भिंड। भगवान श्रीराम के परम भक्त, पवनपुत्र, संकटमोचन, चिरंजिवी हनुमान जी का जन्मोत्सव हर साल चैत्र माह के पुर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस बार हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस मौके पर हम आपको दर्शन कराते हैं भिंड जिले के दंदरौआ धाम में विराजे डॉक्टर हनुमान की. यहां हनुमान जी डॉक्टर के रूप में पूजे जाते हैं. हनुमान जी के भक्तों का दावा है कि यहां उनके असाध्य रोग भी हनुमान जी की भभूत से ही मिट गए. इसी मान्यता के चलते हनुमान जयंती के दिन लाखों श्रद्धालु दंदरौआ धाम पहुचेंगे. इसके लिए मंदिर प्रशासन के अलावा पुलिस और जिला प्रशासन की ओर से भी पूरी व्यवस्थाएं की हैं.
क्यों है भगवान हनुमान, 'डॉक्टर': जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर दंदरौआ धाम में विराजे भगवान हनुमान, डॉक्टर हनुमान के नाम से प्रसिद्ध हैं. इस मंदिर की खास बात यह है कि, यहां हजारों भक्त अपनी जानलेवा बीमारियों का इलाज कराने आते हैं, खासकर कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज भी हनुमान जी करते हैं. श्रद्धालुओं के साथ-साथ बड़े-बड़े राजनेता, मंत्री भी यहां शीश झुकाने पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को पहले दर्द हरौआ कहा जाता था, जो कि बाद में अपभ्रंश होकर दंदरौआ हो गया. यहां आने वाले कई भक्त भी यह दावा करते हैं कि संकटमोचन ने उनके सभी संकट दूर किए हैं. (Bhind Hanuman temple Cancer treatment)
क्या है मान्यता: खास बात यह है कि डॉक्टर हनुमान के इस मंदिर की मान्यता सिर्फ भिंड और मध्यप्रदेश तक ही नहीं सीमित रही है, अन्य प्रदेशों, देश और विदेश से भी हजारों श्रद्धालु भगवान के दर्शन को आते हैं. ऐसी मान्यता है कि, इस मंदिर में भगवान हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर यहां आए थे. दंदरौआ धाम के महंत श्री रामदास महाराज बताते हैं कि, हनुमान जी जिसका इलाज करने आए थे वह एक साधु था, जिसे लंबे समय से कैंसर की बीमारी थी. उसे हनुमान जी ने एक डॉक्टर के वेश में मंदिर में ही दर्शन दिए थे. जिसके बाद साधु पूरी तरह स्वस्थ हो गया था. श्रद्धालुओं का मानना है कि, डॉक्टर हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का कारगर इलाज है. (Bhind hanuman jayanti)
यहां नृत्य मुद्रा में है भगवान हनुमान: दंदरौआ धाम के डॉक्टर हनुमान के मंदिर में हनुमान जी का एक हाथ कमर पर है, और एक हाथ सर पर है. यह नृत्य मुद्रा में है, उनका चेहरा भी वानर के स्थान पर बालक के रूप में है. उनकी गदा उनके हाथ के जगह उनके पास में रखी हुई है. उनका स्वरूप विग्रह वात्सल्य भाव को दर्शाता है.
सखी रूप में विराजमान हैं हनुमान जी: तुलसीदास की रामचरितमानस की चौपाई यहां विराजे हनुमान जी से सटीक मेल खाती है. इस चौपाई में कहा गया है, "एक सखी सिय संग बिहाई गई रही देखन फुलवाई" यह प्रसंग तुलसीदास ने पुष्प वाटिका के प्रसंग में गाई थी. जिसमें भगवान श्री राम से माता जानकी को मिलाने के लिए हनुमान जी को भेष बदलकर जानकी की सखी चारूबाला के रूप में बताया था. हनुमान जी इसी सखी वेश में दंदरौआ धाम में विराजमान है. (bhind doctor hanuman)
चमत्कारी है मंदिर की प्रसाद भभूति: कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की चमत्कारी भभूति से रोगों को खत्म किया जाता है. दूर-दूर से भक्त अपने रोगों के निदान के लिए हनुमान जी की चौखट पर आते हैं. श्रद्धा पूर्वक शीश झुकाते हैं और अपने रोगों को मिटाने की विनती करते हैं. यहां मंदिर की परिक्रमा लगाना भी रोग मुक्ति का एक मार्ग है. मंदिर से उन्हें भभूति प्रसाद के रूप में दी जाती है. जिसे वह भक्ति भावना से ग्रहण करते हैं, और जल्द रोग मुक्त हो जाते हैं.
श्रद्धालुओं की उमड़ेगी भीड़: शनिवार को हनुमान जयंती है, 2 साल बाद कोरोना वायरस की पाबंदियां पूरी तरह खत्म होने बाद संभावना जताई जा रही है कि यहां 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचेगे. ऐसे में प्रशासन की ओर से व्यवस्था की जा रही है. पीएचई विभाग द्वारा दंदरौआ धाम पर पानी का विशेष इंतजाम किया गया है. वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग ने मंदिर और उसके आसपास बैरिकेडिंग कर आने जाने के रास्ते की अलग व्यवस्था की है. पुलिस विभाग द्वारा भी भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाएगा, जिससे किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके ताकि श्रद्धालुओं को बिना किसी भय के संकटमोचन के दर्शन हो सकें. (hanuman jayanti 2022)