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भिंड: फसल खरीदी के तीसरे दिन भी केंद्रों पर नहीं पहुंचे किसान, जानिए वजह - Crop purchase

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अप्रैल से किसानों को राहत देने के लिए 1925 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर रबी फसल खरीदी शुरू कर दी है, लेकिन भिंड में किसान मंडी नहीं पहुंच रहे. भिंड कृषि उपज मंडी में तीसरे दिन भी न तो किसान पहुंचे और न ही जिम्मेदार अधिकारी, पढ़िए पूरी खबर..

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भिंड खरीदी केंद्र
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Published : Apr 17, 2020, 5:49 PM IST

भिंड। जिले में सरसों और गेहूं की खरीद के लिए केंद्र तो बना दिए गए, लेकिन इन तीन दिनों में केंद्रों पर खरीद नहीं हो सकी. जिला प्रशासन ने समर्थन मूल्य पर गेहूं और सरसों की फसल खरीदी के लिए जिले में 43 केंद्र बनाए गए हैं, जहां अन्नदाता कोऑपरेटिव सोसायटिओं को समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेच सकते हैं, लेकिन खरीदी शुरू होने के दूसरे दिन भी किसान उपार्जन केंद्रों पर नहीं पहुंचे.

खरीदी के तीसरे दिन भी केंद्रों पर नहीं पहुंचे किसान

जब ईटीवी भारत की टीम कृषि उपज मंडी पहुंची तो सन्नाटा पसरा दिखा. मंडी पहुंच रहे इक्का-दुक्का किसानों को भी निराशा हाथ लग रही है, क्योंकि फसल खरीदी के लिए कोऑपरेटिव सोसायटी का एक भी नुमाइंदा मंडी में नहीं पहुंचा. मंडी में न तो स्वास्थ्य विभाग का अमला मिला और न ही दूसरे जिम्मेदार अधिकारी. मंडी में सिर्फ ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी नजर आए.

मामले में कलेक्टर का बयान

कलेक्टर का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से शुरूआत में लोगों में कन्फ्यूजन थी, लेकिन अब सभी लोग केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. इसके बाद भी कोई जिम्मेदारी नहीं समझता तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कलेक्टर द्वारा किसानों को फसल खरीदी पर बुलाने के लिए एक एसएमएस के जरिए सूचना दी जा रही है. जिसमें उन्हें दो से ढाई क्विंटल फसल बिक्री के लिए लाने की बात भी कही जा रही है, लेकिन मुद्दा यह है कि हाल ही में हुई ओलावृष्टि में कई इलाकों के किसानों की फसलें लगभग बर्बाद हो चुकी हैं, जिनकी फसलें बची है वह प्रशासन की तय नीति के आधार पर सिर्फ दो क्विंटल ही बेच सकता है, इसी वजह से किसान खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे.

भिंड। जिले में सरसों और गेहूं की खरीद के लिए केंद्र तो बना दिए गए, लेकिन इन तीन दिनों में केंद्रों पर खरीद नहीं हो सकी. जिला प्रशासन ने समर्थन मूल्य पर गेहूं और सरसों की फसल खरीदी के लिए जिले में 43 केंद्र बनाए गए हैं, जहां अन्नदाता कोऑपरेटिव सोसायटिओं को समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेच सकते हैं, लेकिन खरीदी शुरू होने के दूसरे दिन भी किसान उपार्जन केंद्रों पर नहीं पहुंचे.

खरीदी के तीसरे दिन भी केंद्रों पर नहीं पहुंचे किसान

जब ईटीवी भारत की टीम कृषि उपज मंडी पहुंची तो सन्नाटा पसरा दिखा. मंडी पहुंच रहे इक्का-दुक्का किसानों को भी निराशा हाथ लग रही है, क्योंकि फसल खरीदी के लिए कोऑपरेटिव सोसायटी का एक भी नुमाइंदा मंडी में नहीं पहुंचा. मंडी में न तो स्वास्थ्य विभाग का अमला मिला और न ही दूसरे जिम्मेदार अधिकारी. मंडी में सिर्फ ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी नजर आए.

मामले में कलेक्टर का बयान

कलेक्टर का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से शुरूआत में लोगों में कन्फ्यूजन थी, लेकिन अब सभी लोग केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. इसके बाद भी कोई जिम्मेदारी नहीं समझता तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कलेक्टर द्वारा किसानों को फसल खरीदी पर बुलाने के लिए एक एसएमएस के जरिए सूचना दी जा रही है. जिसमें उन्हें दो से ढाई क्विंटल फसल बिक्री के लिए लाने की बात भी कही जा रही है, लेकिन मुद्दा यह है कि हाल ही में हुई ओलावृष्टि में कई इलाकों के किसानों की फसलें लगभग बर्बाद हो चुकी हैं, जिनकी फसलें बची है वह प्रशासन की तय नीति के आधार पर सिर्फ दो क्विंटल ही बेच सकता है, इसी वजह से किसान खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे.

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