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Bhind land dispute: आप भी प्रोपर्टी विवाद से जूझ रहे हैं, तो इस खबर को पढ़कर मिल जाएगा समाधान - कैसे हल किया जा सकता है

अगर आप भी प्रोपर्टी विवाद (Property dispute) को लेकर परेशान है तो आप को घबराने की जरुरत नहीं है. हम आपको मकान, जमीन और अवैध कब्जे को लेकर कानूनी जानकारी बताएंगे. इसके साथ ही हम आपको सिविल लॉ एक्स्पर्ट (Civil law expert) के बारे में भी जानकारी मुहैया कराएंगे ताकि भविष्य में आप इन झंझटों से बचे सकतें हैं.

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Published : Apr 6, 2021, 5:34 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 7:35 PM IST

भिंड। अक्सर देखा जाता है कि लोग कभी खेत खलिहान तो कभी खाली प्लॉट या दबंगों द्वारा जबरन कब्जे से अपनी ही जमीन के लिए न्याय की गुजर लगाते हैं. पुलिस थानों में जाते हैं और इसी स्थिति में एफआईआर कराते हैं लेकिन अतिक्रमण, अवैध कब्जा या जमीन से जुड़े किसी भी तरह के मामलों को सुलझाने और निपटाने के लिए अलग से नागरिक कानून और न्यायपालिका (Civil law and judiciary) की व्यवस्था है. लेकिन जानकारी के अभाव के चलते लोग सीधे कानूनी सलाह लेने की वजह पुलिस थानों के चक्कर लगाते हैं. ऐसे में लोगों की मदद करने के लिए पुलिस को ना चाहते हुए भी दखलंदजी करनी पड़ती है. जिसका खामियाजा अपनी जमीन के मसले में पीड़ित पक्ष को लंबे समय तक इंतजार करना पढ़ता है. हम आपको बताते हैं कि इस रिपोर्ट के माध्यम से बताएंगे कि कैसे जमीनी विवाद (land dispute) होने पर क्या करना चाहिए और किस तरह किसी भी विवाद की स्थिति से बचने के क्या हैं तरीके...

प्रोपर्टी विवाद का समाधान

भिंड में आम है जमीनी विवाद

बात अगर भिंड जिले की की जाए तो यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां दबंगई लोगों के नस-नस में बह रही है. छोटी से बात पर भी यह गोलियां चल जाती है. ऐसे में जमीनी कब्जों के मामले बहुत आम हैं. जमीनी विवादों में ज़्यादातर केस या तो जातिगत दबंगई, अपने ही रिश्तेदार द्वारा जमीन हड़पने या पड़ोसियों द्वारा अवैध कब्जा करने जैसे मामले होते हैं. इन मामलों में सीधे तौर पर पुलिस की कोई भूमिका नहीं है लेकिन अकसर इन विवादों में आपराधिक प्रकरण भी बन जाते हैं. जिसके चलते पीड़ित पक्ष एफआईआर कराते हैं. कई बार तो लोगों में जानकारी की कमी भी देखी जाती है जिसकी वजह फरियादी न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की वजह, सीधे पुलिस से न्याय की गुहार लगाते हैं.

कोर्ट में केस, नियमों का उल्लंघन

भिंड जिले के ग्राम जौरी कोतवाल के रहने वाले राजेश दुबे भी जमीनी विवाद से परेशान है. उनसे बात करने पर पता चला के बाहर किसी अन्य क्षेत्र के 2 बदमाश दबंगों ने उनकी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है, जबकि उनके पास उस जमीन के कागजात भी है. पुलिस में शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, केस सिविल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. बात यही खत्म नहीं हुई. न्यायालय में विचाराधीन विवादित जमीन पर इस्तगासा लगा दिया गया. जिसका अर्थ है मामला सुलझने तक या कोर्ट का फैसला आने तक विवादित जमीन पर कोई भी पक्ष किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं कराएगा और नही किसी तरह का कोई बदलाव किया जाएगा. लेकिन जिस पुलिस से पीड़ित राजेश ने गुहार लगाई, आज वही पुलिसकर्मी आरोपी पक्ष के साथ खड़े होकर न्यायालय के निर्देश की अवमानना कर रहे हैं. उन्होंने थाना प्रभारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस खुद आरोपी पक्ष के साथ खड़ी है और थाना प्रभारी के शह पर आरोपी पक्ष का निर्माण करवा रही है.

