, 2020, 2:35 PM IST
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