भिंड। मैं और साक्षी एक दूसरे को पसंद करते थे, शादी की उम्र नहीं हुई थी इसलिए वो सगाई करना चाहती थी, लेकिन उसके घरवालों ने उसकी ऑनर किलिंग में हत्या कर दी, झूठे साक्ष्यों के साथ मामला दबाया जा रहा है. मैं उसे इंसाफ़ दिलाना चाहता हूं इसलिए तीन जिलों के एसपी को आवेदन दिए हैं. लेकिन मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं… ये गुहार है उस प्रेमी की जिसकी प्रेमिका को उसके ही घरवालों ने मौत के घाट उतार दिया है. ये आरोप उस युवक के हैं जो हर हाल में अपनी मरी हुई प्रेमिका को न्याय दिलाने के लिए सिस्टम तक से लड़ने को तैयार है..
मध्यप्रदेश के भिंड जिले में एक युवती की कुछ दिन पहले हुई संदिग्ध परिस्थियां में मौत अब ऑनर किलिंग होने की आशंका में बदल गई है. इस युवती के प्रेमी ने उसकी मौत के बाद कई खुलासे किए हैं उसने इस पूरे मामले में सिस्टम की मिलीभगत होने को लेकर भी कई सवाल खड़े किए हैं. ये घटना 5 मई 2023 की बतायी जा रही है. दो दिन पहले मर्ग भी कायम हो गया है लेकिन इसके लिए प्रेमी निखिल को डेढ़ महीने तक सिस्टम से लड़ना पड़ा है.
कहां से हुई कहानी की शुरुआत: फरियादी निखिल प्रताप सिंह कौरव से मिली जानकारी के हिसाब से भिंड जिले के आलमपुर क्षेत्र में हुई साक्षी यादव की मौत की घटना किसी क्राइम सीरीज सीरियल की कहानी जैसी है जिसकी शुरुआत हुई कुछ वर्षों पहले. आलमपुर थाना क्षेत्र के ग्राम संसीगढ़ में रहने वाली साक्षी यादव और अंधियारी गांव के रहने वाले निखिल कौरव दोनों एक ही स्कूल में एक कक्षा में साथ पढ़ते थे पहले दोस्ती हुई फिर धीरे धीरे बात आगे बढ़ गई दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे. दोनों शादी करना चाहते थे जब ये बात साक्षी ने निखिल से की तो उसने कहा कि कानूनन अभी शादी कि उम्र नहीं हुई है इस पर साक्षी ने उससे सगाई का प्रस्ताव रखा. निखिल ने भी उसे सहमति देते हुए कहा की वह सगाई के लिए अपनी मां से बात कर ले. कुछ दिन बाद सखी ने बताया कि उसके पिता इस दुनिया में नही हैं और घर में उसके चाचा की चलती और वे लोग इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं है. जब से पता चला है दूसरी जगह शादी का दबाव बना रहे हैं मना करने पर मारपीट भी की है.
घर वालों के साथ नहीं जाना चाहती थी, कोर्ट ने वन स्टॉप सेंटर भेजा: इस घटना के बाद साक्षी 1 सितंबर 2022 को घर छोड़ कर कहीं चली गई. जब उसका पता नहीं चला तो 4 सितंबर को उसकी मां और परिजन ने ग्वालियर के सिरौल थाने में भादवि की धारा 363 में रिपोर्ट दर्ज कराई साथ ही प्रेमी निखिल का नाम सन्देही के तौर पर लिखाया, बाद में 14 सितंबर को सिरौल पुलिस ने साक्षी को बरामद कर लिया और जब पुलिस ने उससे पूछा तो उसने घर वालों के साथ जाने से मना कर दिया. इस पर उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया. बाद में न्यायालय द्वारा उसे नारी निकेतन/बाल कल्याण समित ग्वालियर भेजे जाने के आदेश दिए और कुछ दिन बाद ही उसे ग्वालियर से बाल कल्याण समिति मुरैना में स्थानांतरित कर दिया गया.