पुलिस पर भरोसा या 'मजबूरी'

पीड़ित राजेश दुबे मामले में पुलिस पर खुद आरोप लग रहे हैं लेकिन ज़्यादातर प्रकरणों में पीड़ित पुलिस के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचते हैं. अमूमन जिले में दर्ज होने वाले प्रकरणों में 15 फीसदी जमीन विवाद से सम्बंधित होते है. क्योंकि इन केस में कहीं ना कहीं कानून का उल्लंघन होता है. मौखिक या प्रत्यक्ष विवाद हो जाते हैं. जिनके पीड़ित पक्षों द्वारा एफआईआर करायी जाती है. वैसे तो जमीन से जुड़े मामले नागरिक कानून के अंतर्गत आते हैं. जिनके निपटारे के लिए अलग से सिविल कोर्ट्स भी है. जिसकी वजह से पुलिस की कोई भूमिका इन प्रकरणों में नहीं होती है. और अंत में पुलिस को दोनों पक्षों के बीच सहमति बनवाकर प्रकरण सिविल कोर्ट में ही भेजना पड़ता है.

अब लोग हो रहे हैं जागरूक

इस तरह के हालातों पर जब हमने भिंड पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह से बात की तो उनका कहना है कि अब धीरे-धीरे लोग जागरूक होने लगे है और अधिकतर रिकॉर्ड कंप्यूटराइज हो गए हैं, फिर भी लोगों को पुलिस पर एक भरोसा है कि अगर वे अपनी जमीन से सम्बन्धी शिकायत पुलिस के पास लेकर जाएंगे तो शायद त्वरित न्याय मिल जाए, क्योंकि बाकी कहीं भी जाने पर शायद समय लगे इसीलिए लोग ज़्यादातर पुलिसकर्मी थानों का रुख करते हैं.

ना फंसे भू-माफिया के चक्कर में

भिंड एसपी ने यह भी बताया कि यदि कभी कोई व्यक्ति भू-माफिया के चक्कर में फंस जाए तो तुरंत पुलिसकर्मी से सम्पर्क कर सकता है. जिसने पुलिस त्वरित कार्रवाई भी करेगी और जो मदद पीड़ित को हो सकती, उसका प्रयास किया जाएगा. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में कामिनी विवाद होते हैं तो पुलिसकर्मी कागजातों के आधार पर यह तय नहीं कर सकती कि जमीन का असली मालिक कौन है. इसलिए उस स्थिति में राजस्व अधिकारी, पटवारी और अन्य अथॉरिटी के पास भेजा जाता है हालाकि ग्रामीण क्षेत्र में माहौल खराब ना हो या फिर गंभीर विवाद की स्थिति ना बने इसके लिए भी ग्राम पंचायत लेवल पर ध्यान दिया जाता है जिससे विवाद और झगड़े जैसी स्थितियां ना बन सके.

किस तरह के होते हैं जमीनी विवाद

जमीनी विवाद कई तरह के होते हैं. जिनमें सबसे सामान्य विवाद कब्जा या अतिक्रमण की वजह से होते हैं जो भूमाफिया, पड़ोसियों या रिश्तेदारों से सम्बंधित हो सकते हैं. कई केस ऐसे भी सामने आते हैं जिनके भूस्वामी प्रथक रहता है लेकिन अनुपस्थिति के चलते उसके भूखंड पर अनधिकृत लोगों द्वारा कब्जा कर लिया जाता है. सरकारी जमीन पर भी भू-माफिया द्वारा अतिक्रमण बहुत आम बात है. वहीं किसी जमीन को एक से ज़्यादा लोगों को बेचने जैसे मामले भी सामने आते हैं. यहा तक कि मंदिर जैसी सार्वजनिक जगहों पर भी भूमाफिया सक्रिय रहते हैं. भिंड जिले का प्राचीन भिंडी ऋषि मंदिर भी इस तरह के विवाद में घिरा हुआ है. इस केस में भी भूमाफिया द्वारा मंदिर ट्रस्ट की जमीन पर जबरन कब्जे की कोशिश की गई. जिसको लेकर कई अलग-अलग मामले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक में चल रहे हैं.

