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किसकी सरकार : 25 सालों में नहीं बनी 600 मीटर की पक्की सड़क, ग्रामीण करेंगे उपचुनाव का बहिष्कार! - Road Demand Bhind

भिंड जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बिरखड़ी के ग्रामीण 25 सालों से सड़क की बाट जोह रहे हैं. यहां हर चुनाव में सड़क को मुद्दा बनाकर ग्रामीणों का वोट लिया जाता है, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी. ग्रामीणों ने इस साल उपचुनाव के बहिष्कार करने का एलान कर दिया है. साथ ही किसी भी नेता, जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी के गांव में प्रवेश पर रोक लगा रखी है.

Villagers announced to boycott by-election due to road not built for 25 years in bhind
रोड नहीं तो वोट नहीं
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Published : Oct 25, 2020, 2:43 PM IST

भिंड। गोहद विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होना है, लेकिन गोहद मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर ग्राम बिरखड़ी के ग्रामीण 25 सालों से अपने साथ हो रही अनदेखी को अब बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है. पिछले 25 सालों से सड़क की बाट जोह रहे ग्रामीणों ने उपचुनाव के बहिष्कार का फैसला कर लिया है. साथ ही नेता, जनप्रतिनिधियों और प्रत्याशियों के गांव में प्रवेश पर रोक लगा रखी है. इसके लिए मुख्य रोड और गांव में जगह-जगह बैनर पोस्टर भी लगाए हैं.

ग्रामीण लगा रहे रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा

25 सालों से नहीं बड़ी सड़क

दो दशक से ज्यादा समय से बिरखड़ी गांव के ग्रामीण सड़क की बाट जोह रहे हैं, लेकिन 25 साल में ना तो गांव के सरपंच ने इस ओर ध्यान दिया, ना विधायक और ना जनप्रतिनिधियों ने कभी इस समस्या का समाधान किया. नतीजा ये हुआ कि उपचुनाव नजदीक आते ही गांव के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला कर लिया, जिसके लिए गांव के बाहर बैनर पोस्टर भी लगाए हैं. कहने को बिरखड़ी गांव नेशनल हाईवे से लगा हुआ है, लेकिन 600 मीटर की रोड पिछले 25 साल में बनकर तैयार नहीं हो पाई है.

उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

ग्रामीण कहते है कि अक्कसर कच्ची सड़क पर किसी जमाने में डाली गई गिट्टी लोगों को चोट पहुंचाती है, क्योंकि अंधेरे में निकलने पर कई बार गाड़ियां गिर जाती हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. विधायक रणवीर जाटव ने भी पिछले 2009 में इस समस्या को दूर करने की घोषणा की थी, लेकिन वादा कभी पूरा नहीं हुआ. जनप्रतिनिधियों ने 2013 फिर 2018 में भी हुए चुनाव में इस सड़क को मुद्दा बनाकर वोट बटोरे और विधायक बन गए. इसके बाद भी आज तक सड़क चुनाव का मुद्दा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि अब वह किसी को वोट नहीं देंगे, क्योंकि यहां जनप्रतिनिधि गांव के विकास के नाम पर वोट तो ले जाते हैं, लेकिन विकास सिर्फ अपना करते है.

प्रत्याशी, जनप्रतिनिधि और नेता का गांव में प्रवेश वर्जित

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पिछले करीब दो हफ्तों से चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. मेन हाईवे पर इसका एक पोस्टर भी लगाया है, लेकिन अब तक कोई प्रत्याशी, कोई जनप्रतिनिधि उनकी समस्या जानने नहीं आया है. जिससे आहत होकर उन्होंने अब यह निश्चित कर लिया है कि वह अपना वोट ऐसे लोगों के लिए व्यर्थ नहीं करेंगे. इस बार वे उपचुनाव का बहिष्कार करते हुए वोट डालने नहीं जाएंगे. करीब 4500 मतदाताओं के इस गांव में सभी एक स्वर होकर कहते है कि अब किसी प्रत्याशी को इस गांव में प्रवेश भी नहीं मिलेगा. कुछ लोगों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी और वोटिंग करने जाना भी पडा, तो उनका पहला विकल्प नोटा ही होगा.

आचार संहिता में नहीं होगा कोई नया निर्माण कार्य

वहीं मामले को लेकर जब भिंड कलेक्टर डॉक्टर वीरेंद्र नवल सिंह रावत से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई समस्या है तो इसे दूर किया जाएगा. इसकी जांच कराएंगे. हालांकि उनका यह भी कहना है कि अभी आचार संहिता लगी हुई है, ऐसे में अगर पुराने पेंडिंग काम होंगे तो उन्हें करा दिया जाएगा लेकिन कोई भी नए निर्माण कार्य को स्वीकृति नहीं दी जा सकती. वहीं उन्होंने उपचुनाव के बहिष्कार को लेकर कहा कि ग्रामीणों को समझाने के लिए जिला पंचायत सीईओ को मौके पर भेजकर परिस्थितियों में सुधार लाने की बात कही है.