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बिना सहमति मामा-मामी के साथ भेजा और 15 दिन बाद मौत: निखिल के अनुसार 19 अप्रैल 2023 को मुरैना बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कुसुम यादव ने बिना साक्षी यादव की स्वतंत्र सहमति उसके डबरा निवासी मामा राजकुमार यादव और मामी जूली यादव को सुपुर्द कर दिया. साथ ही इसमें शर्त थी की बिना अनुमति साक्षी को ग्वालियर ज़िले को सीमा से बाहर नहीं ले जाया जाएगा और उन्हें 4 मई 2023 को साक्षी के साथ समिति के सामने उपस्थित होना होगा लेकिन 4 मई को वे उपस्थित नहीं हुए. डबरा से साक्षी की मां और परिजन उसे लेकर उसके घर गृह ग्राम संसीगढ़ ले गए और अगले दिन संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत होना बताया गया.
हत्या कर खेत में आधी रात अंतिम संस्कार कर मिटाए सबूत!: इस मामले में प्रेमी निखिल का आरोप है कि उसने अपने स्तर पर जब जानकारी जुटाई तो पता चला की साक्षी के चाचा, मां और अन्य परिजनों ने उसकी हत्या कर लाश घर के पीछे के खेत में जला कर सबूत मिटा दिए. इस बात की जानकारी होने बाद प्रेमी निखिल 8 मई को आलमपुर थाना प्रभारी केदार सिंह यादव से मिला और सारी बात बतायी, लेकिन टीआई यादव ने इस पर ध्यान नहीं दिया. बाद में उसने लहार एसडीओपी को एक आवेदन दिया. इसके साथ ही उसने इस पूरे मामले में प्रेमी निखिल ने जांच के सम्बंध में भिंड, मुरैना और ग्वालियर पुलिस अधीक्षक और चम्बल और ग्वालियर डीआईजी को बिंदुवार जांच के लिए 10 पन्नों का आवेदन दिया है.
आलमपुर टीआई पर समाजवाद में मामला दबाने का आरोप, मिल रही धमकियां: निखिल ने बताया कि थाना प्रभारी से उसकी मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया कि, साक्षी यादव बीमार थी और उसका इलाज मां कैलादेवी हॉस्पीटल लश्कर ग्वालियर में चल रहा था, इलाज के दौरान ही 5 मई को उसकी बीमारी के चलते आकस्मिक मृत्यु हुई है, साक्षी यादव के इलाज के पर्चे और उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लिया है. साथ ही उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा था कि ‘तुम्हें क्या लेना-देना लड़की उनकी थी जांच चल रही हैं, यदि तुम ज्यादा नेतागिरी करोगे तो तुम्हें फसा देंगे’. निखिल का आरोप है कि आलमपुर पुलिस द्वारा भी समाजवाद के आधार पर उनका पूरा सहयोग किया जा रहा हैं, इसलिये ही पुलिस थाना आलमपुर के थाना प्रभारी केदार यादव द्वारा ऑनरकिलिंग की निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही हैं और न ही साक्षी यादव के परिवारजन से सख्ती से पूछताछ की जा रही हैं, बल्कि टालमटोल करते हुए ऑनर किलिंग को छिपाने के आशय से मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा हैं. इतना ही नहीं उसका कहना है कि शिकायत के बाद से ही साक्षी यादव के घर वाले उसे जान से मारने की धमकियाँ दे रहे हैं. इतना सब होने और लड़ने के बाद पुलिस ने दो दिन पहले मर्ग क़ायम तो किया है लेकिन कुछ भी बता नहीं रहे हैं.