क्या कहते हैं सिविल लॉ एक्स्पर्ट

सिविल लॉ एक्स्पर्ट और जिला न्यायालय के एडवोकेट अतुल सक्सेना ने बताया कि, इन प्रमुख कारणों के साथ सबसे ज़्यादा केस सीमा विवाद, गलत सर्वे नंबर (यानी सांठगांठ कर किसी अन्य के सर्वे नम्बर पर किसी और का नाम भी अंकित करवा देना) की वजह से विवाद होते हैं. हालांकि एडवोकेट सक्सेना ने बताया कि यदि किसी त्रुटिवश विवाद उत्पन्न हुआ है तो उसे सुलझाने की प्रक्रिया आसान होती है. इसके तहत MPLRC की धारा 115 के तहत इसका सुधार करवाकर विवाद सुलझाया जा सकता है. हालांकि यदि किसी अधिकारी द्वारा यह त्रुटि जानकर की गयी है, तो इसके खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया का सकता है.

अतिक्रमण करने वाले के खिलाफ हो सकता है मामला दर्ज

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सीमा विवाद की स्थिति में सिविल कोर्ट में केस दर्ज कराना पड़ेगा. यदि आवेदक की जमीन पर 200 दिन का कब्जा है और कोई अन्य व्यक्ति अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है और इसमें धारा 145 CRPC के तहत सम्बंधित एसडीएम द्वारा केस की सुनवाई की जा सकती है. हालांकि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए पुलिस की मदद ली जा सकती है. जिसमें कब्जाधारी का कब्जा रहेगा. लेकिन बाद में न्याय के लिए उसे सिविल कोर्ट में ही आना पड़ेगा.

जमीन, मकान खरीदते समय रखे सावधानी

रेवेन्यू इंस्पेक्टर श्याम सुंदर सहरिया कहते हैं कि सुरक्षा से सावधानी बढ़ीं और यही सीख हर उस व्यक्ति के काम आ सकती है जो भूखंड या जमीनी सौदा करना या जमीन की खरीद फरोख्त करने का विचार बना रहा हो. भिंड राजस्व विभाग के रेवेन्यू इन्स्पेक्टर (RI) श्याम सुंदर सहरिया का कहना है कि कोई भी जमीनी सौदा करने से पहले क्रेता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस जमीन को वह खरीद रहा है उस पर विक्रेता का पहले से कब्जा है या नहीं. साथ ही यह भी सुनिश्चहित करें कि जिस भूमि को आप खरीद रहे हैं इस पर कब्जा है या नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं कि उसका कब्जा किसी भूखंड पर है और वह बेच कहीं और रहा हो.

Bhind District Court
भिंड जिला कोर्ट

मकान खरीदने से पहले से जांच करें कि कहीं विवाद तो नहीं है

दूसरी बड़े परेशानी इस बात को लेकर आती है कि जो जमीन खरीदी जाती है वह किसी अवैध कॉलोनी में तो नहीं है. क्योंकि ऐसी कॉलोनी में खसरे पर व्यक्ति का नाम तो होता है लेकिन कॉलोनी में बनायी जाने वाली सड़कों में वह भूमि चली जाती है. इस दशा में खरीदने वाला यदि पड़ताल नहीं करता है और सिर्फ कागजों के आधार पर जमीन खरीद लेता है तो जमीन के नाम पर उसे कुछ नहीं मिल पता है.

क्योंकि जमीन तो सड़क बनाने में जा चुकी होती है. इसलिए कभी भी कोई भी जमीन खरीदने से पहले सम्बंधित क्षेत्र के पटवारी द्वारा मौके पर खुद जमीन का मुआयना करना बेहद आवश्यक है. इस तरह आप किसी भी धोखाधड़ी से बच सकते हैं. आज के दौर में जमीन हर किसी के लिए बुनियादी जरुरत बन चुकी है. फिर चाहे वह खेती के लिए हो या घर बनाने के लिए, ऐसे में भू-माफिया या किसी गलत विवाद से बचाने और बेहद जरूरी है, यदि हम सावधानिया बरतें और सही जानकारी रखे तो धोखाधड़ी के साथ साथ बचाव होता ही है, साथ ही विवाद की स्थिति में समय की बचत भी होती है.