ये भी पढ़े- सीएम शिवराज सिंह का बड़ा एलान,कहा- गरीबों को फ्री में दी जाएगी कोरोना की वैक्सीन

किसी भी क्षेत्र में भोली-भाली जनता सिर्फ विकास की चाहत रखती है, मूलभूत सुविधाओं की चाहत रखती है, चाहती है कि उनका नेता उनकी बात सुने, उनकी समस्याएओं को हल करे, लेकिन हर बार वोट के नाम पर ग्रामीण ठगी के शिकार हो जाते हैं. अपनी गलतियों से सबक लेते हुए बिरखड़ी गांव के ग्रामीणों ने उपचुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.

भिंड। गोहद विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होना है, लेकिन गोहद मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर ग्राम बिरखड़ी के ग्रामीण 25 सालों से अपने साथ हो रही अनदेखी को अब बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है. पिछले 25 सालों से सड़क की बाट जोह रहे ग्रामीणों ने उपचुनाव के बहिष्कार का फैसला कर लिया है. साथ ही नेता, जनप्रतिनिधियों और प्रत्याशियों के गांव में प्रवेश पर रोक लगा रखी है. इसके लिए मुख्य रोड और गांव में जगह-जगह बैनर पोस्टर भी लगाए हैं.

ग्रामीण लगा रहे रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा

25 सालों से नहीं बड़ी सड़क

दो दशक से ज्यादा समय से बिरखड़ी गांव के ग्रामीण सड़क की बाट जोह रहे हैं, लेकिन 25 साल में ना तो गांव के सरपंच ने इस ओर ध्यान दिया, ना विधायक और ना जनप्रतिनिधियों ने कभी इस समस्या का समाधान किया. नतीजा ये हुआ कि उपचुनाव नजदीक आते ही गांव के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला कर लिया, जिसके लिए गांव के बाहर बैनर पोस्टर भी लगाए हैं. कहने को बिरखड़ी गांव नेशनल हाईवे से लगा हुआ है, लेकिन 600 मीटर की रोड पिछले 25 साल में बनकर तैयार नहीं हो पाई है.

उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

ग्रामीण कहते है कि अक्कसर कच्ची सड़क पर किसी जमाने में डाली गई गिट्टी लोगों को चोट पहुंचाती है, क्योंकि अंधेरे में निकलने पर कई बार गाड़ियां गिर जाती हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. विधायक रणवीर जाटव ने भी पिछले 2009 में इस समस्या को दूर करने की घोषणा की थी, लेकिन वादा कभी पूरा नहीं हुआ. जनप्रतिनिधियों ने 2013 फिर 2018 में भी हुए चुनाव में इस सड़क को मुद्दा बनाकर वोट बटोरे और विधायक बन गए. इसके बाद भी आज तक सड़क चुनाव का मुद्दा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि अब वह किसी को वोट नहीं देंगे, क्योंकि यहां जनप्रतिनिधि गांव के विकास के नाम पर वोट तो ले जाते हैं, लेकिन विकास सिर्फ अपना करते है.

प्रत्याशी, जनप्रतिनिधि और नेता का गांव में प्रवेश वर्जित

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पिछले करीब दो हफ्तों से चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. मेन हाईवे पर इसका एक पोस्टर भी लगाया है, लेकिन अब तक कोई प्रत्याशी, कोई जनप्रतिनिधि उनकी समस्या जानने नहीं आया है. जिससे आहत होकर उन्होंने अब यह निश्चित कर लिया है कि वह अपना वोट ऐसे लोगों के लिए व्यर्थ नहीं करेंगे. इस बार वे उपचुनाव का बहिष्कार करते हुए वोट डालने नहीं जाएंगे. करीब 4500 मतदाताओं के इस गांव में सभी एक स्वर होकर कहते है कि अब किसी प्रत्याशी को इस गांव में प्रवेश भी नहीं मिलेगा. कुछ लोगों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी और वोटिंग करने जाना भी पडा, तो उनका पहला विकल्प नोटा ही होगा.

आचार संहिता में नहीं होगा कोई नया निर्माण कार्य

वहीं मामले को लेकर जब भिंड कलेक्टर डॉक्टर वीरेंद्र नवल सिंह रावत से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई समस्या है तो इसे दूर किया जाएगा. इसकी जांच कराएंगे. हालांकि उनका यह भी कहना है कि अभी आचार संहिता लगी हुई है, ऐसे में अगर पुराने पेंडिंग काम होंगे तो उन्हें करा दिया जाएगा लेकिन कोई भी नए निर्माण कार्य को स्वीकृति नहीं दी जा सकती. वहीं उन्होंने उपचुनाव के बहिष्कार को लेकर कहा कि ग्रामीणों को समझाने के लिए जिला पंचायत सीईओ को मौके पर भेजकर परिस्थितियों में सुधार लाने की बात कही है.

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किसी भी क्षेत्र में भोली-भाली जनता सिर्फ विकास की चाहत रखती है, मूलभूत सुविधाओं की चाहत रखती है, चाहती है कि उनका नेता उनकी बात सुने, उनकी समस्याएओं को हल करे, लेकिन हर बार वोट के नाम पर ग्रामीण ठगी के शिकार हो जाते हैं. अपनी गलतियों से सबक लेते हुए बिरखड़ी गांव के ग्रामीणों ने उपचुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.

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