व्यापम घोटाले के आरोपी परिजन पर भी हत्या में शामिल होने की आशंका: इस मामले में एक रोचक बात यह भी सामने आ रही है कि फरियादी निखिल कौरव के आवेदन में जिन परिजन पर हत्या का आरोप लगाया गया है उनमें मुख्य रूप से लाखन सिंह और डॉ अमित यादव का नाम भी शामिल हैं ये वही डॉ अमित यादव है जो व्यापमं फर्जीवाड़े में आरोपी था और उस दौरान दतिया मेडिकल कॉलेज का सहायक डीन भी रहा. ऐसे में उसके राजनीतिक और सामाजिक रसूख का अन्दाजा लगाया जा सकता है. ऊपर से जैसा बताया गया कि साक्षी अचानक बीमार हुई तब ख़ुद डॉ अमित यादव ग्वालियर में अपना ‘एप्पल हॉस्पिटल’ संचालित करता है. ऐसे में परिजन होने के नाते बीमार साक्षी का इलाज अपने अस्पताल में ना कर ग्वालियर के ही माँ कैला देवी अस्पताल में कराने की बात भी संदेहास्पद लगती है. इतना ही नहीं साक्षी की मौत के अगले दिन से ही वह अब तक फरार है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है.
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु, वन स्टॉप सेंटर कर्मचारी ने किया खुलासा: जैसा की निखिल ने अपने आवेदन में भी उल्लेख किया है कि, जब साक्षी यादव 'बाल कल्याण समिति मुरैना के संरक्षण में थी, उसी दौरान 'बाल कल्याण समिति मुरैना में पदस्थ महिला कर्मचारी हिमानी शर्मा के मोबाईल पर साक्षी यादव के चाचा और माँ ने फोन लगाकर साक्षी यादव से बात की और साक्षी यादव को जान से मारने की धमकी भी दी थी तथा बाद में साक्षी यादव की मौत के बाद साक्षी यादव की माँ द्वारा हिमानी शर्मा को फोन लगाकर बताया गया कि, "उसकी बीमारी के चलते आकस्मिक मृत्यु हो गयी हैं" तब हिमानी शर्मा द्वारा साक्षी यादव की मां से कहा गया कि, "तुम लोगो द्वारा साक्षी यादव की हत्या कर दी हैं इस सम्बंध में तुम्हारे खिलाफ शिकायत करूँगी." इस बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग हिमानी शर्मा के मोबाईल में मौजूद हैं और हिमानी शर्मा द्वारा वह कॉल रिकॉर्डिंग प्रार्थी को व्हाट्सएप पर उपलब्ध करायी गयी है जो आज भी प्रार्थी के पास सुरक्षित है. जिसे उसने पेनड्राईव में आवेदन के साथ भी प्रस्तुत किया है. इस तथ्य की पुष्टि के लिये हिमानी शर्मा से पूछताछ कर और उनकेके मोबाईल नम्बर की सीडीआर निकालकर इस तथ्य की भी पुष्टि की जा सकती है.
मामले में मर्ग कायम, SIT का गठन: इस पूरे मामले में अब तक मामले को लेकर जब भिंड एसपी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि इस केस में एक SIT का गठन कर दिया गया है, जिसमें लहार एसडीओपी अवनीश बंसल को इसका इंचार्ज बनाया है, बाकी जानकारी वही देंगे. वहीं जब एसडीओपी अवनीश बंसल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमने इस मामले में मर्ग कायम कर लिया है अब इस मामले की जांच की जाएगी. आगे जो तथ्य सामने आएँगे उसके हिसाब से इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.
डेढ़ महीने बाद मर्ग कायम, कब तक मिलेगा इंसाफ: अपनी प्रेमिका को मौत के बाद इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रहे निखिल के प्रयासों का इतना फल तो मिला है कि डेढ़ महीने बाद जा कर उस मामले में मर्ग कायम हुआ जिसे पुलिस ने अनदेखा और अनसुना कर दिया था लेकिन साक्षी की संदिग्ध मौत के मामले ने ऑनर किलिंग की आशंका सहित किसी वारदात को छिपाने के लिए समाजवाद का सहारा और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं.