भिंड। कोरोना काल में विधानसभा का पहला बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. कहने को सरकार कोरोना की वजह से आर्थिक संकट से झूझ रही है, लेकिन जल्द पेश होने जा रहे बजट से महिलाओं को काफी उम्मीदें हैं. क्योंकि उनके घर का बजट भी इस पर निर्भर करता है.
शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए नई योजनाएं
ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान महिलाओं ने बजट पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की बात करती है. ऐसे में इस बजट में सरकार को ऐसी योजनाएं लानी चाहिए. जिससे महिलाओं को सशक्त किया जा सके. साथ ही महिलाओं की शिक्षा के लिए कुछ खास योजनाएं लाई जाएं. क्योंकि आज भी प्रदेश में लाखों महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता है. इसका खामियाजा उन्हें कई बार ठगी का शिकार बनाता है. जो योजनाएं सरकार चला रही है. उन्हें घर-घर तक पहुंचाने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए. जिससे लोगों को जानकारी मिले और वे जागरूक हों सके.
बेरोजगारी दूर करें, गैस सिलेंडर सस्ता करने की उम्मीद
कोरोना महामारी के चलते कई घर बेरोजगार हो चुके हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान महिलाओं ने कहा कि इस बीमारी ने उनके घर का राशन पानी छीन लिया है. बच्चे स्कूल नहीं जा सके, घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा है. ऐसे में सरकार सहूलियत वाला बजट लेकर आये,साथ ही गैस सिलेंडर पर बढ़े दामों को वापस कम करें जिससे आम जनता को राहत मिले. इसके अलावा रोजगार के लिए भी सरकार कुछ प्रावधान लाए.
मंत्री प्रद्युम्न 'रायचंद' का 'पेट्रोल ज्ञान' : होने दो महंगा
इस बार दैनिक उपयोगी वस्तुएं की जाएं सस्ती
वहीं महिलाओं की यह भी शिकायत देखने को मिली कि हर बार सरकार बजट में दैनिक उपयोग की चीजों की कीमतों में इजाफा कर देती है. जबकि ऐसे तमाम सेक्टर हैं जैसे होटल, ऑटोमोबिल, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि जिन्हें सरकार सस्ता करती आई है. इस तरह की चीजें दैनिक उपयोग की या महिलाओं का घर चलाने के लिए उतनी उपयोगी नहीं है लेकिन जो दाल कभी 60 रुपये किलो थी वह आज 120 रुपये किलो दाम देकर खरीदनी पड़ रही है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे दैनिक उपयोग की वस्तुएं, मसाले, खाने पीने की चीजें सस्ती करे. जिससे किचिन का बजट न बिगड़े.
ईधन की कीमत कम करें सरकार
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर भी लगाम लगे इसके लिए भी सरकार से महिलाओं ने उम्मीद जताई है. क्योंकि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें महंगाई को बढ़ावा दे रही है. ईधन महंगा होने से ट्रांसपोर्टेशन भी महंगा होता है. जिसकी वजह से सभी तरह के व्यापार में भी महंगाई का असर दिखता है. फिर चाहे सब्जी हो या आदमी के हाथ का मोबाइल फोन इसलिए ईधनों की कीमत पर लगाम बेहद जरूरी है, क्योंकि कुछ सालों पहले यही सरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़े दामों पर प्रदर्शन करती दिखाई देती थी, लेकिन आज लगता है कीमतें बढ़ने के बाद भी शायद उन्हें सस्ता लगता है.
रोजमर्रा की वस्तुओं से लेकर ईधनों के दामों में रियायत की चाहत और ऐसी योजनाएं जो घर के बजट से लेकर महिला सशक्तिकरण पर खरी उतरें ये उम्मीदें भिंड की महिलाओं ने जताई हैं. बहरहाल आने वाला बजट कितना इन महिलाओं की उम्मीदों पर खरा उतरता है यह तो वित्तमंत्री का डिजीटल टेबलेट खुलने पर ही सबके सामने आएगा.