भिंड। अक्सर देखा जाता है कि लोग कभी खेत खलिहान तो कभी खाली प्लॉट या दबंगों द्वारा जबरन कब्जे से अपनी ही जमीन के लिए न्याय की गुजर लगाते हैं. पुलिस थानों में जाते हैं और इसी स्थिति में एफआईआर कराते हैं लेकिन अतिक्रमण, अवैध कब्जा या जमीन से जुड़े किसी भी तरह के मामलों को सुलझाने और निपटाने के लिए अलग से नागरिक कानून और न्यायपालिका (Civil law and judiciary) की व्यवस्था है. लेकिन जानकारी के अभाव के चलते लोग सीधे कानूनी सलाह लेने की वजह पुलिस थानों के चक्कर लगाते हैं. ऐसे में लोगों की मदद करने के लिए पुलिस को ना चाहते हुए भी दखलंदजी करनी पड़ती है. जिसका खामियाजा अपनी जमीन के मसले में पीड़ित पक्ष को लंबे समय तक इंतजार करना पढ़ता है. हम आपको बताते हैं कि इस रिपोर्ट के माध्यम से बताएंगे कि कैसे जमीनी विवाद (land dispute) होने पर क्या करना चाहिए और किस तरह किसी भी विवाद की स्थिति से बचने के क्या हैं तरीके...

प्रोपर्टी विवाद का समाधान

भिंड में आम है जमीनी विवाद

बात अगर भिंड जिले की की जाए तो यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां दबंगई लोगों के नस-नस में बह रही है. छोटी से बात पर भी यह गोलियां चल जाती है. ऐसे में जमीनी कब्जों के मामले बहुत आम हैं. जमीनी विवादों में ज़्यादातर केस या तो जातिगत दबंगई, अपने ही रिश्तेदार द्वारा जमीन हड़पने या पड़ोसियों द्वारा अवैध कब्जा करने जैसे मामले होते हैं. इन मामलों में सीधे तौर पर पुलिस की कोई भूमिका नहीं है लेकिन अकसर इन विवादों में आपराधिक प्रकरण भी बन जाते हैं. जिसके चलते पीड़ित पक्ष एफआईआर कराते हैं. कई बार तो लोगों में जानकारी की कमी भी देखी जाती है जिसकी वजह फरियादी न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की वजह, सीधे पुलिस से न्याय की गुहार लगाते हैं.

कोर्ट में केस, नियमों का उल्लंघन

भिंड जिले के ग्राम जौरी कोतवाल के रहने वाले राजेश दुबे भी जमीनी विवाद से परेशान है. उनसे बात करने पर पता चला के बाहर किसी अन्य क्षेत्र के 2 बदमाश दबंगों ने उनकी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है, जबकि उनके पास उस जमीन के कागजात भी है. पुलिस में शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, केस सिविल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. बात यही खत्म नहीं हुई. न्यायालय में विचाराधीन विवादित जमीन पर इस्तगासा लगा दिया गया. जिसका अर्थ है मामला सुलझने तक या कोर्ट का फैसला आने तक विवादित जमीन पर कोई भी पक्ष किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं कराएगा और नही किसी तरह का कोई बदलाव किया जाएगा. लेकिन जिस पुलिस से पीड़ित राजेश ने गुहार लगाई, आज वही पुलिसकर्मी आरोपी पक्ष के साथ खड़े होकर न्यायालय के निर्देश की अवमानना कर रहे हैं. उन्होंने थाना प्रभारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस खुद आरोपी पक्ष के साथ खड़ी है और थाना प्रभारी के शह पर आरोपी पक्ष का निर्माण करवा रही है.

