भिंड। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान होना है, लेकिन उससे पहले ईटीवी भारत अपने खास कार्यक्रम 'भैया जी का अड्डा' के जरिये जनता के बीच पहुंचकर मतदाताओं की राय जानने की कोशिश कर रहा है. भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र में जब 'भैया जी का अड्डा' लगा तो मतदाताओं ने स्थानीय समस्याओं और प्रत्याशियों को लेकर विचार साझा किए.
...तो वोट नहीं डालेंगे गिंगिरखी गांव के मतदाता
ईटीवी भारत ने जब गिंगिरखी गांव के मतदाताओं से पूछा की इस बार के उपचुनाव में वोटिंग का क्या आधार होगा तो उन्होंने कहा कि वह वोट नहीं डालने वाले. क्योंकि अब नेताओं पर भरोसा नहीं रहा. पहले भी वोट दिया था, लेकिन वो 35 करोड़ में बिक गए और अब दोबारा अगर वोट देंगे तो कही 50 करोड़ में बिक न जाएं, ऐसे में अपना वोट बर्बाद करके फायदा ही क्या है.
बिजली पानी की समस्या
वहीं जब अन्य मतदाताओं से बात की और उनसे स्थानीय समस्याओं की जानकारी ली तो वोटरों ने कहा कि उनका क्षेत्र उन सभी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर रहा है. जिन की आवश्यकता होती है. ना तो विधानसभा क्षेत्र में कृषि भूमि के लिए पानी की व्यवस्था है ना ही बिजली की, गांव में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है. हैंडपंप लगे हैं जो खराब पड़े हैं. वहीं स्कूल शिक्षा जैसी व्यवस्थाएं उसे स्तर पर नहीं है जो होनी चाहिए. सड़क का अभाव है लेकिन इस ओर अब तक किसी नेता का ध्यान नहीं रहा है. पूर्व विधायक ने भी इन समस्याओं का संज्ञान नहीं लिया.
पढ़ें : 'भैया जी का अड्डा': जानिए क्या चाहते हैं मांधाता के मतदाता
लॉकडाउन में नहीं मिला राशन
वहीं एक अन्य मतदाता ने कहा कि जब लॉकडाउन लगा तो देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त राशन बंटवाया, लेकिन मेहगांव क्षेत्र की जनता को उस योजना का लाभ तक नहीं मिला. यह सरकार योजनाएं सिर्फ कागज में चलाती हैं.
क्षेत्र की जनता हमेशा वंचित ही रह जाती है. समस्याओं को लेकर आक्रोशित मतदाताओं में से एक का कहना है कि कई बार उन्होंने विधायक रहे ओपीएस भदौरिया को जानकारी दी. लेकिन उन्हें महज अपने लेटर पैड पर आश्वासन देकर मामले चलते कर दिए आज भी उनके गांव में समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. अगर वह काम नहीं करा सकते तो उन्होंने हमसे वादे क्यों किए.
मेहगांव सीट पर 38 प्रत्याशी मैदान में
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए 38 प्रत्याशी मैदान में हैं. जिनमें बीजेपी की ओर से बिकाऊ प्रत्याशी का टैग लिए राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस की ओर से बाहरी प्रत्याशी बने पूर्व विधायक हेमंत कटारे चुनाव में उतरे हैं. लेकिन इनसे कई ज्यादा प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव में खड़े हुए हैं. जिन का फैसला 3 नवंबर को जनता ईवीएम मशीनों में कैद कर देगी.