पुलिस पर भरोसा या 'मजबूरी'

पीड़ित राजेश दुबे मामले में पुलिस पर खुद आरोप लग रहे हैं लेकिन ज़्यादातर प्रकरणों में पीड़ित पुलिस के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचते हैं. अमूमन जिले में दर्ज होने वाले प्रकरणों में 15 फीसदी जमीन विवाद से सम्बंधित होते है. क्योंकि इन केस में कहीं ना कहीं कानून का उल्लंघन होता है. मौखिक या प्रत्यक्ष विवाद हो जाते हैं. जिनके पीड़ित पक्षों द्वारा एफआईआर करायी जाती है. वैसे तो जमीन से जुड़े मामले नागरिक कानून के अंतर्गत आते हैं. जिनके निपटारे के लिए अलग से सिविल कोर्ट्स भी है. जिसकी वजह से पुलिस की कोई भूमिका इन प्रकरणों में नहीं होती है. और अंत में पुलिस को दोनों पक्षों के बीच सहमति बनवाकर प्रकरण सिविल कोर्ट में ही भेजना पड़ता है.

अब लोग हो रहे हैं जागरूक

इस तरह के हालातों पर जब हमने भिंड पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह से बात की तो उनका कहना है कि अब धीरे-धीरे लोग जागरूक होने लगे है और अधिकतर रिकॉर्ड कंप्यूटराइज हो गए हैं, फिर भी लोगों को पुलिस पर एक भरोसा है कि अगर वे अपनी जमीन से सम्बन्धी शिकायत पुलिस के पास लेकर जाएंगे तो शायद त्वरित न्याय मिल जाए, क्योंकि बाकी कहीं भी जाने पर शायद समय लगे इसीलिए लोग ज़्यादातर पुलिसकर्मी थानों का रुख करते हैं.

ना फंसे भू-माफिया के चक्कर में

भिंड एसपी ने यह भी बताया कि यदि कभी कोई व्यक्ति भू-माफिया के चक्कर में फंस जाए तो तुरंत पुलिसकर्मी से सम्पर्क कर सकता है. जिसने पुलिस त्वरित कार्रवाई भी करेगी और जो मदद पीड़ित को हो सकती, उसका प्रयास किया जाएगा. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में कामिनी विवाद होते हैं तो पुलिसकर्मी कागजातों के आधार पर यह तय नहीं कर सकती कि जमीन का असली मालिक कौन है. इसलिए उस स्थिति में राजस्व अधिकारी, पटवारी और अन्य अथॉरिटी के पास भेजा जाता है हालाकि ग्रामीण क्षेत्र में माहौल खराब ना हो या फिर गंभीर विवाद की स्थिति ना बने इसके लिए भी ग्राम पंचायत लेवल पर ध्यान दिया जाता है जिससे विवाद और झगड़े जैसी स्थितियां ना बन सके.

किस तरह के होते हैं जमीनी विवाद

जमीनी विवाद कई तरह के होते हैं. जिनमें सबसे सामान्य विवाद कब्जा या अतिक्रमण की वजह से होते हैं जो भूमाफिया, पड़ोसियों या रिश्तेदारों से सम्बंधित हो सकते हैं. कई केस ऐसे भी सामने आते हैं जिनके भूस्वामी प्रथक रहता है लेकिन अनुपस्थिति के चलते उसके भूखंड पर अनधिकृत लोगों द्वारा कब्जा कर लिया जाता है. सरकारी जमीन पर भी भू-माफिया द्वारा अतिक्रमण बहुत आम बात है. वहीं किसी जमीन को एक से ज़्यादा लोगों को बेचने जैसे मामले भी सामने आते हैं. यहा तक कि मंदिर जैसी सार्वजनिक जगहों पर भी भूमाफिया सक्रिय रहते हैं. भिंड जिले का प्राचीन भिंडी ऋषि मंदिर भी इस तरह के विवाद में घिरा हुआ है. इस केस में भी भूमाफिया द्वारा मंदिर ट्रस्ट की जमीन पर जबरन कब्जे की कोशिश की गई. जिसको लेकर कई अलग-अलग मामले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक में चल रहे हैं.

क्या कहते हैं सिविल लॉ एक्स्पर्ट

सिविल लॉ एक्स्पर्ट और जिला न्यायालय के एडवोकेट अतुल सक्सेना ने बताया कि, इन प्रमुख कारणों के साथ सबसे ज़्यादा केस सीमा विवाद, गलत सर्वे नंबर (यानी सांठगांठ कर किसी अन्य के सर्वे नम्बर पर किसी और का नाम भी अंकित करवा देना) की वजह से विवाद होते हैं. हालांकि एडवोकेट सक्सेना ने बताया कि यदि किसी त्रुटिवश विवाद उत्पन्न हुआ है तो उसे सुलझाने की प्रक्रिया आसान होती है. इसके तहत MPLRC की धारा 115 के तहत इसका सुधार करवाकर विवाद सुलझाया जा सकता है. हालांकि यदि किसी अधिकारी द्वारा यह त्रुटि जानकर की गयी है, तो इसके खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया का सकता है.

अतिक्रमण करने वाले के खिलाफ हो सकता है मामला दर्ज

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सीमा विवाद की स्थिति में सिविल कोर्ट में केस दर्ज कराना पड़ेगा. यदि आवेदक की जमीन पर 200 दिन का कब्जा है और कोई अन्य व्यक्ति अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है और इसमें धारा 145 CRPC के तहत सम्बंधित एसडीएम द्वारा केस की सुनवाई की जा सकती है. हालांकि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए पुलिस की मदद ली जा सकती है. जिसमें कब्जाधारी का कब्जा रहेगा. लेकिन बाद में न्याय के लिए उसे सिविल कोर्ट में ही आना पड़ेगा.

जमीन, मकान खरीदते समय रखे सावधानी

रेवेन्यू इंस्पेक्टर श्याम सुंदर सहरिया कहते हैं कि सुरक्षा से सावधानी बढ़ीं और यही सीख हर उस व्यक्ति के काम आ सकती है जो भूखंड या जमीनी सौदा करना या जमीन की खरीद फरोख्त करने का विचार बना रहा हो. भिंड राजस्व विभाग के रेवेन्यू इन्स्पेक्टर (RI) श्याम सुंदर सहरिया का कहना है कि कोई भी जमीनी सौदा करने से पहले क्रेता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस जमीन को वह खरीद रहा है उस पर विक्रेता का पहले से कब्जा है या नहीं. साथ ही यह भी सुनिश्चहित करें कि जिस भूमि को आप खरीद रहे हैं इस पर कब्जा है या नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं कि उसका कब्जा किसी भूखंड पर है और वह बेच कहीं और रहा हो.

Bhind District Court
भिंड जिला कोर्ट

मकान खरीदने से पहले से जांच करें कि कहीं विवाद तो नहीं है

दूसरी बड़े परेशानी इस बात को लेकर आती है कि जो जमीन खरीदी जाती है वह किसी अवैध कॉलोनी में तो नहीं है. क्योंकि ऐसी कॉलोनी में खसरे पर व्यक्ति का नाम तो होता है लेकिन कॉलोनी में बनायी जाने वाली सड़कों में वह भूमि चली जाती है. इस दशा में खरीदने वाला यदि पड़ताल नहीं करता है और सिर्फ कागजों के आधार पर जमीन खरीद लेता है तो जमीन के नाम पर उसे कुछ नहीं मिल पता है.

क्योंकि जमीन तो सड़क बनाने में जा चुकी होती है. इसलिए कभी भी कोई भी जमीन खरीदने से पहले सम्बंधित क्षेत्र के पटवारी द्वारा मौके पर खुद जमीन का मुआयना करना बेहद आवश्यक है. इस तरह आप किसी भी धोखाधड़ी से बच सकते हैं. आज के दौर में जमीन हर किसी के लिए बुनियादी जरुरत बन चुकी है. फिर चाहे वह खेती के लिए हो या घर बनाने के लिए, ऐसे में भू-माफिया या किसी गलत विवाद से बचाने और बेहद जरूरी है, यदि हम सावधानिया बरतें और सही जानकारी रखे तो धोखाधड़ी के साथ साथ बचाव होता ही है, साथ ही विवाद की स्थिति में समय की बचत भी होती है.

Last Updated : Apr 6, 2021, 7:35 PM IST
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